Final Destination Bloodlines Review hindi:14 साल के इंतज़ार के बाद “फाइनल डेस्टिनेशन: ब्लडलाइन्स” फिल्म को अमेरिका से दो दिन पहले ही रिलीज़ कर दिया गया है। जिस तरह इसके पहले के पांच भाग में कहानी देखने को मिलती है, कुछ उसी तरह से इस भाग की भी कहानी है।
मरने का एक ख़ास तरीका है, अगर आप मौत को चकमा दे सकते हैं तो अपनी जान बचा पाओगे, अगर मौत को चकमा न दिया तो मारे जाओगे। अगर मैं अपनी बात कहूँ तो 1 घंटा 50 मिनट की यह फिल्म मुझे तो अच्छी लगी है, आप भी इसे देखकर इंजॉय कर सकते हैं।
ज़ैक लिपोव्स्की (Zach Lipovsky) और एडम बी. स्टीन (Adam B. Stein) जो कि इस फिल्म के निर्देशक हैं, इन्होंने यहाँ कुछ नया न करते हुए कहानी को पुराने यूनिवर्स में ही कंटिन्यू किया है।

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फिल्म की शुरुआत 1968 के समय से की जाती है। एक कैरेक्टर यहाँ ऐसा दिखाई गयी है, जिसको 1967 में ही मरना था, पर वह अपने दिमाग का अच्छे से इस्तेमाल करके अपनी मौत को चकमा देने में कामयाब रहती है। इसके बाद वह कई दशकों तक खुद को मौत से बचा कर रखती है।
कहानी का ट्विस्ट यह है कि इस लड़की को जिस समय पर मरना था पर वो नहीं मरती है, उस समय इसके पेट में एक बच्चा होता है। अब वह बच्चा जन्म लेता है और इसका वंश आगे बढ़ने लगता है।
प्रैक्टिकली अगर देखा जाए तो यह वंश इस दुनिया में नहीं होना था। अब जो लोग इस समय दुनिया में हैं, वो होना ही नहीं चाहिए थे। मौत जब तक पहली कड़ी, यानी कि उस पहली लड़की को नहीं मारती, तब तक आगे के लोगों को भी यह मार नहीं सकती।
अब इस तरह से मौत इन सबको मारती है, मार भी पाती है या नहीं, या फिर अगली कड़ी जन्म ले लेती है, यह सब जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी जो कि हिंदी डबिंग के साथ सिनेमाघरों में देखने को मिल जाएगी।

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निगेटिव और पॉज़िटिव पॉइंट
फिल्म का कॉन्सेप्ट शानदार है। इसके पहले के हर पार्ट में दोस्तों का ग्रुप दिखाया जाता था पर इस बार फिल्म का केंद्र बिंदु एक परिवार है जिसके पीछे मौत पड़ी हुई है। अब यह मौत किस तरह से लोगों की जान लेती है क्या-क्या नए तरीके खोजती है लोगों की जान लेने के लिए ये सब देखना काफी रोमांच से भरा हुआ है।
पहले के पार्ट से अगर तुलना की जाए तो यहाँ और बेहतर विज़ुअल और प्रोडक्शन वैल्यू दिखाई देते हैं। कास्टिंग के साथ एक्टिंग भी सभी कलाकारों ने बखूबी पेश की है। VFX और CGI पर यहाँ बेहतर काम किया गया है।

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विज़ुअल देखकर ऐसा पता नहीं लगता कि यहाँ कुछ भी CGI की मदद से दिखाया जाने वाला है।फिल्म लोगों को कितनी पसंद आ रही है इसका अंदाज़ा रॉटेन टमाटोज़ की रेटिंग को देखकर लगाया जा सकता है जो कि पूरे 95% की है।
अगर इस भाग से पिछले भाग की तुलना की जाए तो रेटिंग को देखते हुए पिछले भाग को काफी निराशाजनक रेटिंग मिली है।
निष्कर्ष
कहानी शुरू से लेकर अंत तक खुद से बाँधने में कामयाब रहती है। फिल्म में कुछ ऐसे सीन हैं, जिन्हे बच्चों के साथ नहीं देखा जा सकता है। मेरी तरफ से इस फिल्म को दिए जाते हैं पांच में से तीन स्टार की रेटिंग।
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