Riwaj Movie review:मुस्लिम समुदाय के जटिल और संवेदनशील कानून को उजागर करती डायरेक्टर “मनोज सती” की फिल्म “रिवाज”, को आज 13 मार्च 2025 के दिन Zee5 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म में उठाया गया मुद्दा इतना नाजुक है कि इसे लेकर बात भी सोच समझकर ही करनी चाहिए।
यह फिल्म इस्लामिक कानून में शादी के बाद औरतों की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों पर आधारित है, और दिखाती है कि कैसे कुछ लोग इस्लाम की आड़ में इसके बनाए गए कानूनों गलत फायदा उठाते हैं। फिल्म के मुख्य किरदार में बॉलीवुड के चार्मिंग बॉय कहे जाने वाले अभिनेता “आफताब शिवदासानी” नजर आते हैं। चलिए जानते है इस फिल्म की कहानी को और करते है इसका रिव्यू।

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कहानी:
फिल्म की शुरुआत देहरादून की खूबसूरत वादियों से होती है जहाँ एक मुस्लिम परिवार रहता है। इस परिवार के मुखिया समद भाई हैं। जिनके घर में दो बेटे और एक बेटी “ज़ैनब” (मायरा सरीन) ने जन्म लिया। हालाकि उस वक्त उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि आगे चल कर उनकी बेटी का भविष्य कितना मुश्किल होने वाला है।
समय बीतता है बच्चे बड़े होते हैं और जैनब स्कूल से कॉलेज और फिर शादी की उम्र तक पहुँच जाती है। हर माँ बाप की तरह समद भाई भी अपनी बेटी के लिए अच्छा रिश्ता ढूँढते हैं। उनकी बहन के जरिए हैदराबाद की एक फैमिली से रिश्ता आता है, और यहाँ फिल्म में एंट्री होती है “आफताब शिवदासानी” की जिन्होंने फिल्म में “हनीफ” का किरदार निभाया है।
लड़के वाले आते हैं जैनब पसंद की जाती है,बात पक्की होती है और निकाह हो जाता है। शादी के शुरुआती दिन ठीक चलते हैं। लेकिन जैसे ही जैनब प्रेग्नेंट होती है उसके ससुराल में कुछ ऐसा शुरू होता है जो उसकी जिंदगी को बिखेर देता है। कभी खाने में गर्भपात की दवा मिलाई जाती है तो कभी जानबूझकर फर्श पर पानी डालकर उसे गिरा दिया जाता है। जिसके कारण हर बार वह अपनी प्रेग्नेंसी खो देती है।

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साल बीतते हैं और उसे अपने ससुराल वालों पर खासकर हनीफ की माँ (अनीता राज) पर शक होने लगता है। अनीता राज का किरदार जब स्क्रीन पर आता है तो नेगेटिविटी अपने चरम पर दिखती है। जिन्होंने अपनी टिपिकल विलेन वाली छवि फिल्म में पेश की है।
शक गहराने पर जैनब हनीफ से कहती है कि वह अपने अगले बच्चे का चेकअप अपने मायके देहरादून में करवाएगी। वहाँ वह एक बेटी को जन्म देती है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब हनीफ अपने बचपन के सपने दुबई में सेटल होने को पूरा करना चाहता है।
इसके लिए वह अपनी मौसी की बेटी से शादी का प्लान बनाता है क्योंकि वह दुबई में ही सेटल है साथ ही जैनब को स्पीड पोस्ट से तलाक दे देता है। जैनब जो एक सशक्त लड़की है वह इसे बर्दाश्त नहीं करती और कोर्ट का रास्ता चुनती है। सेकंड हाफ में कोर्ट केस और “हलाला” जैसे गंभीर कॉन्सेप्ट सामने आते हैं।
कहानी का एक भावुक मोड़ तब आता है जब जैनब नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश करती है। तभी एंट्री होती है “मिथुन चक्रवर्ती” की जो मशहूर एडवोकेट “रमजान कादरी” का किरदार निभाते हैं। रमजान ने अपनी बेटी “शबनम” को इसी तरह के हालात में खोया था।
