Zee5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अभिषेक बच्चन की कालीधर लापता फिल्म रिलीज हो चुकी है। हाल ही में अभिषेक बच्चन हाउसफुल 5 में दिखाई दिए थे जहां उनके किरदार की खूब प्रशंसा हुई। इससे पहले भी अभिषेक बच्चन ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए लूडो, द बिग बुल, आई वांट टू टॉक, दशमी और बी अवर हैप्पी जैसी फिल्में कर चुके हैं। आइए जानते हैं, कैसी है अभिषेक बच्चन की यह नई फिल्म कालीधर लापता। क्या अभिषेक बच्चन अपनी इस फिल्म से आपके इस वीकेंड को मनोरंजन से भर पाएंगे या नहीं।
कलीदार लापता की कहानी
कहानी के कॉन्सेप्ट को फिल्म के नाम से ही पहचाना जा सकता है। कालीधर के किरदार में यहां अभिषेक बच्चन दिखाई दे रहे हैं, जो लापता हो जाते हैं। 42 साल के अभिषेक बच्चन को भूलने की बीमारी है। इनके दो छोटे भाई भी हैं। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। कालीधर के दोनों छोटे भाई इनका अंगूठा लगवाकर प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं ताकि कर्ज उतारा जा सके। वे दोनों प्लान बनाते हैं कि अभिषेक बच्चन का अंगूठा लगवाने के बाद कुंभ के मेले में जाकर इन्हे छोड़ देंगे।
पर अभिषेक बच्चन उनकी बातों को सुन लेते हैं और घर छोड़कर भाग जाते हैं। घर छोड़ने के बाद जैसा कि पहले बताया गया है कि अभिषेक डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति हैं और इन्हें भूलने की आदत है वे भटक जाते हैं और इनकी मुलाकात बल्लू नाम के एक छोटे लड़के से होती है। बल्लू के माता-पिता नहीं हैं। अब कलीदार बल्लू से मिलकर खुद में एक नया बदलाव महसूस करता है।
कहानी एक नया मोड़ तब लेती है जब प्रॉपर्टी के कागजों में आग लग जाती है, जिससे इसके दोनों भाई कलीदार को ढूंढने में लग जाते हैं। पर इन्हें ढूंढना इतना आसान नहीं है। तो वे हायर करते हैं डिटेक्टिव जीशान अय्यूब को। अपनी इस जर्नी में कालीधर की मुलाकात इनकी एक पुरानी दोस्त निम्रत कौर से भी होती है। इस इमोशनल और एडवेंचर रोड ट्रिप को देखने के लिए जरूरत होगी Zee5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म की।

कालीधर लापता के अच्छे पहलू
अभिषेक बच्चन के किरदार से दर्शक पूरी तरह से कनेक्ट हो जाएंगे। यह इमोशनल जर्नी जिसे इन्होंने यहां बहुत खूबसूरती के साथ पेश किया है।अभिषेक ने अपने फेसियल एक्सप्रेशंस से हर एक इमोशन को इस तरह से व्यक्त किया है, जिसे देखकर लगता है कि कालीधर के किरदार में यह पूरी तरह से घुस चुके हैं। बल्लू, जो अभिषेक बच्चन का दोस्त बन जाता है उसे इस फिल्म का एक दिल को छूने वाला हिस्सा भी कहा जा सकता है।
मोहम्मद जीशान ने भी अपने डिटेक्टिव वाले किरदार को बखूबी निभाया है। इसके साथ ही सभी कलाकारों ने अपनी तरफ से एक अच्छी कोशिश की है। आई वांट टू टॉक और हाउसफुल जैसी फिल्मों में अलग-अलग भूमिका निभाने वाले अभिषेक बच्चन के लिए एक बात तो कही जा सकती है कि यह एक बेहतरीन एक्टर हैं पर बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में इन्हें सही मौका नहीं मिल पाया।
#KaalidharLaapata (Hindi)
— OTT Trackers (@OTT_Trackers) July 3, 2025
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म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी
म्यूजिक अमित त्रिवेदी ने दिया है, जो कहानी में जान डालकर इसे आगे की ओर ले जाता है। सिनेमैटोग्राफी गांव के परिवेश को अच्छे ढंग से प्रस्तुत करती है फिर चाहे वह खेत-खलिहान हो या रंग-बिरंगे फूल।105 मिनट की यह फिल्म आपको कहीं से भी बोर नहीं होने देती।
