Srikanth FULL Movie :श्रीकांत फिल्म अब सिनेमा घरो में रिलीज़ कर दी गयी है।ये एक बायोपिक ड्रामा फिल्म है जो बेस की गयी है श्रीकांत के जीवन पर जिनको बचपन से ही दिखाई नहीं देता है पर उन्होंने अपने आत्मविश्वास और पैशन के दम पर इतनी मेहनत करने के बाद खुद को ऐसे पोज़िशन पर लाकर खड़ा देता है जो लोगो के लिए एक इंस्प्रेशन जैसा ही है। आप इनकी ज़िंदगी के बारे में पढ़ते है तब आप को अहसास होगा के ऊपर वाले ने आपको सब कुछ दिया है आप कुछ भी कर सकते है।
इस फिल्म के दो सीन के बारे में बात करते है जो आपस में कही न कही एक दूसरे से कनेक्ट होते हुए दिखाई देते है। जो हमारे अंदर एक साथ दो चीज़े भर देता है पहला ख़ुशी और दूसरा इमोशन का । ये दोनों ही सीन आपको इंटरवल से पहले देखने को मिलते है। 1992 में श्रीकांत का जन्म हुआ था और जन्म के बाद जब इनके पिता को श्रीकांत की आँखों में बारे में पता चलता है। तब उनको लगता है के उनके बेटा अब इस दुनिया में कुछ नहीं कर सकता है क्युके वो देख नहीं सकता। तब श्रीकांत के पिता उनको भरे दिल से जमीन में दफ़न करने चले जाते है ।
उसके बाद आता है अगला सीन जब श्रीकांत नेशनल टीम के लिए सिलेक्ट होता है वो सीन था जिसे देख कर आप अपनी आँखों से आंसू बहने से नहीं रोक सकते है। फिर चाहे जितना भी स्ट्रांग दिल क्यों ही न हो। फिल्म में श्रीकांत के बाप का रोल जिस एक्टर ने किया था उन की एक्टिंग की जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है। शायद ही राज कुमार रॉव की एक्टिंग के आगे उनकी कोई बात न करे पर मुझे पर्सनली उनकी एक्टिंग बहुत पसंद आयी है और मै इनका फैन हो गया हूँ।
फिल्म के पहले हिस्सा बहुत अच्छा है जिसे देख कर आप को मज़ा आता है बहुत एंगेजिंग है पर वही फिल्म का दूसरा हिस्सा थोड़ा सा बुझा हुआ है जहा पर फिल्म में ये दिखाया गया है के कैसे श्रीकांन्त अपने बिज़नेस को बढ़ाता है और एक बड़ा इंडस्ट्री का निर्माण कर देता है।
एक्टिंग की अगर बात की जाये तो सभी ने बहुत अच्छा काम किया है पर सबसे अच्छी अगर एक्टिंग की बात की जाये तो वहा पर राजकुमार रॉव का ही नाम लिया जायेगा। फिल्म देख कर आपको कही से भी ये नहीं लगेगा के राजकुमार रॉव एक्टिंग कर रहे है आपको उनको देख कर ऐसा ही लगता है के वो रियल में देख नहीं सकते है। राजकुमार राव को सौ तोपों की सलामी जिन्होंने इस रोल को इतने डेडिकेशन के साथ निभाया है।
बात करे अगर फिल्म के म्यूज़िक और BGM की तो वो बहुत अच्छा है। ज़ादा गाने न होने की वजह से ये फिल्म अपनी स्टोरी पर पकड़ बनाये रखती है।
फिल्म के दूसरे हिस्से को देख कर ऐसा लगता है के बहुत ज़ादा खींचा गया है। पर फिल्म में श्रीकांत के जीवन के हर एक पहलू को दिखाना भी जरुरी था। अगर बायोपिक की नज़र से इसे हम देखे तो ये 100 % गुड फिल्म है पर अगर मनोरंजन के परपस से इसे देखा जाए तो इस फिल्म को थोड़ा और छोटा किया जा सकता था। फिल्म में आपको इमोशन के साथ कॉमेडी भी देखने को मिलती है।
कुछ सीन ऐसे भी है जहा आप को हंसी भी आती है और वही पर आप खुद को इमोशनल भी महसूस करते है। हम तो यही आशा करते है के ये फिल्म अच्छे से चले फिल्म में सिर्फ इंटरटेनमेंट ही नहीं है मोटिवेशन भी है अगर आप किसी चीज़ को पाने की कोशिश करते है तब वो चीज़ आपको मिल ही जाती है। फिल्म को आप अपनी फैमिली के साथ बैठ कर देख सकते है किसी भी तरह के फिल्म में एडल्ट सीन या वल्गर भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है। हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से चार स्टार दिए जाते है।
Will Akshay Kumar film Sarfira be a hit or flop at the box office?