Dhruva Sarja Martin Movie Review:ध्रुव सरजा की मार्टिन फिल्म सिनेमा घरो में रिलीज़ कर दी गयी है।मार्टिन का ट्रेलर बहुत आकर्षित था पर ट्रेलर को देख कर कभी भी फिल्म का अंदाज़ा नहीं लगाना चाहिए, मार्टिन के साथ ठीक विक्की विद्या का वो वाला वीडियो का ट्रेलर जैसा ही हुआ है “ट्रेलर हीरो और फिल्म जीरो”।
मार्टिन का निर्देशन ए.पी.अर्जुन ने किया है और बहुत खराब किया। ट्रेलर के टाइम पर बताया गया था के फिल्म इंग्लिश और हिंदी के इलावा और भी कई भाषा में रिलीज़ किया जाना है।
पर और भाषा को तो जाने दें फिल्म को हिंदी में ही ठीक से नहीं रिलीज़ किया गया हिंदी वर्जन में इस फिल्म को बहुत कम शो मिले । बहुत से देशो में इस फिल्म को शो तो छोड़िये रिलीज़ ही नहीं किया गया ,मार्टिन ध्रुव सरजा की पहली पेन इंडिया फिल्म है और शायद अब ये लास्ट भी हो सकती है।
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कहानी
मार्टिन के ट्रेलर को बहुत खूबसूरती के साथ हमारे सामने पेश किया गया था। जिसे देख कर ऐसा लग रहा था के ध्रुव सरजा इस बार कुछ अलग और शानदार पेश करते नज़र आएंगे। पर हुआ इसके बिलकुल विपरीत फिल्म में फिर से वही घिसा पिटा भारत और पाकिस्तान का एंगल उठाया गया।
भारत का एक एजेंट है जो पाकिस्तान जा कर पाकिस्तान में तबाही मचा देता है। फिल्म का हर सीन इतना स्लो है अगर स्लो मोशन से ही फिल्मे हिट होने लगी तो फिर कंटेंट का मतलब ही क्या रह जायेगा।
भारत और पाकिस्तान पर सैकड़ो फिल्मे बनाई जा चुकी है,और सभी फिल्मे एक जैसी ही लगती है। दर्शक अब इस टॉपिक पर फिल्म देखना खन नहीं चाहता है जिसका उदाहरण हमें अभी जल्दी आयी सलमान खान और इमरान हाश्मी की टाइगर फिल्म में देखने को मिल गया था।टाइगर में बड़े कलाकार होने के बावजूद भी अच्छा प्रदर्शन न कर सकी।
पूरी फिल्म में स्लो मोशन के इलावा कुछ दिखाया ही नहीं गया है अगर फिल्म में स्लो मोशन नहीं डाला जाता तो ये 2 घंटे 24 मिनट की न होकर डेढ़ घंटे की ही होती। स्क्रीन प्ले इतना सुस्त है के बस इंतज़ार करते ही रह जाओगे के फिल्म कब फ़ास्ट होगी। फिल्म का बैक ग्राउंड म्यूज़िक बहुत तेज़ है,जो हमारे कानो को अच्छी फीलिंग नहीं देता। जहा बीजीएम की जरुरत भी नहीं है वहा पर भी ज़बरदस्ती का बीजीएम डाला गया है।
फिल्म शुरू होते ही ऐसे गोल गोल घुमाया जाता है के समझ नहीं आता है हीरो कब पाकिस्तान में है कब इंडिया में है और ये सब इतनी जल्दी -जल्दी में हो रहा होता है के पता ही नहीं चलता दो मिनट में फिल्म इस्लामाबाद दो मिनट में मुंबई दो मिनट में हैदराबाद दो मिनट के बाद मैंगलोर दो मिनट में कश्मीर फिर दो मिनट के बाद पीओके बॉर्डर यही सब चलता रहता है पूरी फिल्म में । कन्नड़ इंडस्ट्री से आया कांतारा केजीएफ कुछ भी नहीं है इसके सामने असली सिनेमैटिक एक्सपीरियंस तो आपको यहाँ मिलने वाला है।
इस फिल्म को सिर्फ “ध्रुव सरजा” के फैन ही झेल सकते है किसी आम इंसान के हिम्मत नहीं इस तरह की फिल्म को झेलने की।
वीएफएक्स
फिल्म का वीएफएक्स ठीक नहीं लगता है ,सभी एक्शन सीन साफ़ दिखाई पड़ते है के ग्रीन स्क्रीन के सामने शूट किये गए है। ऐसा नहीं है के फिल्म का बजट कम हो इस फिल्म को बनाने में पूरे 150 करोड़ खर्च किये गए अगर थोड़ा सा पैसा ‘वीएफएक्स’ पर लगा दिया जाता तो शायद कुछ परसेंट फिल्म में जान आजाती पर मेकर ने न जाने ऐसा क्यों नहीं किया आखिर 150 करोड़ कहा खर्चा किया गया प्रोडक्शन वैलु देख कर नहीं लगता है के ये एक बड़े बजट की फिल्म है।
