The Twister Caught in the Storm:तूफान का आतंक”

the twister caught in the storm

the twister caught in the storm:19 मार्च 2025 के दिन रिलीज़ हुई डॉक्यूमेंट्री फिल्म “द ट्विस्टर कट इन द स्टॉर्म” का ट्रेलर देखकर शुरू में ऐसा लग रहा था कि यह फिल्म पहले की तूफान पर बनी सैकड़ों फिल्मों की तरह ही होगी। पर जैसे ही फिल्म शुरू होती है यह साफ हो जाता है कि डायरेक्टर एलेक्जेंड्रा लेसी ने इसे महज़ एक तूफान की कहानी तक सीमित नहीं रखा।

बल्कि इसमें इंसानी हिम्मत उम्मीद और इमोशंस का ऐसा मिश्रण पेश किया है कि यह दर्शकों को अपनी ओर खींच लेती है। यह फिल्म 22 मई 2011 को अमेरिका के मिसूरी राज्य के जोप्लिन शहर में आए F5 टॉरनेडो की सच्ची घटना पर आधारित है।

इस भयानक तूफान ने कुछ ही मिनटों में तबाही का ऐसा मंज़र रच दिया था,जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। फिल्म इस दृश्य को फिर से जिंदा करने की कोशिश करती है और दर्शकों को उस भयानक पल का हिस्सा बना देती है। आइए जानते हैं इसकी कहानी खूबियाँ,कमियाँ और यह आपके लिए कितनी खास हो सकती है।

कहानी:

फिल्म की कहानी एक सुनहरे दिन से शुरू होती है। सुबह का सूरज चमक रहा था चिड़ियाँ चहचहा रही थीं हवा में हल्की तेज़ी थी और चारों ओर खुशियाँ बिखरी हुई थीं। बच्चे स्कूल में गर्मियों की छुट्टियों की तैयारी कर रहे थे और डिग्रियाँ लेने की खुशी में डूबे थे। लेकिन इसी बीच मौसम वैज्ञानिकों ने एक सुपरसेल तूफान की चेतावनी दी और शहर में अचानक कोहराम मच गया।

मौसम वैज्ञानिक माइक बेट्स, जो इस खतरनाक टॉरनेडो पर नज़र रखे हुए थे उनकी आवाज़ में डर और दर्द साफ झलक रहा था। यह डर इस बात का इशारा कर रहा था कि कुछ बड़ा और भयानक होने वाला है। और ठीक ऐसा ही हुआ। जब यह तूफान 200 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जोप्लिन शहर में दाखिल हुआ,तो घर-मकान ऐसे उड़ गए जैसे कागज़ के बने हों।

लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे। फिल्म का एक खास पहलू यह है कि इसमें असली किरदारों को शामिल किया गया है। जिन्होंने उस मुश्किल घड़ी को अपनी आंखों से देखा था। इनमें से एक किरदार सेसिल कॉर्निश भी है जो अपनी सादगी से कहानी को गहराई देता है। एक सीन में एक टीनएज़र, जो अपने दोस्त के साथ बाहर घूमने निकला था, तूफान की चपेट में आ जाता है।

दोनों एक दुकान में शरण लेते हैं। लेकिन वहाँ की छत ऐसे उड़ जाती है जैसे मिट्टी की बनी हो। वहीं एक डॉक डग हेडी भी दिखाई देता है जो शहर का निवासी है। वह कहता है “हम टूट गए लेकिन हमारी आत्मा अभी भी ज़िंदा है।” फिल्म में कुछ असली फुटेज भी शामिल किए गए हैं,जिसमें काले बादल और गरजता आसमान साफ दिखता है। इन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

सेकंड हाफ में तूफान के रुकने के बाद शहर की बर्बादी का मंज़र दिखाया गया है। घर मकान हर चीज़ तबाह हो चुकी थी। लोग मलबे में अपने अपनों को ढूँढते नज़र आते हैं,जो देखकर आँखें नम हो जाती हैं। लेकिन इतना सब होने के बाद भी शहर के लोग जिस तरह से खुद को संभालते हैं वह हौसला देता है।

फिल्म की खूबियाँ

रियल्टी के करीब:

फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि इसमें असली किरदारों और फुटेज का इस्तेमाल किया गया है। यह इसे एक आम डॉक्यूमेंट्री से अलग बनाता है और दर्शकों को उस पल से जोड़ देता है।

सिनेमैटोग्राफी:

सिकंदर की सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है। खासकर जब काले बादल आसमान को अपनी गिरफ्त में लेते हैं,तो स्क्रीन पर गहरी शांति और डर का मिश्रण साफ दिखता है।

इमोशनल टच:

तूफान के बाद का मंज़र और लोगों का हौसला दिखाने वाला हिस्सा दिल को छू जाता है। एक यूज़र ने ट्वीट किया “यह फिल्म सिर्फ़ तूफान की कहानी नहीं बल्कि ज़िंदगी को फिर से शुरू करने की हिम्मत है।

कमज़ोर कड़ियां:

सीमित दायरा:

फिल्म का फोकस सिर्फ़ जोप्लिन की घटना पर है, जिसके चलते यह अन्य जगह के दर्शकों से पूरी तरह कनेक्ट नहीं कर पाती। कुछ लोगों ने कहा “कहानी में और विस्तार की गुंजाइश थी।

स्लो सेकंड हॉफ:

तूफान के बाद का हिस्सा थोड़ा धीमा लगता है। एक दर्शक ने लिखा “शुरुआत जितनी तेज़ थी अंत उतना प्रभावी नहीं रहा।

तकनीकी पहलू:

फिल्म का निर्देशन एलेक्जेंड्रा लेसी ने किया है जो इसका मजबूत आधार है। उन्होंने असली फुटेज को विज़ुअल के ज़रिए स्क्रीन पर इस तरह पेश किया है कि आप खुद को तूफान के बीच खड़ा महसूस करते हैं। सिनेमैटोग्राफी का कमाल तब दिखता है जब काले बादलों का मंज़र स्क्रीन पर छा जाता है। बैकग्राउंड म्यूज़िक भी कहानी को गहराई देता है, हालाँकि कुछ जगह यह थोड़ा और बेहतर हो सकता था।

निष्कर्ष:

“द ट्विस्टर कट इन द स्टॉर्म” सिर्फ़ एक डॉक्यूमेंट्री नहीं है बल्कि ज़िंदगी को नई उम्मीद देने की कहानी है। यह दिखाती है कि भले ही सब कुछ उजड़ जाए, इंसान में खुद को संभालने की ताकत होती है। फिल्म का पहला हाफ आपको रोमांच से बाँधे रखता है,तो दूसरा हाफ भावनाओं से जोड़ता है।

फिल्मीड्रिप रेटिंग: ३/५

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  • Movie Reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

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