ये पाँच लोगों की एक फैमिली की कहानी है, जो प्रदीप फैमिली के नाम से जाने जाते हैं। सुधा, महेश, विनोद, कमल, भानु, इन पाँचों किरदारों के इर्द-गिर्द कहानी घूमती रहती है। ये पाँचों लोग अहमदाबाद से पिट्सबर्ग में शिफ्ट होते हैं।
कहानी की शुरुआत में ही दिखा दिया जाता है कि ये पाँचों लोग पुलिस की पूछताछ में हैं। हुआ कुछ ऐसा होता है कि इनके पड़ोसी का घर जल गया है और उसको जलाने का इलज़ाम इनका पड़ोसी इनके ऊपर लगा देता है।
पूरी सीरीज़ पास्ट और प्रेजेंट में चलती दिखायी देती है। शो में बहुत-सी ऐसी छोटी-छोटी चीज़ों को दिखाया गया है, उदाहरण के रूप में हम सबको लगता है कि विदेश में जाकर मज़ा आएगा, वहाँ का रहन-सहन भारत से अच्छा है। विदेश में अच्छी ज़िंदगी है, पर असल में ऐसा नहीं होता है। वहाँ सबको स्ट्रगल करना होता है, बस दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।
जो लोग कनाडा या अमेरिका जैसे देश में गए हुए हैं, उन्हें ये सीरीज़ देखकर बहुत मज़ा आने वाला है क्योंकि जो इस शो में दिखाया गया है, वो काफी हद तक असल होता है।
शो आपको इन पाँच किरदारों से पूरी तरह से जोड़ देता है। हर एक किरदार पर शो में अच्छे से काम किया गया है।
शो के पॉज़िटिव और निगेटिव पॉइंट
इस शो के सभी एपिसोड के डायरेक्टर अलग-अलग हैं। निर्देशक ने इसमें एडल्ट सीन और डायलॉग का इस्तेमाल किया है, जिससे ये शो फैमिली के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता। पर जिस माहौल में शो को फिल्माया गया है, वहाँ पर इस तरह की चीज़ें नॉर्मल हैं।
पहले दो एपिसोड के बाद ऐसा लगता है कि इसकी स्टोरी को बहुत खींचा जा रहा है। पर हर एक एपिसोड में कुछ ऐसी भी चीज़ें होती हैं, जो आपको इससे जोड़े रखती हैं। शो की एंडिंग आधी-अधूरी की गयी है, जिसको देखकर लगता है कि इसका सीज़न 2 भी देखने को मिल सकता है।
निष्कर्ष
अगर आप एक ऐसी कॉमेडी सीरीज़ देखना चाहते हैं, जिसमें हँसी न भी आए तो चलेगा, तब ये शो आपके लिए है। प्रदीप की फैमिली बहुत भोली दिखायी गयी है, ठीक तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जैसा। ये शो हँसी की गारंटी नहीं देता, पर टाइम पास ज़रूर कर सकता है। हमारी तरफ से इस शो को पाँच में से दो स्टार दिए जाते हैं।
READ MORE


