Shakespeare tragedies adaptation indian film:बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक टैलेंट देखने को मिलता है,चाहे बात अभिनेता या अभिनेत्री की हो या फिर डाइरेक्टर , प्रोडूसर, रायटर, म्युज़िक कम्पोज़र की हो हर किसी में अपना एक अलग टैलेंट है वहीं इनके बीच एक शक्स है जिसने इंडियन शेक्सपियर का ख़ताब ले रखा है अगर आप भी शेक्सपियर के बारे में पढ़ते हैं तो आपके लिए ये लेख और भी दिलचस्प होने वाला है।दरसल हम बात करेंगे इंडियन सिनेमा की एक शक्शियत विशाल भारद्वाज के बारे में।
म्यूज़िक कम्पोजीशन से की थी कैरियर की शुरुआत
विशाल भारद्वाज का जन्म 1965 में चांदपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था, विशाल ने अपने करियर की शुरूआत 1995 में आई फिल्म “अभय” से की थी जिसमें विशाल ने बतौर संगीतकार काम किया था वहीं 1996 में आई फिल्म “माचिस” में भी विशाल भारद्वाज ने म्यूजिक कंपोजिशन किया था जिसके लिए विशाल भारद्वाज को नए म्यूजिक टेलेंट के लिए फिल्मफेयर आर डी बर्मन अवॉर्ड मिला।
और यहीं नहीं विशाल ने “सत्या” और “गॉडमदर” जैसी फिल्मों में एक संगीतकार के रूप में भी काम किया जिसने “गॉडमदर” के लिए विशाल भारद्वाज को1998 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।और ये पुरस्कार विशाल भारद्वाज को सफलता की ओर ले गए।
विशाल भारद्वाज कैसे बने इंडियन शेक्सपियर
दोस्तो इंडियन शेक्सपियर का ख़ताब विशाल भारद्वाज ने लिया है अब ऐसा क्यों है ये भी जानेंगे,आपको बता दें कि एक संगीतकार के रूप में विशाल भारद्वाज ने 1995 में काम की शुरुआत की थी, लेकिन एक निर्देशक के रूप में विशाल ने 2002 में “मकड़ी” फिल्म से डेब्यू किया था।
पर मजा तो तब आया जब एक लेखक और निर्देशक के रूप में विशाल भारद्वाज ने “मकबूल” फिल्म में काम किया जो 2003 में आई थी, दअरसल “मकबूल” फिल्म शेक्सपियर की प्रसिद्ध ट्रेजेडी “मैकबेथ” की कहानी पर आधारित थी,अगर आपने “मैकबेथ” पढ़ी है तो आप इस फिल्म को मैकबेथ से रिलेट कर पाएंगे।मकबूल में एक एक किरदार और कहानी को विशाल ने बहुत अच्छे से प्रस्तुत करके “मैकबेथ” को रिप्रजेंट किया है।और यही वजह थी कि मकबूल को दर्शकों ने बहुत पसंद किया और विशाल भारद्वाज ने खूब सारी तारीफ बटोरी।
वही “मकबूल” की सफलता के बाद विशाल रुके नहीं और शेक्सपियर की एक और ट्रेजेडी “ओथेलो” को ले कर आ गए।हालांकी “ओथेलो” हॉलीवुड में 4 बार एडाप्ट हो चुकी है और विशाल भारद्वाज “ओथेलो” की कहानी को अपनी फिल्म ओमकारा में लेकर आए जिसका मुख्य किरदार बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन ने निभाया था।
अब ओथेलो को रिप्रेजेंट करने के लिए विशाल ने ओमकार फिल्म को उत्तर प्रदेश की एक राजनीतिक एजेंडा में रिप्रेजेंट किया,हालांकी फिल्म के किरदार ओथेलो से काफी मिलते-जुलते रखे गए थे,और फिल्म की कहानी और थीम भी ओथेलो की कॉपी रखी गई।
अभी शेक्सपियर की एक और ट्रेजेडी “हैमलेट” बाकी थी और इसको भी विशाल भारद्वाज ने नहीं छोड़ा और एक और फिल्म जो “हैमलेट” को रिप्रजेंट करती नजर आई वो थी “हैदर” जो 2015 में आई थी और इस फिल्म में मुख्य भूमिका में शाहिद कपूर नज़र आये।
हैदर फिल्म का थीम कश्मीर रखा गया हालांकी स्टोरी हैमलेट से मिलती जुलती ही रखी गई थी,और फिल्म के किरदार भी हेमलेट से ही लिए गए।इन फिल्मों को देखने के बाद विशाल भारद्वाज को इंडियन शेक्सपियर का ही नाम देना चाहिए और इन फिल्मों में जो उनका काम है वो भी काबिले तारीफ है।