allu sirish buddy film review:नेटफ्लिक और कलर्स सिनेप्लेक्स पर ‘बडी’ नाम की साउथ फिल्म को हिंदी में रिलीज किया गया है यह एक एक्शन एडवेंचर फिल्म है अब कैसी है यह फिल्म और कैसी है इसकी स्टोरी आइए जानते हैं।
बडी फिल्म टेडी फिल्म का रीमेक है जिसे रीमेक ना कहकर उसकी एडॉप्शन कहा जा सकता है क्योंकि उसी फिल्म की कहानी को उठाकर इसकी स्टोरी को आगे बढ़ाया गया है। रीमेक उस फिल्म को कहा जाता है जिसे सेम टू सेम वैसा ही दिखाया जाए पर यहां कहानी को थोड़ा अलग तरह से डेवलप करके कैरेक्टर वाइस प्रेजेंट किया गया है।
पर जो लड़की का टॉपिक है उसे जिस तरह से टेडी फिल्म में दिखाया गया था उस तरह से ही बडी फिल्म में भी क्रिएट किया गया है। अगर आपने टेडी फिल्म को देखा है तो बडी फिल्म और टेडी दोनों एक दूसरे की कॉपी लगने वाली है। बस बडी की स्टोरी को थोड़ा अलग क्रिएट करने की कोशिश की गई है।
स्टोरी- फिल्म में ‘अल्लू सिरीश’ (आदित्य) को पायलट के रोल में दिखाया गया है उनके अपोजिट गयात्री भारद्वाज को भी दिखाया गया है जो कि ट्रैफिक कंट्रोलर की भूमिका निभाती हैं। अब आदित्य और पल्लवी एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं, कुछ समय बाद अदिति की लाइफ एक नया मोड़ ले लेती है।
जिसका आगे चलकर एक एक्सीडेंट हो जाता है और उसका पूरा करियर खत्म हो जाता है हालांकि फिर भी वह हार नहीं मानती है और जिंदगी में आगे बढ़ती है लेकिन जब वह अपने करियर को दोबारा से बना रही होती है तभी उसका अपहरण हो जाता है। इसके बाद एक दुर्घटना के चलते आदिति हॉस्पिटल पहुंच जाती है अस्पताल में पहुंचने के बाद यहां का स्टाफ जो की बहुत सारे गैर कानूनी कामों में लिप्त है।
अदिति को कोमा में पहुंचने वाली दवाई दे दी जाती है जिससे कि वह परमानेंट कोमा में चली जाए और अस्पताल स्टाफ उसके ऑर्गन्स को बेच सके। लेकिन इसी दौरान अदिति की आत्मा वहां पर मौजुद एक टेडी में ट्रांसफर हो जाती है। अब यह टेडी जिसका नाम बडी होता है वह आदित्य के पास पहुंचता है।
जिससे कि वह उससे हेल्प ले सके, अब वह आदित्य को कैसे जानता है, उसे आदित्य से किस तरह की हेल्प चाहिए, यह सब जानने के लिए 2 घंटे 11 मिनट की इस फिल्म को आपको देखना होगा जो की हिंदी में और अपनी ओरिजिनल लैंग्वेज में नेटफ्लिक्स पर देखने को मिल जाएगी।
बडी का रिव्यू अगर हम एक लाइन में करना चाहे तो यह एक मास्टर पीस फिल्म नहीं है यह एक काफी एवरेज क्वालिटी की फिल्म है इससे पहले अगर आपने टेडी फिल्म को देखा होगा तो इस फिल्म को देखकर आपके अंदर वह फील नहीं आएगा जिससे आप रोमांच से भर जाएं अगर आप पहली बार बडी फिल्म को देख रहे हैं तो शायद आपको यह फिल्म इंगेज कर सके।
फिल्म की खामियां- फिल्म में बहुत बड़े माफिया गैंग को एक्सपोज करने की कोशिश की जा रही है पर जिस सीरियसनेस की फिल्में जरूरत थी उसे यह मिस करती हुई दिखाई दी है। फिल्म का कॉन्सेप्ट इतना अच्छा होने के बावजूद भी या आपके हार्ट पर हिट नहीं करती। बस टाइम पास के लिए ही इस फिल्म को देखा जा सकता है, जो बिना दिमाग लगाए आप आसानी से खाना खाते-खाते देख ले।
