South Movies Hindi Dubbing AI Secret Revealed:रेट्रो का ट्रेलर हिंदी डब्ड के साथ रिलीज़ कर दिया गया है। अगर आपने भी इस ट्रेलर को देखा है, तो आपको शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी कि यहां पर जो हिंदी डबिंग का इस्तेमाल किया गया है वह AI टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हुआ है।
ट्रेलर देखकर शायद आपको ऐसा ना लगे कि इस ट्रेलर की हिंदी डबिंग में AI का इस्तेमाल किया गया है। पर आज के अपने इस आर्टिकल में हम खुलासा करने जा रहे हैं कि किस तरह से AI का इस्तेमाल करके हिंदी डबिंग की जा रही है।
किस तरह से होती है AI से डबिंग?
AI का इस्तेमाल करके आसानी से किसी भी एक्टर की आवाज़ को हिंदी में डब्ड करके पेश किया जा सकता है। रेट्रो में सूर्या की आवाज़ को संकेत मात्रे के द्वारा हिंदी में डब्ड किया गया है पर संकेत की आवाज़ को सूर्या की आवाज़ से मिलाने के लिए AI का उपयोग हुआ है।
अगर आप इस ट्रेलर को ध्यान से सुनेंगे तो पहले ही डायलॉग में आपको ऐसा लगेगा कि यह संकेत मात्रे की आवाज़ है, पर दोबारा सुनने पर ऐसा लगता है कि ये तो सूर्या जैसी आवाज़ लग रही है। ट्रेलर में आगे के डायलॉग में भी ऐसा ही लगता है कि यह संकेत मात्रे ही बोल रहे हैं पर फिर अगले डायलॉग में ऐसा लगता है कि यहां पर सूर्या की आवाज़ है। ये सब बहुत कन्फ्यूज़ करने वाला है।
संकेत मात्रे की हिंदी डबिंग को हम लोगों ने साउथ फिल्मों में इतनी बार सुना है कि वह अब किसी भी AI सॉफ्टवेयर की मदद से छिपाया नहीं जा सकता। मुझे ऐसा लगता है कि यहां पर बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं थी संकेत की आवाज़ को सूर्या की आवाज़ में मिक्स करके सुनाने की। अगर तमिल और हिंदी दोनों के ट्रेलर को कंपेयर किया जाए तो इन दोनों ट्रेलर में सबसे बड़ा डिफरेंस ये है कि इन दोनों ट्रेलर में जितने भी एक्शन वाले डायलॉग हैं वह तमिल ट्रेलर को देखने पर ज्यादा अच्छा महसूस हो रहे हैं। वहीं हिंदी वर्जन में अगर देखें तो वहां सब उलझा सा दिख रहा है।
हिंदी ट्रेलर में न ही यहां पूरी तरह से संकेत की आवाज़ लग रही है न ही सूर्या की। हिंदी ऑडियंस को सूर्या की आवाज़ की जरूरत नहीं है वह संकेत मात्रे की आवाज़ को ही सूर्या की आवाज़ समझते हैं। यहां सिर्फ एक अच्छे कंटेंट की जरूरत है। AI अभी इतना महान नहीं हुआ है कि हंड्रेड परसेंट हर चीज़ परफेक्ट तरीके से बना कर दे और न ही AI भविष्य में इंसान का मुकाबला कर सकता है।
क्योंकि रोबोट रोबोट होता है और इंसान इंसान। रोबोट को इंसान ने बनाया है ना कि रोबोट ने इंसान को। और जैसा कि हम सब जानते हैं कि AI एक रोबोट है।
ऐसा सिर्फ रेट्रो फिल्म में ही नहीं किया गया है। इससे पहले गेम चेंजर में भी राम चरण की आवाज़ को सचिन गोले की आवाज़ से AI की मदद से मिलाया गया था। पर गेम चेंजर में ना तो सचिन गोले की आवाज़ लग रही थी, और ना ही राम चरण की। फिल्म का अंजाम तो आप सब ने देखा ही था। प्रोड्यूसर को चाहिए कि वह अपना पूरा फोकस फिल्म की कहानी पर रखें न कि वॉइस ओवर पर।
हिंदी डबिंग के जितने भी कलाकार हैं, उन्हें कम से कम प्रोड्यूसर से यह बात तो करनी चाहिए कि हम आपको बेस्ट ऑफ बेस्ट काम करके देने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको क्या जरूरत है AI के इस्तेमाल करने की अगर आप पैसा बचाने के लिए AI का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ठीक है पर यहां पर तो AI का इस्तेमाल करके फिल्म का बजट और भी बढ़ाया गया है। जहां एक ओर संकेत मात्रे से इसकी हिंदी डबिंग कराई गई उसमें सूर्या की आवाज़ को AI के माध्यम से मिलाकर वॉइस ओवर दिया गया है।
शायद आप लोगों को अभी भी यही लगता होगा कि कल्कि में प्रभास ने अपनी हिंदी डबिंग को खुद से किया है पर ऐसा नहीं है। वहां पर AI का इस्तेमाल किया गया था। कल्कि में प्रभास की हिंदी डबिंग को मोहन नींद नाम के एक वॉइस आर्टिस्ट ने हिंदी में डब किया था। मोहन की आवाज़ को प्रभास की आवाज़ में कन्वर्ट किया गया है।
वह तो छोड़िए अभी जल्दी ही मोहनलाल की फिल्म L2: एम्पुरान आने वाली है। आप लोगों को ऐसा ही लगता होगा कि मोहनलाल ने अपनी हिंदी डबिंग खुद से की है, पर नहीं यहां पर भी AI का इस्तेमाल किया गया है। हिंदी डबिंग आर्टिस्ट की आवाज़ से मोहनलाल की आवाज़ को मिक्स किया गया था। अभी हाल ही में नानी की फिल्म हिट 3 का ट्रेलर लॉन्च हुआ।
उसे देखकर आप लोगों को ऐसा ही लग रहा होगा कि इसकी हिंदी डबिंग खुद नानी ने की है, पर नहीं, यहां पर आप गलत हैं। यहां पर भी नानी की आवाज़ न होकर यह एक AI आवाज़ है। जर्सी में नानी की आवाज़ बहुत अच्छी थी वैसी ही आवाज़ हम हिट 3 में भी सुनना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं, नानी को हिंदी बोलना सही से नहीं आता नानी को हैदराबादी भाषा बोलना आता है और हैदराबादी और हिंदी भाषा में बहुत अंतर पाया जाता है।
निष्कर्ष:
जब एक ठीक-ठाक हिंदी वॉइस ओवर किसी फिल्म को दिया जा रहा है तब क्या जरूरत है AI का इस्तेमाल करने की जिसे भी AI के बारे में थोड़ा भी नॉलेज होगा वह तुरंत जान जाएगा कि यह डबिंग AI की मदद से की गई है। साउथ के मेकर्स को चाहिए कि वॉइस ओवर में AI के इस्तेमाल न करके अपनी क्रिएटिविटी कंटेंट पर दिखाएं। एक इंसान जब ₹200 का टिकट खरीद कर सिनेमाघर में जाता है और जब वहां हिंदी वॉइस ओवर उसे रोबोटिक लगती है तो यह अच्छा एक्सपीरियंस बिल्कुल भी नहीं है।
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