3 Life Changing Lessons from Squid Game 2:नेटफ्लिक्स का बेहद चर्चित शो स्क्विड गेम, जिसका सीजन 2 बीते गुरुवार, 26 दिसंबर को हिंदी में रिलीज किया गया। यह अपने सीजन 1 से भी ज्यादा रोमांचकारी और थ्रिल का ऐसा है
वी डोज है जोकि नेटफ्लिक्स की नैया पार लगा देगा। जिसे देखने के बाद दर्शकों द्वारा सोशल मीडिया पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिर चाहे वह शो के कंटेस्टेंट हों या फिर इसकी लाजवाब कहानी, सभी चीजें इंसानी जीवन से, किसी न किसी तरह रियल लाइफ से जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही तीन मुख्य चीजों की बात करेंगे आज हमारे इस आर्टिकल में।
मानव का लालच सिर्फ पैसा चुनता है-
सीजन 2 के शुरुआती एपिसोड में जिस तरह से ‘द सेल्समैन’, यानी वह सूट-बूट वाला इंसान जो इस शो में लोगों की भर्ती करता है। वह कुछ भिखारियों को खाने और स्क्रैच कार्ड में से किसी एक को चुनने को कहता है। हालांकि उनमें से सभी भिखारी भले ही भूख से तड़प रहे होते, पर इसके बावजूद भी वे हर बार स्क्रैच कार्ड यानी अपने लालच को ही चुनते हैं।
एकता में ही शक्ति है-
स्क्विड गेम सीजन 2 में टास्क के दौरान सभी कंटेस्टेंट अपने-अपने लिए खेलते हैं। जिससे वे हर बार अपने किसी न किसी साथी की जान गवा बैठते हैं।
पर फर्स्ट हाफ में एक टास्क के दौरान जब यह सभी मिलकर खेलने लगते हैं। तब किसी की भी जान नहीं जाती। जिससे यह शो रियल लाइफ में भी सीख देने की कोशिश करता है कि अगर मिलकर किसी चीज पर काम किया जाए तो उसमें कामयाब होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं।
लालच बुरी बला है-
स्क्विड गेम के सीजन २ में भी कई बार यह दर्शाने की कोशिश की गई थी, कि मानव का लालच ही उसके पतन का कारण बन जाता है। मानवी दिमाग लालच से उच्च स्तर तक भरा हुआ है। और इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है जब गेम शुरू होने से पहले सभी लोगों को सेलेक्ट किया जाता है।
तब उन सब में किसी न किसी की पैसों से जुड़ी हुई कोई न कोई मजबूरी देखने को मिलती है। और उनमें से हर कोई अपनी मजबूरी को खत्म करने के लिए,पैसे के लालच में आकर इस जान लेवा गेम के रूल बिना जाने। उसमें हिस्सा लेने को तैयार हो जाता है।
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