THE DIARY OF WEST BENGAL REVIEW hindi:गजनवी और श्रीनगर जैसी फिल्मे बनाने वाले सनोज मिश्रा इस बार अपनी फिल्म द डायरी ऑफ़ वेस्ट बंगाल ले कर आये है। फिल्म की कास्ट में हमें युवराज मरवा,अरशींन मेहता,गौरी शंकर देखने को मिलेंगे। फिल्म का प्रमोशन उतना नहीं किया गया जितना की ये फिल्म डिजर्व करती थी आम लोगो को तो पता ही नहीं है के कोई इस तरह की फिल्म भी आने वाली है या आगयी है ।
THE DIARY OF WEST BENGAL एक अच्छी फिल्म है इसे एक बार तो देख ही सकते है कॉन्ट्रवर्सी से भरी हुई इस फिल्म में डायरेक्टर ने कुछ भी नहीं छिपाया है उन्होंने जो सोचा था जैसा सोचा था सब के सब कुछ फिल्म में दिखा दिया है। इस फिल्म को आप अपनी फैमिली के साथ बैठ कर न देखे क्युकी फिल्म में बहुत से एडल्ट सीन है।
फिल्म का मेन मोटिव यही के इसमें दिखाया गया है के बंगलादेशी हिन्दू खतरे में है। फिल्म में एक विधवा की कहानी को भी दिखाया गया है। बंगाल की मुख्यमंत्री को तो सीधा -सीधा फिल्म में विलन ही दिखाया गया है। फिल्म में हमें हिन्दू और मुस्लिम का कलैश भी देखने को मिलता है जो की खुद में एक बड़ा टॉपिक है। डायरेक्टर साहब ने इस हिन्दू मुस्लिम वाले टॉपिक को आग लगाकर बेचने की कोशिश की है फिल्मो को समाज को जोड़ने के लिए बनाना चाहिए न की तोड़ने के लिए शायद डायरेक्टर साहब को ये बाते समझ नहीं आएगी।
फिल्म में बार-बार दिखाया गया है के हिन्दू खतरे में है पर असल भारतीय ज़िंदगी में तो ऐसा नहीं दिखाई देता है के हिन्दू या मुस्लिम खतरे में है। जो भी दंगे होते है हिन्दू मुस्लिम के तो उसमे जादातर पॉलिटिक्स ही इन्वॉल्व होता है। बंगाल की अगर बात की जाये तो बंगाल में 70 % हिन्दू है और 27 % मुस्लिम है तो मुझे ऐसा नहीं लगता के वहा का हिन्दू अपने आप को खतरे में मानता है हां मुझे ये जरूर पता है के इस फिल्म के बाद डायरेक्टर साहब का करियर जरूर खतरे में आने वाला है।
बात करे अगर फिल्म की तो फिल्म को अच्छे से क्रिएट किया गया है फिल्म का कॉन्सेप्ट भी अच्छा है बहुत से सीन ऐसे भी है जो प्रोपोगंडा से कम नहीं लगते ये समझ ले के ये फिल्म इंटरटेनमेंट के पर्पस से बनाई ही नहीं गयी है इसे बस एक पॉलिटकल एंगल दिया गया है जैसे की अनुभव सिन्हा अपनी फिल्मो में अक्सर देते हुए दिखाई देते है।
फिल्म के डायलॉग बेहद स्लो है प्रोडक्शन वैलु भी वीक है म्यूज़िक ठीक ठाक है फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी ये है के सही जगह पर सही डायलॉग का न होना फिल्म की सिनेमाटोग्राफी काफी ज्यादा वीक दिखाई गयी है जिसकी वजह से एक अच्छी फिल्म बनते बनते रह जाती है और दर्शको को खुद से कनेक्ट करने में नाकामयाब होती है।
फिल्म के सभी एक्टर ने बहुत अच्छी एक्टिंग की है जो इस फिल्म को इनकी एक्टिंग की वजह से इंटरेस्टिंग बना देती है फिल्म इतनी ज्यादा इंटेंस हो जाती है के आप इसे बच्चो के साथ बैठ कर नहीं देख सकते है। दो घंटे पंद्रह मिनट की इस फिल्म को आप तब इंजॉय करेंगे जब आप इस तरह की आइडोलजी को सपोर्ट करते है।
हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से दो स्टार दिए जाते है एक स्टार और दिया जाता है इनके एक्टर की एक्टिंग को