Pottel Movie review hindi:साहित मोटखुरी के निर्देशन और साहित मोटखुरी के लेखन में बनायीं गयी फिल्म पोटेल। पोटेल ये दर्शाती है के छोटी सी गाड़ी कैसे एक बड़े समाजिक मुद्दे का हिस्सा बनती है। पोटेल एक भावात्मक कहानी है जो किसी के भी आँखों से गुजर कर दिल में उतरने का दम रखती है।तो आइये जानते है युवा चंद्रा, अनन्या नागल्ला की फिल्म पोटेल कैसी है।
कहानी
फिल्म की कहानी एक गाड़ी वाले की ज़िंदगी पर आधारित है,इनका नाम युवा चंद्रा (गंगाधारी) है,ये एक जिम्मेदार पिता के रोल में दिखाये गये है जो अपनी लड़की को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहे है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब गांव का एक मुखिया गंगाधारी पर एक सजा लगा देता है। इसकी शुरुवात तब होती है जब गांव के मुखिया की एक पवित्र बकरी खो जाती है,और इसका इलजाम गंगाधारी पर लगा दिया जाता है।
मुखिया गंगाधारी से कहता है के अगर उसकी बेटी की शादी न हुयी तो इसका बेहद बुरा परिणाम गंगाधारी को झेलना होगा। ये फिल्म हमारे समाज में फैले अन्धविश्वास और उस अंधविश्वास में डूबे लोगो को दिखाती है पोटेल एक दुःख भरी कहानी के साथ ही समाज की समस्याएँ भी दिखाती है जैसे अमीर और गरीब के बीच का भेदभाव
युवा चंद्रा (गंगाधारी)का किरदार बहुत संवेदन शील है,जो अपने प्यार और परिवार के लिए पूरी तरह से समर्पित है। कहानी ये भी दिखाती है के एक गरीब इंसान को किस तरह से अपनी ज़िंन्दगी और सपनो के बीच समझौता करना पड़ता है।

PIC CREDIT IMDB
प्रदर्शन
अनन्या नगला का किरदार काफी प्रभावी है जो युवा के सपनो और आत्मविशास दोनों को बढ़ाने का काम करता है। अजय का किरदार जो की एक मुखिया के रूप में दिखाया गया है। और ये फिल्म में पूरी तरह से टेंशन बढ़ाने का काम करता है। इनका लुक और परफॉर्मेंस बहुत शानदार है। अजय अपने इस किरदार से फिल्म को एक मज़बूत एंगल देने में कामयाब रहे है ठीक वैसे ही जैसे इन्होने अपनी पिछली फिल्मे माथु,वाडारा 2 ,देवरा में किया है।
सिनेमाटोग्राफी
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी मनीष बहुमति राजू के द्वारा की गयी है,इन्होने बहुत ही खूबसूरती से गांव की सुंदरता और परेशानियों को एक साथ दिखाया है। कुछ इस तरह से विजुवल और सिनेमाटोग्राफी के इस्तेमाल से स्टोरी को आगे बढ़ते दिखाया गया है जिससे फिल्म में दर्शक पूरी तरह से विलीन हो सकते है। लाइटिंग कैमरा एंगल,कलर ग्रेडिंग हर एक चीज़ का अच्छे ढंग से इस्तेमाल हुआ है।
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— Tollymasti (@tollymasti) October 25, 2024
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म्यूज़िक
शेखर चंद्र का म्यूज़िक फिल्म की जान है,जो फिल्म के हर एक सीन को प्रभावी बनाता है। इनका म्यूज़िक फिल्म का माहौल बनाने में कामयाब रहा है।एक अच्छा बीजीएम वो होता है जो कानो को जादा न चुभे और डायलॉग सही से समझ आये वो शेखर ने फिल्म में अच्छे से किया है।
पॉज़िटिव पॉइंट
ये फिल्म सिर्फ मनोरंजन के लिये नहीं है बल्कि सामाजिक सन्देश भी देती है। कहानी दिखाती है के अमीर और गरीब के बीच का भेदभाव कैसे किसी की ज़िंदगी पर अपना नकारत्मक असर छोड़ता है। फिल्म के माध्यम से ये भी सन्देश मिला है के पढ़ाई लिखाई हमारे लिये कितनी जरुरी होती है। फिर चाहे वह किसी भी परिस्थिति में क्यों न कराई जाए।
फिल्म के मेकर ने फिल्म को प्रमोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है वो फिल्म को लेकर बहुत पॉज़िटव है। प्रमोशन और शोशल मीडिया की मदद से इसका अच्छे से प्रमोशन किया गया है। अब ये तो टाइम ही बताएगा के ये फिल्म दर्शको के दिलो में कितना प्रभाव छोड़ती है। आई एम डी बी पर इसे 9.1 की रेटिंग दी गयी है।
निगेटिव पॉइंट
कहानी के कुछ सीन इस तरह से दर्शाये गए है जिन्हे आपने पहले भी कुछ फिल्मो में देख रक्खा है ये देखे-देखे से लगते है। फिल्म में कुछ जगह पर आपको ऐसा लगेगा के आगे ये दिखाया जाएगा और ठीक वैसा ही होता है जो बहुत से दर्शको के उत्साह को कम कर सकता है दो घंटे चालिस मिनट की इस फिल्म को थोड़ा कम किया जा सकता था कही कही पर ऐसा लगता है के बेमतलब फिल्म को खींचा जा रहा हो।
हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से तीन स्टार दिये जाते है
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