hathya:साल 2025 में कई थ्रिलर फिल्मों ने दर्शकों का ध्यान खींचा,जिनके सस्पेंस और रहस्य ने ऑडियंस को बांधे रखा। इन्हीं में से एक है तेलुगु फिल्म “हथिया” जो 24 जनवरी 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। यह फिल्म अपनी कहानी के बल पर खासा पसंद की गई।
डायरेक्टर श्रीविद्या बसवा ने एक छोटे से गांव में हुई रहस्यमयी हत्या को इस कदर स्क्रीन पर उतारा है कि हर सीन में सस्पेंस बना रहता है। यह फिल्म पूरी तरह से ड्रामा और रहस्य से भरी है,जो दर्शकों को अंत तक उलझाए रखती है। चलिए जानते हैं क्या है इसकी कहानी और कैसा है इसका रिव्यू।
कहानी
“हथिया” की कहानी इलंदुल कडपा जिले से शुरू होती है। जहां एक रसूखदार राजनेता दयानंद रेड्डी (रवि वर्मा) की संदिग्ध हालत में हत्या हो जाती है। यह घटना आने वाले चुनावों से ठीक पहले उनके घर में होती है।
क्योंकि दयानंद एक बड़े नेता थे जिसके चलते वहां के मुख्यमंत्री इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाते हैं, जिसकी कमान पुलिस ऑफिसर सुधा राव (धन्या बालकृष्ण) को सौंपी जाती है। सुधा जैसे जैसे इस केस में आगे बढ़ती है वैसे वैसे उसके सामने सवालों के जवाब निकलकर आते हैं लेकिन हर जवाब के साथ नया रहस्य भी जुड़ता जाता है।
कहानी में एक रहस्यमयी औरत (पूजा रामचंद्रन) हर बार सुधा से एक कदम आगे दिखती है। हर किरदार की अपनी अलग कहानी है कोई पुरानी दुश्मनी,कोई सत्ता का लालच,तो कोई छिपा हुआ राज। सुधा को जांच में कई रुकावटें झेलनी पड़ती हैं।
कभी सबूत गायब हो जाते हैंतो कभी उसे अपनी ही टीम पर शक होने लगता है। एक सीन में उसे दयानंद के घर से एक पुरानी डायरी मिलती है,जिसके कुछ पन्ने फटे हुए हैं। यह डायरी एक बड़ा सुराग देती है पर यह साफ नहीं होता कि कौन क्या छिपा रहा है। धीरे धीरे फिल्म अपने क्लाइमेक्स की ओर बढ़ती है। जहां सारी गुत्थियाँ सुलझती हैं। यह सच्चाई इतनी चौंकाने वाली है कि इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
किरदारों की एक्टिंग:
धन्या बालकृष्ण ने सुधा राव का किरदार निभाया है, और उनकी एक्टिंग देखने में लाजवाब लगती है। उनकी आंखों में दृढ़ निश्चय और चेहरे पर थकान की सिलवटें इस किरदार को बढ़िया बनाती हैं। खासकर एक सीन में जब वह अकेले हत्या की जगह पर खड़ी कुछ सोचती है तो उनकी भावनाएँ स्क्रीन पर छा जाती हैं।
रवि वर्मा ने दयानंद रेड्डी का रोल निभाया है। भले ही उनका किरदार छोटा हो,पर एक प्रभावशाली नेता के रूप में वह याद रहते हैं। श्रीकांत अय्यंगार का छोटा रोल भी कहानी को गहराई देता है खासकर उनकी चुप्पी और उनके रहस्यमयी अंदाज से। पूजा रामचंद्रन की मौजूदगी हर सीन में सस्पेंस को बढ़ाती है।
पॉजिटिव और नेगेटिव पहलू:
“हथिया” का सबसे बड़ा पॉजिटिव पहलू इसका सस्पेंस है। हर नया ट्विस्ट आपके दिल में इस कदर छा जाता है कि आगे क्या होगा। किरदारों की एक्टिंग और कहानी की गहराई इसे खास बनाती है। सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है जो गांव के सन्नाटे और तनाव को स्क्रीन पर लाती है।
बैकग्राउंड म्यूजिक हर सीन में सस्पेंस को और गहरा करता है। लेकिन फिल्म की कुछ कमियाँ भी हैं। सेकंड हाफ में कुछ सीन काफी स्लो लगते हैं, जो कहानी के रोमांच को थोड़ा कम करते हैं। फिर भी,क्लाइमेक्स इतना दमदार है कि यह सारी कमियों को ढक देता है।
तकनीकी पहलू:
डायरेक्टर श्रीविद्या बसवा ने इस फिल्म को बखूबी संभाला है। गांव के दृश्यों को जिस तरह से फिल्माया गया है,वह देखने में शानदार लगता है। रात के सीन और धुंधले माहौल से रहस्य का अहसास बढ़ता है। हालांकि कुछ जगह कहानी थोड़ी और कसी हुई हो सकती थी ताकि फिल्म की गति और तेज रहे।
निष्कर्ष:देखें या नहीं?
अगर आपको सस्पेंस थ्रिलर फिल्में पसंद हैं, तो “हथिया” आपके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन है। यह तेलुगु सिनेमा में थ्रिलर जॉनर को नई ऊंचाई देती है। इसकी पैरेंटल गाइडलाइन की बात करें तो इसे परिवार के साथ भी देखा जा सकता है,क्योंकि इसमें कोई आपत्तिजनक सीन नहीं हैं।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: २.५/५