यह फिल्म आपका डीसेंट टाइम पास कर देगी। फिल्म में ओवर द टॉप मासी स्टोरी को डाला गया है जिसमें एक हीरोइन हीरो एक्शन थ्रिल सभी एलिमेंट देखने को मिलते हैं हीरो बार-बार अपना सन ग्लास उतारते हुए नजर आएगा जो कि आपको कई बार बहुत सारे सीन में इरिटेट करेगा। भारत में जिस तरह से वेल्डिंग करने वाले दुकानदार चश्मा पहनकर वेल्डिंग का काम करते हैं ऐसा नजर आता है।
जैसे इस चश्मे को हमारा हीरो बार-बार पहन कर फिल्म में आ जाता है। इसका बीजीएम कुछ ज्यादा ही लाउड है जिसे हेडफोन लगाकर देखा जाए तो कान के पर्दे फट सकते हैं। मेकर्स को लगता है कि सभी दर्शक बेवकूफ हैं क्योंकि मेकर्स को लगता है कि वह किसी भी तरह की स्टोरी को उठाएंगे और मिर्च मसाला लगाकर किसी बिरयानी की तरह दर्शकों के सामने पेश कर देंगे हालांकि वे यह नहीं जानते कि अब बदलते जमाने के हिसाब से दर्शकों का टेस्ट भी चेंज हो चुका है।
फिल्म की अच्छाइयां- अगर आपके साथ बच्चे हैं और आप इस वीकेंड कोई फिल्म देखना चाहते हैं तो आप इस फिल्म को पूरी फैमिली के साथ भी देख सकते हैं। फिल्म में बहुत सारी कॉमेडी दिखाई गई है जो कई सींस में काफी क्रीनज नजर आती है। बालकृष्ण का एक डायलॉग है आई एम नॉट द ट्रबल , जिस तरह से उसे दिखाया गया है वह काफी बढ़िया लगता है।
फिल्म में जो मुकेश ऋषि का इंट्रो सीन देखने को मिलता है वह लाजवाब था पॉप कलचर को फिल्म में अच्छे से इस्तेमाल किया गया जिससे फिल्म थोड़ी इंगेजिंग बनी रहती है। फिल्म के पहले हिस्से में हमें कुछ इमोशनल एलिमेंट भी देखने को मिलते हैं। पर सेकंड हाफ में पूरी तरह से बदलकर या फिल्म एक फास्ट एक्सप्रेस की तरह नजर आती है जिसे देखकर कुछ खास मजा नहीं आता।
अल्लू सिरीश ने फिल्म में बहुत ही खराब एक्टिंग की है, अल्लू सीरीज से अच्छा तो फेस एक्सप्रेशन बॉलीवुड के बी ग्रेड एक्टर भी कर लेते हैं।
गायत्री भारद्वाज का फिल्म में बहुत कम रोल है। अली अजमल आमिर प्रीशा राजेश श्री की एक्टिंग बढ़िया है अगर बात करें इसके वि एफ एक्स की तो यह आदि पुरुष से भी ज्यादा फीका है। इसका वीएफएक्स इतना ज्यादा खराब है कि कभी-कभी कुछ सीन्स में पीछे का ग्रीन स्क्रीन भी नजर आ जाता है।
फाइनल वर्डिक्ट- अगर आपको हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म जिसमें थोड़ा सा ड्रामा और एक्शन भी शामिल हो देखनी है तो आप बडी फिल्म को बिल्कुल भी मिस ना करें। यह उसे लेवल का मास्टर पीस तो नहीं है लेकिन फिर भी आपके लिए एक अच्छा टाइम पास साबित हो सकती है। हालांकि फिल्म में बहुत सारे इन रेलीवेंट चीजों को दिखाया गया है फिर भी आप इसे एक बार तो देख ही सकते हैं।
हमारी तरफ से इस फिल्म को दिए जाते हैं 5/⭐ ⭐.