जो सईद नाम के लड़के से शादी के बाद नदी में कूद गई थी और अब वह आगे नहीं चाहते कि ऐसा किसी और की बेटी के साथ भी हो। इसी लिए वह जैनब को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ते हैं। क्या जैनब को इंसाफ मिलेगा या हनीफ जैसे लोग इस्लाम के पवित्र कानून का गलत फायदा उठाते रहेंगे? यह सब जानने के लिए आपको देखनी होगी यह फिल्म।
टेक्निकल पहलू:
फिल्म की शूटिंग Zee5 की वही टिपिकल लो बजट शैली में हुई है जो आपने इससे पहले भी उनकी कई फिल्मों में देखी होगी। सिनेमैटोग्राफी में कुछ खास नहीं है जिसमे देहरादून की वादियाँ भी फीकी लगती हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक की बात करें तो वह किसी पुराने टीवी सीरियल जैसा लगता है जो कहानी के मूड को कमजोर करता है।
फिल्म के निगेटिव पहलू:
“रिवाज” की सबसे बड़ी कमी इसका लो बजट होना है। आफताब जैसे टैलेंटेड एक्टर को लेकर भी ऐसा लगता है कि उनका हुनर बर्बाद किया गया,हालाँकि काम की कमी में मजबूरी समझी जा सकती है। फर्स्ट हाफ में कॉलेज के सीन ओवरएक्टिंग से भरे हैं चाहे जैनब हो या उसकी सहेलियाँ सब बनावटी लगते हैं। कुछ लड़के जो कॉलेज टाइम में जैनब पर लाइन मारते हैं वे भी बेमानी से लगते हैं। एक सीन तो बिल्कुल अजीब है “जहाँ जैनब का कॉलेज का क्रश अचानक उसकी बेस्ट फ्रेंड सुमन से शादी कर लेता है,बिना किसी तर्क के यह सीन जबरदस्ती ठूंसा हुआ लगता है।
फिल्म के पॉजिटिव पहलू:
आफताब का कमबैक:
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है आफताब शिवदासानी की एक्टिंग है। हनीफ के किरदार में उन्होंने कमाल कर दिखाया है,उनके हर सीन में उनकी मेहनत झलकती है। जिससे यह साफ हो जाता है कि वह अब भी एक्टिंग करना भूले नहीं हैं। भुलाने वाली तो यह नेपो इंडस्ट्री है जो उन्हें मौके नहीं देती।
तीन तलाक की सच्चाई:
फिल्म में तीन तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दे को बखूबी दिखाया गया है। यह समझाने की कोशिश की गई है कि यह कानून औरतों की सुरक्षा के लिए बना था, लेकिन आज कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। खास बात यह है कि फिल्म बिना इस्लाम की भावनाओं को ठेस पहुँचाए अपनी बात रखती है। इसके लिए डायरेक्टर मनोज सती की तारीफ बनती है।
मिथुन का इमोशनल टच:
मिथुन चक्रवर्ती का किरदार फिल्म को गहराई देता है। 90s के सुपरस्टार की एक्टिंग पर सवाल उठाना ऐसा है “जैसे किसी शेफ से पूछना कि उसे खाना बनाना आता है या नहीं”।
अपनी बेटी को खोने का दर्द और जैनब को इंसाफ दिलाने की जिद मिथुन ने इसे इतने नेचुरल तरीके से निभाया है,कि बड़े बड़े जवान हीरो को पीछे छोड़ सकते हैं।
निष्कर्ष:
अगर आपको समाज के गंभीर मुद्दों पर बनी फिल्में पसंद हैं तो “रिवाज” आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकती है। खासकर वे लोग जो तीन तलाक जैसे कानून को हटाने के खिलाफ थे उन्हें यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए। यह बिना इस्लाम को गलत ठहराए एक जरूरी सोशल मैसेज देती है।
भले ही इसमें गाने, थ्रिलर या कॉमेडी का तड़का न हो,लेकिन यह आपके दिल को छूने में कामयाब होती है। फर्स्ट हाफ को थोड़ा काट कर छोटा किया जा सकता था,पर सेकंड हाफ की गंभीरता इसे देखने लायक बनाती है। Zee5 पर इसे जरूर एक मौका दें।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: ३/५
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