Gentlewoman review in hindi:बीते शुक्रवार 7 मार्च 2025 के दिन तमिल सिनेमा इंडस्ट्री ने कई फिल्मों को दर्शकों के सामने पेश किया। इनमें “किंग्सटन” “मुरमुर” और “लेगपिस” जैसी फिल्में शामिल थीं,जिनमें कुछ हॉरर तो कुछ कॉमेडी ड्रामा की दुनिया से थीं। पर इन सबके बीच एक ऐसी फिल्म भी रिलीज हुई जो समाज की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है,जिसका नाम “जेंटलवुमन” (Gentlewoman) है।
भले ही इसे ज्यादा सिनेमाघरों में स्क्रीन न मिली हो पर दर्शकों के दिलों में यह अपनी खास जगह बना रही है। फिल्म का डायरेक्शन “जोशुआ सेथुरमन” (Joshua Sethuraman) ने किया है,जिन्होंने इसी फिल्म के साथ अपने डायरेक्शनल करियर की शुरुआत की है। मुख्य किरदारों में “लिजो मोल जोस” (Lijomol Jose) और “हरिकृष्ण” (Hari Krishnan) जैसे कलाकार नजर आते हैं। जेंटल वूमेन की कहानी रिलेशनशिप ड्रामा के इर्द गिर्द बुनी गई है। चलिए जानते हैं इसकी कहानी और करते हैं फिल्म का पूरा रिव्यू।

कास्ट:
लिजोमोल जोस,हरि कृष्णन,लोसलिया मारियानेसन,आर.राजीव गांधी,धरणी,वैराबालन,नंदिता श्रीकुमार,सुदेश।
कहानी:
फिल्म की कहानी हालही में शादी के बंधन में बंधे जोड़े ‘अरविंद’ (हरिकृष्ण) और ‘पूर्णी’ (लिजो मोल जोस) पर केंद्रित है। पूर्णी जो अपने पति अरविंद से बेहद प्यार करती है उसके लिए हर छोटी बड़ी चीज दिल से करती है। सुबह जल्दी उठना नाश्ता बनाना ऑफिस के लिए टिफिन पैक करना,यह सब उसकी दिनचर्या का हिस्सा है।
भले ही वह रात को देर से सोई हो पर सुबह वक्त पर उठकर अपने पति की हर जरूरत को पूरा करती है। यह दर्शाता है कि एक पत्नी अपने पति की कितनी परवाह करती है। दूसरी ओर अरविंद उन ज्यादातर मर्दों की तरह है, जो अपनी पत्नी के इन प्रयासो को नजरअंदाज कर देते हैं। वह पूर्णी के लिए कुछ खास नहीं करता और उसकी मेहनत को हल्के में लेता है।
जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है यह साफ हो जाता है कि अरविंद ने पूर्णी को एक चक्रव्यूह में फसा दिया है। वह हर दिन वही रूटीन फॉलो करती है। जिसके चलते उसकी अपनी जिंदगी सोशल लाइफ और रिश्तेदारों से बातचीत तक खत्म हो गई है। पर कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब अरविंद एक गाना सुनता है जिसके बोल हैं-
“खुशी तभी है जब आपके पास प्यारी पत्नी और सुंदर साथी हो”।

यकीन मानिए, यह गाना सिर्फ बहाना था,जो अरविंद के भीतर की बेचैनी को जगा देता है। इसके बाद वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से ऊब जाता है और एक नए प्रेमी साथी की तलाश में निकल पड़ता है। वह शादी तो नहीं करना चाहता बस अपनी जिंदगी में कुछ और रंग भरना चाहता है। यह सोच आज के समाज में कई मर्दों में देखने को मिलती है जिन्हें मानसिक रूप से बीमार ही कहा जा सकता है।
अरविंद भी ऐसा ही व्यक्तित्व अपना लेता है। शुरुआत में पूर्णी को इसकी भनक नहीं लगती। पर वक्त के साथ उसे पता चल जाता है कि उसका पति “अन्ना” (लोसलिया मारियानेसन) नाम की दूसरी औरत के साथ रिलेशनशिप में है। फिर भी पूर्णी अपने पति को भगवान मानती है और इस रिश्ते को तोड़ना नहीं चाहती।
वह आंखों पर पट्टी बांध लेती है और सब कुछ चलने देती है,अपनी सहेली जो रोज उससे मिलने आती है उसे भी कुछ नहीं बताती। फिल्म का सेकंड हाफ तब नया मोड़ लेता है जब अरविंद अचानक एक दिन गायब हो जाता है। अब सवाल यह है क्या पूर्णी ने अपने पति के धोखे का बदला लेते हुए उसे गायब कर दिया ? या फिर अरविंद के लापता होने के पीछे किसी और का हाथ है ?। यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
टेक्निकल एस्पेक्ट:
फिल्म के कैमरा एंगल्स की बात करें तो इसमें ज्यादा कुछ दिखाने को था ही नहीं। कहानी ज्यादातर अरविंद के घर के आसपास ही घूमती है। बैकग्राउंड म्यूजिक “गोविंद वसंथा” (Govind Vasantha) ने दिया है जो ठीक-ठाक है। सिनेमैटोग्राफी “एस.ए.कथावरायन” (Sa Kathavarayan) ने की है जिन्होंने अपने काम को ईमानदारी से निभाया है। हालांकि तकनीकी रूप से फिल्म में कुछ खास नयापन नही दिखता।
नेगेटिव पॉइंट्स:
“जेंटल वूमेन” की कहानी ड्रामा और थ्रिल से शुरू होती है पर कब यह गंभीरता की ओर मुड़ जाती है पता ही नहीं चलता। यह हिस्सा जहां कहानी की गहराई को समझाने की कोशिश की गई है,एक वक्त के बाद बोरिंग लगने लगता है।
कुछ किरदार जैसे अरविंद के ऑफिस का सहकर्मी जो बिना वजह उसे ताने मारता रहता हा वह बेकार लगते हैं,इनकी कहानी में कोई जरूरत नहीं थी। साथ ही थ्रिलर का तड़का और मजबूत हो सकता था जिसकी कमी खलती है। अगर इसे और रोमांचक बनाया जाता तो फिल्म सिनेमाघरों में बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी।
पॉजिटिव पॉइंट्स:
फिल्म में जिस तरह डायरेक्टर जोशुआ सेथूरमन ने समाज के पुरुषो की असलियत को दिखाया है वह तारीफ के काबिल है। यह एक ऐसा सच है जिसे लोग अक्सर छुपाते हैं या नजरअंदाज करते हैं, सिर्फ इसलिए कि “यह तो आम बात है”। पति और पत्नी की बॉन्डिंग और धोखे की कहानी भले ही नॉर्मल लगे, पर इसे जिस अंदाज में पेश किया गया है वह देखने लायक है। पूर्णी का किरदार आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।
निष्कर्ष:
अगर इस वीकेंड आप अपनी पत्नी या पार्टनर के साथ सिनेमाघर में कोई ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं, जिसमें ड्रामा हो हल्का फुल्का थ्रिल हो और कुछ सोचने को मजबूर करे तो “जेंटल वूमेन” को रिकमेंड कर सकते हैं।
यह फिल्म आपके पति को एक सबक दे सकती है चाहे वह आपको धोखा दे रहा हो या नहीं, पर अगर ऐसा करने की सोच भी रहा हो,तब वह हजार बार सोचेगा। कुल मिलाकर यह एक साधारण कहानी को असाधारण तरीके से पेश करती है।
फिल्मड्रिप रेटिंग: 2.5/5
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