Manoj Bajpayee Despatch REVIEW HINDI:मनोज बाजपेई की जब भी कोई फिल्म आने वाली होती है तब हमें यह उम्मीद होती है कि उनकी फिल्मो में हमें कुछ अलग कॉन्सेप्ट और कंटेंट देखने को मिलेगा।आज मनोज बाजपेई की फिल्म डिस्पैच को zee5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज कर दिया गया है।
इसके डायरेक्टर कानू बहल है ,और प्रोड्यूसर है रोनी स्क्रूवाला । डिस्पैच में हमें मनोज बाजपेई के साथ ही शहाना गोस्वामी भी देखने को मिलेगी। यह फिल्म 21 नवंबर 2024 को आईएफएफआई में दिखाई गई थी। आइये करते हैं इस फिल्म का फुल रिव्यू जिससे कि आपको यह फिल्म देखने में आसानी रहे।
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— 9ms Technologies (@9mslive) December 5, 2024
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कहानी
फिल्म की कहानी बेस है मुंबई में स्थित ‘डिस्पैच’ नाम की प्रिंट मीडिया हॉउस से। इसी मीडिया संस्थान में ‘जॉय बैग’ नाम का एक क्राइम रिपोर्टर है जो कुछ खुलासा करने वाला है अब ये क्या खुलासा करता है ये आपको फिल्म देख कर पता लगाना होगा । 2 घंटे 33 मिनट की इस फिल्म को आप जी 5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।
इस फिल्म का अगर हम एक लाइन में रिव्यू करें तो यह एक एवरेज कैटेगरी में आती है। फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा था एक रिपोर्टर किस तरह से खबरों की सच्चाई को दिखाता है तरह-तरह के स्कैम को एक्सपोज करता है। पर इस अच्छे कॉन्सेप्ट को निर्देशक फिल्म में अच्छे से प्रेजेंट ना कर सके।शायद मनोज बाजपेई अब अपनी स्क्रिप्ट को अच्छे से नहीं पढ़ते हैं जो किसी भी तरह की स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू कर देते हैं।
ऐसा लगता है कि इस फिल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए ही बनाया गया था।क्योंकि वहां के दर्शक अलग होते हैं और नॉर्मल दर्शक अलग पर्सपेक्टिव से फिल्म को देखता है। फिल्म एक वजह से और भी निराश करती है जब हमें लगता है कि हम इस फिल्म को अपने परिवार के साथ नहीं देख सकते।
डायरेक्टर कानू बहल ने इससे पहले एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम था ‘आगरा’ और अगर आप आगरा के ट्रेलर को देख लेंगे तो समझ जाएंगे कि निर्देशक किस तरह की सोच रखते है। कुछ तो बात रही होगी कि आगरा फिल्म को इंडिया में बैन कर दिया गया।
डिस्पैच के पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट
सभी एक्टरों ने अपना बेस्ट परफॉर्मेंस दिया है। सिनेमाटोपोग्राफी,प्रोडक्शन वैल्यू ,बीजेएम सब कुछ डीसेंट है। पर यह सब चीज़े डीसेंट होने के बावजूद आप इस फिल्म से कहीं से भी जुड़ाव महसूस नहीं करते।फिल्म देखकर आपको एक उदासी ही महसूस होती है क्योंकि इससे पहले जो आपने मनोज बाजपेई की फिल्मों में देखा है वह इसमें देखने को नहीं मिलता।
फिल्म से आपका सबसे खराब एक्सपीरियंस वहां पर होता है जब आप मनोज बाजपेई को ऐसे एडल्ट सीन करते हुए देखते हैं। जिनको हाल ही में आपने ”साइलेंस और ‘बस एक बंदा काफी है’ जैसी फिल्मों में दमदार भूमिका अदा करते देखा था।
मनोज बाजपेई को गैंग आफ वासेपुर के बाद इस तरह की भूमिका करते देखा जा सकता है। यह फिल्म गैंग आफ वासेपुर के इंटीमेट सीन से एकदम आगे बढ़ती दिखती है जो फिल्म से ज्यादा डॉक्युमेंट्री की फील देती है।
निष्कर्ष
एक अच्छे कॉन्सेप्ट और कंटेंट को जितना भी खराब तरह से दिखाया जा सकता था वह इस फिल्म ने दिखाने की पूरी कोशिश की है। डिस्पैच को अपनी फैमिली के साथ बैठकर नहीं देख सकते। मनोज बाजपेई आपको एक बार फिर अपने पुराने अवतार गैंग आफ वासेपुर की तरह ही दिखाई देने वाले हैं। फिल्मीड्रिप की तरफ से इस फिल्म को पांच में से दो स्टार दिए जाते हैं।
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