प्रदर्शन:
अगर आप ध्रुव सरजा के फैन है या फैन नहीं भी है फिल्म में ध्रुव सरजा अपनी एक्टिंग से इम्प्रेस करते नज़र आते है। पूरी की पूरी फिल्म को ये अपने कंधो पर लेकर चले है। पर शायद ध्रुव सरजा अपनी एक्टिंग के बल पर फिल्म को बचा न सके क्युकी इनकी एक्टिंग के इलावा फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं है जो इस डूबते हुए जहाज़ को सहारा दे सके।
ये फिल्म देखि जा सकती है तो सिर्फ ध्रुव सरजा की वजह से, हम सब ध्रुव सरजा के फैन है और एक फैन होने की वजह से हम चाहते है के ध्रुव सरजा हमें अपनी बेहतरीन फिल्मो से इंटरटेन करते रहे ।
ये पांच वजह,फिल्म को कमज़ोर बनाने की
१-कहानी
फिल्म की कहानी भारत पाकिस्तान के बीच की है इस मुद्दे पर पहले भी बहुत सी फिल्मे बनायीं जा चुकी है। दर्शक अब इस तरह की कहानी से ऊब चुके है लोग कुछ नया देखना चाहते है। कहानी दर्शको पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ती ।
२-म्यूज़िक (बीजीएम)
मार्टिन का संगीत बहुत तेज़ है,और जहाँ बैकग्राउंड म्यूज़िक की आवश्यकता नहीं है, वहाँ भी बेवजह डाला गया है,ये बीजीएम हमारे कानों को अच्छा महसूस नहीं कराता।
टेंशन भरे डायलॉग वाले साइलेंस सीन में बैकग्राउंड म्यूज़िक देना अनावश्यक होता है, इसकी वजह से डायलॉग समझने में दर्शको को कठनाई होती है। मार्टिन में कई जगह ऐसा किया गया है।
३-फिल्म का स्लो होना
मार्टिन के एक्शन सीन को बहुत जादा स्लो मोशन में दिखाया गया है जिससे कहानी में सुस्ती आजाती है। जिस कारण दर्शको में उत्साह की कमी देखने को मिलती है। जादा स्लो मोशन में सीन को दिखाये जाने से दर्शको में एक्शन सीन को समझने में परेशानी होती है ।
४-निर्देशन
मार्टिन का निर्देशन कमज़ोर है,”ए.पी. अर्जुन” से फिल्म के निर्देशन में कहि चूक होती साफ नज़र आती है हलाकि इनके द्वारा बनाई गयी फिल्मे अधुरी,अम्बारी जैसी फिल्मो का निर्देशन अच्छा रहा है जिसके लिये इनको फिल्म फेयर का अवार्ड भी दिया जा चुका है।
५-प्रमोशन की कमी
फिल्म को उस लेवल पर प्रमोट नहीं किया गया जैसा की ट्रेलर को दिखाया गया है हलाकि मार्टिन के ट्रेलर को अधिक पसंद किया गया था लोगो को लग रहा था के ये सलार और केजीएफ को टक्कर दे सकती है पर अफ़सोस ऐसा न हो सका।
मार्टिन बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट
मार्टिन को दुनिया भर के 1000 स्क्रिन पर रिलीज़ किया गया है इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अभी तक 7 से 8 करोड़ का कलेक्शन किया है फिल्म ने सबसे जादा कर्नाटका में कमाई की है।
मार्टिन के दूसरे दिन शनिवार का कलेक्शन =₹ 5.55 करोड़
DAY 3
₹ 3.25 Cr करोड़ सोर्स
DAY 4
1.5 से 2 करोड़ सोर्स
DAY 5
1.2 करोड़ सोर्स
DAY 6
1 करोड़ सोर्स
day 7
0.70 करोड़ सोर्स
day 8
0.37 करोड़ सोर्स
day 9
0.39 करोड़ सोर्स
day 10
0.46 करोड़ सोर्स
ये फिल्म सिर्फ और सिर्फ ध्रुव सरजा के फैन के लिए ही बनाई गयी है अगर आप ध्रुव सरजा के फैन है तो इस फिल्म को देख कर एन्जॉय कर सकते है। अगर आप ध्रुव सरजा को नहीं जानते है तब आपको ये फिल्म टॉर्चर कर सकती है। फिल्म केजीएफ और सलार की सस्ती कॉपी लगती है।
हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से दो स्टार दिये जाते है
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