Kishkindha Kaandam ending explained:किष्किन्धा काण्डम् मलयालम इंडस्ट्री की मिस्ट्री सस्पेंस थ्रीलर फिल्म है। महज़ 7 करोड़ रूपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर दुनिया भर से 76.52 करोड़ का बिज़नेस किया।
आज किष्किन्धा काण्डम् को डिजनी प्लस हॉटस्टार पर साउथ भाषा के साथ-साथ हिंदी में भी रिलीज़ कर दिया गया है अगर आपने इस फिल्म को देख लिया है तब आपके मन में फिल्म को लेकर बहुत सी जिज्ञासा होगी खास कर इसके क्लाइमेक्स को लेकर। जो आप जानना चाहते है वो सब इस आर्टिकल में छिपा है।
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अप्पू पिल्लई (विजयराघवन) को कौन सी बीमारी होती है।
अप्पू पिल्लई को अल्ज़ाइमर रोग होता है ये एक तरह की दिमागी बीमारी है जिसमे दिमाग छोटा होने लग जाता है। ये बीमारी बढ़ती,उम्र,चिंता,स्ट्रेस,विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन डी की कमी की वजह से होती है।
इस बीमारी में व्यक्ति को नार्मल रूटीन वर्क करने में परेशानी होती है चीज़े भूलने लगता है लोगो को पहचान नहीं पाता है समझने और बोलने में भ्रम जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है।
अप्पू पिल्लई अपनी बुद्धिमानी के कारण इस बीमारी से लड़ना सीख जाते हैं। वह ये भी समझ जाते हैं कि इस बीमारी के साथ किस तरह से जीवन जिया जा सकता है।
चाचू बन्दर को गोली क्यों मारता है
अजय को फिल्म में एक जगह कहते दिखाया गया है की चाचू के बन्दर नंबर एक के दुश्मन है क्युकी बन्दर उसके खिलौने उठा ले जाया करते है यही वजह थी के चाचू ने बन्दर पर गोली चलायी।
अजय विडिओ काल के जरिये किस महिला से बात करता है
अजय जिस महिला से बात करता है वो एक एनजीओ की प्रभारी होती है जो लापता बच्चो की तलाश करते है वेरिफिकेशन के लिए अजय विडिओ काल के ज़रिये उनको सारी बाते बता रहा होता चाचू के गायब होने के बारे में ।
अप्पू पिल्लई बार-बार दस्तावेजों में आग क्यों लगाता है
अप्पू पिल्लई को भूलने की बीमारी है जब अजय अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल जाता है तब अप्पू पिल्लई घर के बाहर ही होता है और जब अप्पू पिल्लई घर पर आता है तब वो चाचू को उसकी ही गन से मरा हुआ पाता है।
फिल्म में अप्पू पिल्लई को सेना का ऑफिसर दिखाया गया है इसलिये वो समझ जाता है के ये एक हादसा है तब अप्पू पिल्लई चाचू को दफ़न कर देता है।
अप्पू पिल्लई अपनी बीमारी की वजह से भूल जाता है के चाचू के साथ क्या हुआ था।अब वह हर बार पता लगाने की कोशिश करता है के उसके पोते चाचू के साथ आखिर हुआ क्या है।
अप्पू पिल्लई को इस बात का भ्रम है के कही उसकी बीमारी की वजह से उसने तो चाचू को नहीं मार दिया।क्युकी उसकी गन से दो गोलिया मिस होती है एक गोली से बन्दर मर जाता है पर दूसरी गोली आखिर कहा गयी,बस इसी बात की खोज में अप्पू पिल्लई लगा रहता है।
हर बार जब उसे पता चल जाता है के आखिर उस रात क्या हुआ था वो अपने द्वारा इकठ्ठा किये सारे सबूतों को जला देता है। अप्पू पिल्लई जानता है के अगर ये सब बाते बाहर आती तो उसके परिवार पर आरोप लग जाता।
फिल्म में बार बार ये चक्र चलता दिखाया गया है जब भी अप्पू पिल्लई केस को सॉल्व करता सभी दस्तावेज जला देता फिर वो ये सब भूल जाता दोबारा से वो इस केस की इन्वेस्टीगेशन में लग जाता ये एक तरह का लूप बन जाता है।
अप्पू पिल्लई बार-बार नक्सल के पास जाता और अपने बारे में मालूम करता के वो कैसा इंसान था क्युकी उसे कही न कही लगता है के उसने ही चाचू का मर्डर किया है।
अप्पू पिल्लई बार- बार एक जगह पर कागज क्यों जलाता था
अप्पू पिल्लई ने जिस जगह पर बन्दर को दफनाया होता है वो उस जगह को किसी दूसरे के हाथो बेच चुका है अप्पू पिल्लई जब चाचू की मौत की गुत्थी सुलझा लेता तब इसे याद आजाता के उसने चाचू को कहा दफनाया था और उसी जगह पार वो बार-बार जाकर दस्तावेज जलाता ताकि उसे याद रहे के चाचू वहा दफ़न है जिससे वो उस जगह को भविष्य में किसी और से न बेचे।
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अप्पू पिल्लई को कैसे पता लगता है के चाचू की मौत में उसका हाथ नहीं है।
अजय 19 की डेट में हॉस्पिटल जाता है पर बच्चे की लापता होने की सूचना वो 20 को देता है अप्पू पिल्लई बार-बार हॉस्पिटल जाता है वहा हॉस्पिटल की डेट और लापता बच्चे की डेट मेल नहीं खाती ।
अजय अपने पिता को बता देता है की चाचू की मौत कैसे हुई पर फिर भी अप्पू पिल्लई इस बात को अपनी डायरी में नहीं लिखता क्युकी वो चाचू की मौत का किसी भी तरह का सबूत नहीं रखना चाहता था उसे पता था एक सबूत उसके परिवार के लिये मुसीबत बन सकती है।