Komagata Maru Punjabi Movie Trailer:कोमूगाटा मारू का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है ट्रेलर रिलीज के बाद क्या यह आपकी उम्मीदों पर खरा उतरा भी है या नहीं ट्रेलर के अंदर वह कौन सी खास बातें हैं या वो नेगेटिव पॉइंट,जो आपके दिमाग में चल रही हैं उन सभी बातों को हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से दूर कर देंगे।
ट्रेलर की शुरुआत में हांगकांग का 1914 का दृश्य दिखाया जाता है इससे साफ जाहिर ये होता है की कहानी में जो कुछ भी दिखाया जाने वाला है वह 1914 का है।
ट्रेलर का दूसरा सीन कैनेडा के वेंकूवर सिटी का है इसी तरह से ट्रेलर में बहुत बड़े-बड़े सीन के साथ ही ब्रिटिशर भी नजर आ रहे हैं ट्रेलर में गुरप्रीत गुग्गी के भी कुछ सीन देखने को मिलते हैं जो इस फिल्म को देखने की चाह को बढ़ाता है।
यह ट्रेलर काफी एक्साइटमेंट से भरा हुआ है जो फिल्म को देखने के लिए हमें मजबूर करता है ट्रेलर में बहुत सारे वीएफएक्स और अच्छे-अच्छे सीन को दिखाया गया है जिसे देखकर एक बात तो पता चल ही गई है की फिल्म में सिनेमैटोग्राफी और कलर ग्रेडिंग का इस्तेमाल बहुत अच्छे से किया गया होगा।
ट्रेलर के पीछे जो वॉइस ओवर सुनाई देती है वो परमीश वर्मा की आवाज जैसी लग रही है।ट्रेलर में काफी बड़े-बड़े और हैवी डायलॉग का इस्तेमाल किया गया है जिसे सुनकर लगता है कि यहां किसी चीज को लेकर बगावत की जाने वाली है फिल्म के जिसने भी डायलॉग लिखे हैं वह काफी अच्छे ढंग से लिखे गए हैं।
इस को देखकर बहुत सारी चीज़ो का पता लगता हैं की फिल्म की कहानी क्या होने वाली है कोमूगाटा मारू के बारे में अगर आपको नहीं पता है तो हम इसके बारे में आपको जानकारी देते है।
कोमागाटा मारू घटना के बारे मे
कनाडा में अधिकतर पापुलेशन एक ही जगह पर रहती है बाकी की जितनी भी जमीन है वह सब खेती के लिए है कनाडा के पास खनिज और खेती का अपार भंडार है।
कहानी 1914 की है जब भारत का जहाज़ जिसे गुरु दत्त सिंह ने जापान से किराये पर लाया था।इसी जापानी जहाज का नाम था कोमूगाटा मारू इस पर लगभग 376 भारतीय लोग बैठे हुए थे जो एक अच्छे भविष्य की तलाश में कनाडा की ओर निकले इनमे हिंदू मुस्लिम सिख समुदाय के लोग थे पर जो सबसे ज्यादा जहाज की पापुलेशन थी वह सिख समुदाय की ही थी।
यह जहाज वैंकूवर की ओर रवाना हुआ तब ब्रिटेन ने कनाडा से कहा कि इस जहाज को कनाडा में प्रवेश निषेध करना चाहिए। तब इस जहाज को कनाडा ने अपने देश में आने की अनुमति नहीं दी और बॉर्डर पर ही रोक दिया जब यह जहाज वापस कनाडा से लौटाया गया तब ये वापस आकर इंडिया में कोलकाता के बजबज बंदरगाह पर पहुंचा ,
जब यह जहाज कोलकाता में पहुंचा तब यहां पर ब्रिटिश सिपाहियों ने गुरुदत्त सिंह के साथ उनके सभी साथियों को संदिग्ध माना और हिरासत में लेने की कोशिश की दौरान इन दोनों के बीच हिंसाक झड़प हुई जिसमें कई भारतीय नागरिक की जान गई और घायल हुए इसी घटना को कामागाटा मारू के नाम से जाना जाता है। 2016 में इस घटना के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ने आधिकारिक रूप से माफी मांगी थी यह इतिहास का वह काला पन्ना है जो कभी भी साफ नहीं किया जा सकता।
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