Good Bad Ugly Review hindi 2025:10 अप्रैल 2025 को एक तमिल एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा फिल्म सुपर स्टार अजित कुमार की “Good Bad Ugly” नाम की फिल्म रिलीज़ की गई है। यह एक टिपिकल मास मसाला फिल्म है।
अभी ये हिंदी में रिलीज़ नहीं की गई, पर इंग्लिश सबटाइटल के साथ तमिल भाषा में देखी जा सकती है।अगर आप लोगों ने ध्रुव सरजा की फिल्म “मार्टिन” देखी होगी तो “Good Bad Ugly” फिल्म को देख कर एक बात तो पक्की है कि “मार्टिन” फिल्म की याद ज़रूर आने वाली है।
निर्देशक: अधिक रविचंद्रन
कास्ट:अजित कुमार, त्रिशा कृष्णन, अर्जुन दास, प्रभु, योगी बाबू
कहानी:
कहानी एक गैंगस्टर की दिखाई गई है। ये कोई छोटा-मोटा सड़क छाप गैंगस्टर नहीं, बल्कि इंटरनेशनल गैंगस्टर है। गैंगस्टर के किरदार में अजित कुमार दिखाई पड़ते हैं, पर एक टाइम पर यह सब अपनी फैमिली के लिए गलत कामों को छोड़ देते हैं और एक नॉर्मल ज़िंदगी बिताने लग जाते हैं। पर बात जब इनके परिवार पर आती है, तब अजित कुमार अपने बेटे को बचाने के लिए दोबारा से अपने पुराने रूप में एक बार फिर से आते हैं।
कहानी में फिर शुरू होता है बेसर-पैर के सीन, जिनको समझने के लिए अगर आप अपना दिमाग घर पर भी रख आते हैं, फिर भी कोई दिक्कत वाली बात नहीं है , आराम से समझ जायेंगे। ये फिल्म आपका मनोरंजन करने में कामयाब उसी तरह से करती है, जिस तरह से “मार्टिन” ने किया है। बाकी आप समझदार तो हैं ही, समझ सकते हैं कि मैं क्या कहना चाह रहा हूँ।
शुरुआती जेल में हुए एक्शन सीक्वेंस को देख कर ही पता लग जायेगा कि कहानी हमारे सामने किस तरह से पेश की जाने वाली है। जेल में लड़ाई हो रही है, जेल से कैदी आसानी से बाहर निकल रहे हैं,एक्शन सीक्वेंस के बीच में पेपर की कटिंग हवा में उड़ती दिखाई जा रही है। जेल में पेपर कौन उड़ा रहा है और कहाँ से आ रहे हैं, ये लॉजिकल है। पर फिल्म का लॉजिक से दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है।
निर्देशक अधिक रविचंद्रन को पता है कि अजित कुमार की फिल्म है और इनके फैन को कुछ भी दिखा दो, पसंद तो कर ही लेते हैं।फिल्म के शुरुआती सीन में अजित के फैन सीटी भी बजा रहे थे और तालियाँ भी मार रहे थे मर जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है सभी फैन शांत हो जाते है ।
क्या ख़ास है “Good Bad Ugly” में:
अजित कुमार की इस फिल्म में भर-भर के कैमियो दिखाए गए हैं। जो देख कर थोड़ा सुकून तो ज़रूर मिलता है। क्रिएटिव तरीके से अजित कुमार की पुरानी फिल्मों के रेफरेंस भी यहाँ देखने को मिलते हैं। ये सब अच्छा होने के बाद भी जितना हमने फिल्म से सोचा था, उतना ये हमें न दे सकी। फिल्म का पहला भाग अच्छा है, जो बोर फील नहीं कराता।
अगर आप अजित कुमार के कट्टर फैन हैं, तब इनका जलवा स्क्रीन पर नज़र आएगा। जी. वी. प्रकाश कुमार का बैकग्राउंड म्यूज़िक ठीक-ठाक है। माइथ्री मूवी मेकर्स और टी-सीरीज़ ने इस पर काफी खर्चा किया है, जो देख कर लगता है।

नकारात्मक पहलू
फिल्म देखने से पहले एक बात दिमाग में डाल कर जाना कि यहाँ कुछ लॉजिकल देखने को नहीं मिलने वाला। हिमेश रेशमिया ने तो अपनी फिल्म “बैड ऐज़ रवि कुमार” में पहले ही बता दिया था कि लॉजिक की यहाँ कमी है। अगर वैसे ही “Good Bad Ugly” के बारे में भी पहले ही बता दिया जाता, तो ज़्यादा अच्छा रहता।
कहानी में दम नहीं, फिल्म का दूसरा हिस्सा कमज़ोर है। सपोर्टिंग कलाकारों को स्क्रीन टाइम कम दिया गया है। किरदारों में वो डेप्थ देखने को नहीं मिलती, कुछ अधूरापन सा है। बहुत से सीन ओवर-द-टॉप हैं। म्यूज़िक में कहीं-कहीं पर कुछ ज़्यादा ही शोर-शराबा सुनने को मिलता है, जिसे थोड़ा बैलेंस किया जा सकता था।
निष्कर्ष:
अगर आप अजित कुमार के कट्टर फैन हैं मेरी तरह, तो यह फिल्म आपको अच्छी लग सकती है, पर बिना दिमाग के इस्तेमाल किये हुए। मेरी तरफ से “Good Bad Ugly” को दिए जाते हैं पाँच में से ढाई स्टार। वैसे तो मैं दो स्टार ही देना चाह रहा था, पर अजित कुमार के लिए आधा स्टार एक्स्ट्रा ऐड कर दिया।
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