कालीधर लापता तमिल फिल्म का रीमेक है, जो 2019 में आई थी जिसका नाम था के.डी. (करुप्पु दुरई)। इसका हिंदी वर्जन है। इसे मधुमिता द्वारा लिखा गया था और इन्हीं के द्वारा इसका निर्देशन भी हुआ था। मधुमिता ने ही अभिषेक बच्चन की कालीधर लापता को बनाया है। इसकी मूल कहानी वैसी ही है जैसी कि करुप्पु दुरई की थी।
प्रोडक्शन वैल्यू
कालीधर लापता का बजट बहुत ज्यादा नहीं है, पर जितना भी बजट है, उसमें यह एक अच्छी फिल्म बनकर तैयार हुई है। अभिषेक बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में पहले ही कहा था कि अगर मैं एक जैसा ही किरदार निभाने लगूंगा, तो दर्शक मुझसे बोर होने लगेंगे। इसीलिए वह अलग-अलग किरदार को प्ले करना चाहते हैं, जिसे एक्सपेरिमेंट नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अभिषेक का मानना है कि आर्ट एक्सपेरिमेंट नहीं होती है। के.डी. (करुप्पु दुरई) की फिल्म की शूटिंग तमिलनाडु में हुई थी, तो वहीं कालीधर लापता को मध्य प्रदेश के गांव में रखकर शूट किया गया है।
Astonishing Amazing Brilliant: #AbhishekBachchan's performance in #KaalidharLaapata on #ZEE5.#AbhishekBachchan flows masterfully between sorrow and vulnerability to strength and wit in the most delicate yet assertive way.
— Isabell (@isabellchen) July 3, 2025
Keep going where most do not dare to, Captain. Keep… pic.twitter.com/8KQP6k7c8o
चर्चा कुछ कमियों की
- 1-कालीधर लापता में अगर कमियां न निकाली जाएं, तो बेहतर रहेगा। पर फिर भी अगर इसकी तुलना तमिल वर्जन के.डी. (करुप्पु दुरई) से की जाए, तो कालीधर लापता में जहां 8 साल के बच्चे और 42 वर्ष के एक आदमी की कहानी को दिखाया गया है, जबकि तमिल वर्जन में एक बूढ़े आदमी की कहानी थी, जो डिमेंशिया नामक बीमारी से पीड़ित था। अगर यहां पर भी अभिषेक बच्चन की आयु को 50 वर्ष के आदमी के आसपास दिखाया जाता तो शायद कहानी और भी इमोशनली इंपैक्टफुल रहती।
- 2-कहानी इमोशन से भरी हुई है पर फिर भी दर्शकों के दिलों को उस गहराई से नहीं छू पा रही है जितना कि छूना चाहिए था। ऐसा लगता है कि इसकी स्क्रिप्ट को बहुत जल्दबाजी में पूरा किया गया हो, जो कि इसके कई सीन को देखकर पता लगता है।
- 3-आज का दौर सोशल मीडिया का है जहां लोग 30 सेकंड में नए कंटेंट को देखने के लिए रील स्क्रॉल करते हैं। इस समय पर इसे और भी इमोशनली कनेक्टिव बनाने की कोशिश करनी चाहिए थी। अगर ऐसा होता, तो शायद यह तमिल फिल्म के.डी. (करुप्पु दुरई) जैसी हो पाती।
- 4-इस फिल्म के कॉन्सेप्ट में इमोशन है पर एग्जीक्यूशन और गहराई में थोड़ी कमी मिलती है जिससे यह पूरी तरह से दर्शकों के दिलों तक पहुंचने में नाकामयाब रहती है।
फाइनल वर्डिक्ट
कोरोनावायरस के आने से पहले कालीधर लापता जैसी फिल्में सिनेमाघरों में खूब देखी जाती थीं पर अब मसाला, एक्शन, कॉमेडी, हॉरर के दौर में इस तरह की फिल्में ओटीटी पर ही रिलीज करनी पड़ती हैं। यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो थोड़ा हटके फिल्में देखना पसंद करते हैं। यह आपको एहसास दिलाती है कि जिंदगी के उन पलों को जो आप अपनी जिंदगी में नहीं कर सके और कुछ पीछे छूट गया है उन्हें एक बार फिर से करने का मौका जरूर देना चाहिए। कालीधर लापता को पूरी फैमिली के साथ बैठकर देखि जा सकती है। यहां पर किसी भी तरह की वल्गर या एडल्ट चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
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