रियान जॉनसन के निर्देशन में बनी फिल्म ब्रिक नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ कर दी गई है जहाँ इसे इंग्लिश के साथ हिंदी डब्ड भाषा में भी देखा जा सकेगा । यहाँ टीम और ओलिविया की कहानी देखने को मिलती है। टीम के कैरेक्टर में मैट हिस्टन और ओलिविया के कैरेक्टर में रूबी ओ. फी दिखाई दे रहे हैं। आईए जानते हैं अपने रिव्यू के माध्यम से कैसी है यह फिल्म क्या यह आपके टाइम को अच्छा बना सकती है।
ब्रिक रिव्यू
एक बिल्डिंग के अंदर बहुत सारे लोग रह रहे हैं। एक दिन जब ये लोग अपने घर से बाहर निकलते हैं तो देखते हैं बाहर एक दीवार है। जब ये लोग खिड़की पर जाते हैं तब वहाँ पर भी इनको दीवार नज़र आती है। यहाँ कुछ ऐसा हुआ है जैसे कि एक बड़े गुब्बारे के अंदर इन घरों को कैद कर दिया गया हो । अब इस अपार्टमेंट के सभी लोग फ्लैट के बीच में डिवाइडेड दीवार को तोड़-तोड़ के एक दूसरे से बात करते हैं। पर इस गुत्थी को सुलझाना इतना आसान नहीं। आखिर इन फैमिलियों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है और कौन हैं वो लोग जो यह सब कर रहे हैं। अब एक दर्शक के तौर पर आपके मन में यह विचार ज़रूर आएगा कि आखिर यह दीवार किसने बनाई है, क्या ये इस दीवार को तोड़ के बाहरी दुनिया को दोबारा से देख पाएँगे या नहीं या बिल्कुल एक गेम जैसा है – एक दीवार तोड़िए, दूसरे फ्लैट में जाइए, दूसरी दीवार तोड़िए, तीसरे फ्लैट में जाइए। ऐसा ही कुछ करके बाहर जाने का रास्ता खोजना है। कहानी में आगे क्या होगा ये सब आपको खुद देखकर पता लगाना होगा।

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पॉज़िटिव पॉइंट
यहाँ एक यूनिक कॉन्सेप्ट देखने को मिलता है। इस तरह की कहानी पहले कई हॉलीवुड फिल्मों में देखी जा चुकी है पर यहाँ पर जिस तरह से इसको दिखाया गया है कि अचानक से एक दीवार का आजाना , बाहर के लोगों का अंदर के लोगों से कॉन्टैक्ट पूरी तरह से टूटना खाने-पीने की सप्लाई बंद होना, इन सब की ज़िंदगी नरक से बदतर बन जाती है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि अब मौत ही इस परेशानी का एकमात्र विकल्प है। यही इस फिल्म को एक यूनिक कॉन्सेप्ट के रूप में पेश करता है। फिल्म के सभी विज़ुअल काफी शानदार हैं जिन्हें देखकर मज़ा आता है। तीसरी जो बड़ी पॉज़िटिव पॉइंट में आती है वह है इसकी पेसिंग है। फिल्म तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ती रहती है। 95 मिनट में यह अपने प्लॉट से कहीं भी भटकती दिखाई नहीं देती अपने पॉइंट को पकड़कर दर्शकों को बिना बोर किए हुए जल्दी-जल्दी आगे बढ़ती रहती है।

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नेगेटिव पॉइंट
सबसे बड़ा नेगेटिव पॉइंट है यहाँ कैरेक्टर डेवलपमेंट का। किसी भी कैरेक्टर को अच्छे से डेवलप न करना फिल्म का वीक पॉइंट होता है, जैसा कि यहाँ देखने को मिला है।फिल्म के किसी के भी कैरेक्टर से आप इमोशनली रूप से कनेक्ट नहीं कर पाएँगे। दूसरा नेगेटिव पॉइंट है प्रेडिक्टेबल होना, जिस कारण आगे क्या होने वाला है, इसका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। तीसरी बड़ी नेगेटिव बिंदु यह है कि फिल्म के अंदर बहुत सी ऐसी चीज़ें दिखाई जा सकती थीं जो रोमांचक पैदा करती पर मेकर्स ने अपने दिमाग का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल नहीं किया। एक अच्छे कॉन्सेप्ट को जल्दबाज़ी में बना दिया।
निष्कर्ष
ब्रिक फिल्म को एक बार देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि यह बिल्कुल ही बेकार फिल्म है। ये एक एवरेज फिल्म है जिसे IMDb पर 5.2 की रेटिंग मिली है। अगर आप एक प्रो ऑडियंस हैं तो शायद यहाँ निराशा ही हासिल होगी पर अगर आपने पहले इस तरह की फिल्में नहीं देखी होंगी, तब ब्रिक ठीक-ठाक ही लगेगी।
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