Golam movie review in hindi: दोस्तों आज हम अमेजॉन प्राइम पर रिलीज की गई एक नई मलयालम फिल्म के बारे में बात करेंगे जिसका नाम ‘गोलम‘ है। इसके जॉनर की बात करें तो यह एक्शन और थ्रिलर है फिल्म के लेंथ के बात
करें तो यह 2 घंटे 42 मिनट की है। इस फिल्म को देखते वक्त आपको यह लग सकता है कि इसकी कहानी दृश्यम् फिल्म से प्रभावित है हालाकि दोनों फिल्म की कहानियों में काफी अंतर है।
गोलम फिल्म में बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिलते हैं जिसमें आपको एक बेहतरीन मर्डर इन्वेस्टिगेशन दिखाई देती है जोकि ऑडियंस को इंगेज कर पाने में कामयाब भी होती है। और फिल्म देखने के बाद आप यह भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसका पार्ट 2 भी जल्दी ही रिलीज होगा।
कास्ट- रंजीथ सजीव,चिन्नू चांदनी नायर, कारथिक शंकर।
डायरेक्टर- समजद।
राइटर- परवीन विश्वनाथ।
भाषा- मलयालम।
स्टोरी– फिल्म की कहानी की बात करें तो फिल्म एक टिपिकल मर्डर मिस्ट्री है। फिल्म की कहानी शुरू होती है एक बड़े एम. एन. सी ऑफिस से जिसका नाम वीटेक होता है मॉर्निंग के वक्त सभी एंप्लोई.
ऑफिस में आ जाते हैं इनका बॉस थोड़ा लेट हो जाता है जिसका नाम ‘जॉन’ होता है। ऑफिस में लेट आने के कारण वह जल्दी-जल्दी कॉफी पीता है जिससे वह काफी उसके कपड़ों पर गिर जाती है
जिसे साफ करने के लिए वह वॉशरूम की तरफ जाता है और काफी देर हो जाने के बाद भी बाहर नहीं आता जिसे सभी लोग परेशान हो जाते हैं और दरवाजा तोड़कर उसे खोलने की कोशिश करते हैं।
दरवाजा खोलने के बाद जो मंजर वह सभी देखते हैं उसे देखकर सब दंग रह जाते हैं क्योंकि इनके बॉस जॉन की हत्या हो जाती है। इसके बाद इन्वेस्टिगेशन शुरू होती है और इस इन्वेस्टिगेशन का मुखिया
पुलिस ऑफिसर रंजीथ सजीव ‘संदीप’ को बनाया जाता है। हालांकि संदीप जॉन की मौत का कारण मर्डर ही मानता है। और इन्वेस्टिगेशन को आगे बढ़ाता है जिसमें बहुत से सवालों के जवाब खुलते हैं
और बहुत से मिस्ट्रीज से पर्दा उठता है जिसे जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी या फिल्म जो की अमेजॉन प्राइम पर उपलब्ध है।
टेक्निकल एस्पेक्ट- फिल्म का स्क्रीन प्ले थोड़ा कमज़ोर है जिसका कारण इसकी लेंथ है। सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है।
pic credit imdb
खामियां– इस फिल्म की कहानी में सबसे बड़ी कमि है कि फिल्म देखते वक्त दर्शकों के मन में जो भी सवाल आते हैं फिल्म के अंत तक जब उन सभी सवालों का जवाब मिलना शुरू हो जाता है तो दर्शकों
के मन में ऐसी भावना आती है कि सब कुछ बहुत आसानी से हो रहा है। बात करें इस फिल्म की लेंथ की जो काफी लंबी है कहानी के हिसाब से इसकी एडिटिंग में इसे काट कर छोटा किया जा सकता था क्युकी फिल्म का स्क्रीन प्ले काफी लूज है।
फाइनल वर्डिक्ट– फिल्म की स्टोरी पकड़ काफी मजबूत है जो कि आपको बोरियत महसूस नहीं होने देती इसकी कहानी में काफी ग्रिप है जो आपको स्क्रीन पर टिका के रखती है। .
हालांकि स्क्रीन प्ले थोड़ा कमजोर है पर फिल्म में दिखाया गया पुलिस इन्वेस्टिगेशन इसकी सभी कमियों को छुपा देता है, हालाकि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर के रूप में संदीप ‘रंजीथ सजीव‘ ने भी दमदार एक्टिंग की है।