Berlin movie review in hindi:Zee5 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आज एक नई स्पाई थ्रिलर मूवी रिलीज की गई है जिसका नाम ‘बर्लिन‘ है इस फिल्म की लेंथ की बात करें तो या तकरीबन 2 घंटे की है जिसमें हमें फिल्म के मेन लीड रोल में अपार शक्ति खुराना,राहुल बोस और विश्वास सिंह देखने को मिलते है।
बात करें फिल्म की कहानी की तो इसमें आपको 1993 के समय की कहानी देखने को मिलती है जोकि उस समय रूस के राष्ट्रपति इंडिया के दौरे पर आने वाले थे जिनके एसासिनेशन की प्लानिंग पाकिस्तान द्वारा की जा रही थी। कहानी में आगे हमें जो भी देखने को मिलता है यह पूरी तरह से आई.एस.आई के एजेंट और हिंदुस्तानी एजेंसी रॉ के बीच इंटेरोगेशन पर बेस्ड है।
कास्ट- राहुल बोस,अपार शक्ति खुराना,ईश्वक सिंह,अनुप्रिया,कबीर बेदी।
डायरेक्टर- अतुल सभरवाल।
एडिटर – ईरेनधर मालिक।
प्रोडक्शन- ज़ी फाइव।
आई एम डी बी रेटिंग-8.6/10
pic credit imdb
कहानी–
फिल्म की स्टोरी शुरू होती है सन 1993 मैं नई दिल्ली से जहां पर रूस के राष्ट्रपति इंडिया दौरे पर आने वाले थे जिनको मारने का प्लान पाकिस्तान द्वारा बनाया जा रहा था जिसकी खबर, पहले ही हिंदुस्तान की सुरक्षा एजेंसियों को लग जाती है और शक के बिना पर वे एक सस्पेक्ट अशोक कुमार (इश्वक सिंह) को गिरफ्तार करते हैं।
जो जो पाकिस्तान का स्पाइ एजेंट भी हो सकता है। इसके बाद शुरू होता है इन्वेस्टिगेशन का सिलसिला जिसकी कमान जगदीश सोंधी (राहुल बोस) संभालते है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब देखने को मिलता है जब ऑफिसर्स को यह पता चलता है की यह सस्पेक्ट गूंगा है।
अब इस इन्वेस्टिगेशन को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे शख्स की जरूरत होती है जो गूंगे लोगो की खास बोली को समझ सके यह समझने के लिए फिल्म में पुश्किन वर्मा (अपार शक्ति खुराना) की एंट्री होती है जोकि साइन लैंग्वेज के टीचर हैं यानी वह गूंगो की भाषा समझ सकते हैं।
हालाकि शुरुवाती पूछताछ के बाद अपार शक्ति खुदको फसता पाते हैं क्यों की यह सस्पेक्ट बहुत ही चालाक और शातिर है। अब कैसे राहुल बोस और अपार शक्ति इस सस्पेक्ट से सच उगलवा पाते हैं या फिर वह इन्हे चकमा देने में कामयाब रहता है यह सब जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी या वेब सीरीज जो की zee5 पर रिलीज कर दी गई है।
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टेक्निकल एस्पेक्ट- फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी अच्छा है।
बात करें इसकी सिनेमैटोग्राफी की तो ‘श्रीदत्ता नामजोशी’ ने काफी एफर्ट डाला है जैसे कि आप जानते हैं फिल्म की कहानी 1993 की है जो कि आप इसे देखने में भी फील करते हैं क्युकी इसकी छोटी से छोटी बारीकियों का अच्छे से ध्यान रक्खा गया है।
खामियां-
फिल्म का पेस बहुत ही स्लो है जिसके कारण फिल्म का फस्ट हाफ बहुत ही सुस्त फील होता है जिससे दर्शकों को बोरियत हो सकती है। बात करें इसकी लेंथ की तो यह 2 घंटे की कहानी के हिसाब से काफी ज्यादा है जिसे इसके एडिटर ‘ईरेनधर मलिक’ द्वारा एडिट करके और भी छोटा किया जा सकता था।
फिल्म के एक सीन में 1993 के दशक मके ₹5 रुपए नोट को दिखाया जाता है जिस पर शायद फिल्म के मेकर्स का ध्यान चूक गया क्योंकि, यहां नोट सन 2024 का यानी नए जमाने का था।
फाइनल एस्पेक्ट-
यह फिल्म उस तरह की कैटेगरी में बिलकुल भी नहीं आती जिसे हर तरह की ऑडियंस पसंद करें। अगर आपको स्लो बिल्ड अप फिल्मे पसंद है और अगर आप कोर्ट रूम जैसा इन्वेस्टिगेशन देखना पसंद करते हैं और सीरियस थ्रिलर फिल्मों के हैं शौकीन तो आप इस फिल्म को रिकमेंड कर सकते हैं।
बात करें फिल्म में वल्गैरिटी की तो इसकी कहानी पूरी तरह से क्लीन है जिसमें किसी भी प्रकार का कोई भी एडल्ट सीन नहीं दिखाया गया है जिसके कारण आप इसे अपनी पूरी फैमिली के साथ भी देख सकते हैं।
हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से तीन स्टार दिये जाते है 3/5
स्टार ***