50 मिलियन के बजट में तैयार की गई यह एक हॉरर मिस्ट्री फिल्म है जिसे रॉबर्ट एगर्स के द्वारा निर्देशित किया गया है। 2 घंटे 12 मिनट की यह फैंटेसी हॉरर सस्पेंस वाली फिल्म दिसंबर के महीने में अमेरिका में रिलीज कर दी गई थी।
अमेरिका में अपार सफलता मिलने के बाद इसे 10 जनवरी 2025 को भारत में रिलीज किया गया।यह फिल्म एक ऐसे जोड़े पर आधारित है जो की कोई आम इंसान नहीं है,आइये करते है फिल्म का फुल रिव्यू और जानते हैं यह आपको डराने में कितनी कामयाब रहती है।
फ़िल्म समीक्षा
कहानी 1922 में रिलीज हुई नोस्फेरातु: अ सिम्फनी ऑफ हॉरर पर आधारित है। रॉबर्ट एगर्स ने अपने द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू में बोला था कि उन्हें पता है कि लोग भूत प्रेत वैंपायर से बहुत प्यार करते हैं यह पूरी फिल्म ड्रैकुला पर आधारित है। एक हॉरर फिल्म में जितने भी जॉनर होने चाहिए वह सभी इसमें नजर आते हैं।
यहाँ 102 साल पुरानी फिल्म का दोबारा से रीमेक करके पेश किया जा रहा है।डायरेक्टर रॉबर्ट एगर्स जिन्होंने इससे पहले द विच, द लाइटहाउस, द नॉर्थमैन जैसी फ़िल्में बनाई। रॉबर्ट एक अच्छी साइकोलॉजिकल हॉरर फिल्म बनाने में माहिर माने जाते है।
इसकी कहानी ऑब्सेशन वाली है कहानी एक ऐसी औरत के बारे में है जिसे एक खतरनाक वैंपायर पसंद करता है यह फिल्म अपनी अच्छी कास्टिंग की वजह से भी देखी जा सकती है जिसकी कहानी अनाधिकृत ब्रम स्टोकर की ड्रैकुला नॉवेल का एडॉप्शन है। यही वजह है कि ड्रैकुला और नोस्फेरातु में काफी सिमलैरिटी भी दिखाई पड़ती है।
बिल स्कार्सगार्ड ने इस फिल्म में वैंपायर का किरदार निभाया है उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह इस किरदार को करते समय खुद भी डर गए थे। इस तरह के रोल को अब वह भविष्य में दोबारा कभी भी नहीं करेंगे। नोस्फेरातु को देखकर ऐसा लगता है कि डायरेक्टर ने इस पर काफी रिसर्च करी है इसी के जैसी उनकी पिछली फिल्मो में भी काफी रिसर्च देखने को मिलती है।
यह पूरी फिल्म पुराने समय के अनुसार ही बनाई गई है।नोस्फेरातु को देखकर कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि यह 2024 में बनी हुई फिल्म है डार्क पहाड़ियों के साथ बर्फ से ढकी रोड पुराने जमाने की फील कराता है।
फिल्म का डायरेक्शन और प्रेजेंटेशन कास्टूम डिजाइनिंग प्रोडक्शन डिजाइनिंग शानदार है।कहानी में पुराना टाइम जिस तरह से देखने को मिलता है वह काफी इंप्रेसिव है मेकर ने कुछ इस तरह से इस दुनिया को दिखाया है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि हम खुद वहीं पर मौजूद हो सब कुछ रियल जैसा।
फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट वीएफएक्स है जिसको देख कर हमें पता ही नहीं चलता के इसके सीन में वीएफएक्स का इस्तेमाल भी हुआ है।
कहानी आपको कहीं से भी डराती नहीं है पर यह फिल्म इस तरह के माहौल में चलती है जिसे देख कर आपको खुद बा खुद इससे डर लगता है नोस्फेरातु को बिल्कुल भी प्रिडिक्टेबल ना बनाकर पूरी तरह से अनप्रिडिक्टेबल बनाया गया है जिसे देखते समय ऐसा बिल्कुल भी पता नहीं होता कि आगे क्या दिखाया जाने वाला है और जो हम सोचते हैं वह तो बिल्कुल भी होता दिखाई नहीं देता।
2 घंटे 12 मिनट की इस फिल्म को आप हिंदी डबिंग के साथ देख सकते हैं यह एक अच्छा सिनेमैटिक एक्सपीरियंस देगी पर इसे फैमिली के साथ न देखे क्योंकि इसमें बहुत सारे एडल्ट और न्यूड सीन देखने को मिलते है। फ़िल्मी ड्रिप की तरफ से इसे दिये जाते है पांच में से तीन स्टार।
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