दानिश असलम के निर्देशन में बनी फिल्म ख्वाबों का झमेला जियो सिनेमा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में हमें प्रतीक बब्बर, सयानी गुप्ता और दानिश हुसैन जैसे अनुभवी कलाकार देखने को मिलेंगे। फिल्म की कहानी ‘जुबिन’ पर आधारित है, जिसे नंबरों पर बहुत अच्छी पकड़ है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है, जब किसी फिल्म से ज्यादा अपेक्षाएं नहीं होतीं, पर वह फिल्में फिर भी अपनी अपेक्षाओं से कुछ ज्यादा ही कर जाती हैं। ठीक यही नजर आया है प्रतीक बब्बर की फिल्म ख्वाबों का झमेला के साथ।
यह रोम-कॉम फिल्म की कैटेगरी में आती है, जिसकी लंबाई 2 घंटे है। हालांकि फिल्म अपनी रफ्तार पकड़ने के लिए शुरुआती 15 से 20 मिनट ले लेती है, जिसके बाद आपका इंटरेस्ट पूरी फिल्म में बना रहता है। फिल्म का सेकंड हाफ होने के बाद यह थोड़ी प्रेडिक्टेबल हो जाती है।
फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी काफी बढ़िया दिखाई देती है, जिसे एक्टर हरमन बवेजा के प्रोडक्शन में प्रोड्यूस किया गया है। क्या यह फिल्म आपके कीमती समय को डिजर्व करती है? आइए करते हैं इस फिल्म का फुल रिव्यू।
फिल्मीड्रिप की टीम ने जब इस फिल्म का ट्रेलर देखा था, तो किसी को लगे या न लगे, पर हमारी टीम को यह जरूर लगा था कि फिल्म काफी बेहतर है। हालांकि इसके ट्रेलर की काफी आलोचना भी की गई थी, लेकिन यह फिल्म हमारी अपेक्षाओं पर खरी उतरी है, जिसकी स्टोरी को इस तरह से सजाया और संवारा गया है।
जिसे देखकर सभी तरह की जनरेशन इससे जुड़ाव महसूस करेगी। फिल्म के कई भाग हमें प्रतीक बब्बर की पिछली फिल्मों में से ‘एक दीवाना था’ की भी छाप छोड़ते हैं। हम ऐसा नहीं कहते कि यह फिल्म हर तरह के दर्शकों को पसंद आएगी।
लेकिन फिल्म में जिस तरह से कॉमेडी के साथ-साथ रोमांस का तड़का लगाया गया है, उसे देखते हुए यह नजर आ रहा है कि फिल्म खूब धूम मचाने वाली है।
जियो सिनेमा अपनी मशीनरी से बैक-टू-बैक हिट फिल्में लाता हुआ नजर आ रहा है, जिससे यह ओटीटी प्लेटफॉर्म काफी चर्चा में बना रहता है।
‘कुब्रा सैट’ और ‘सयानी गुप्ता’ काफी अच्छी एक्ट्रेस हैं। इन दोनों ही एक्टर्स ने काफी दमदार रोल निभाए हैं, जिसके कारण इस फिल्म में भी उनकी छवि उतनी ही बेहतर दिखाई दी है, जितनी पिछले किरदारों में थी।
स्टोरी
फिल्म में किरदार प्रतीक बब्बर, जिन्हें लंदन जाने का काफी क्रेज है, पर इनका आत्मविश्वास काफी कम रहता है। लेकिन लंदन जाने से पहले वह कुब्रा सैट को प्रपोज करना चाहते हैं, ताकि यह दोनों एक साथ लंदन जा सकें और दुनिया देख सकें। लेकिन कुब्रा सैट का नजरिया कुछ अलग है।
जिसे ऐसा लगता है कि प्रतीक बब्बर काफी बोरिंग इंसान हैं। जिस वजह से प्रतीक को रिजेक्ट कर देती हैं। अब प्रतीक लंदन चला जाता है। लंदन में इसे सयानी गुप्ता नाम की एक लड़की मिलती है। क्या प्रतीक बब्बर उस लड़की से प्यार कर बैठते हैं, क्या प्रतीक बब्बर का कॉन्फिडेंस वापस आ पाता है।
फिल्म में कुब्रा सैट फिल्मों के इंटीमेट सीन का डायरेक्शन करती हैं। क्योंकि प्रतीक बब्बर सेक्स के प्रति काफी कमजोर दिखाए गए हैं, जिस कारण से इन्हें कुब्रा से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
क्लाइमेक्स में आपको प्रतीक बब्बर प्रतीक 2.0 की तरह बदले हुए नजर आते हैं। आगे की कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी, जो कि जियो सिनेमा पर उपलब्ध है।
अच्छाइयां
फिल्म की खूबी में जो सबसे पहले आती है, वह है प्रतीक की एक्टिंग, जिसके साथ इसकी शूटिंग शामिल है, जिनमें यूके की लोकेशंस को हमारे सामने काफी शानदार ढंग से पेश किया गया।
अगर आपकी उम्र 25 साल से नीचे है, तब यह फिल्म आपको डेफिनेटली अच्छी लगने वाली है, पर इसके उलट अगर आपकी उम्र 30 साल के ऊपर है, तो शायद यह आपको उतनी कारगर न लगे।
फिल्म में अच्छे से एलजीबीटीक्यू समुदाय को भी दिखाया गया है। इसके अंतिम 30 मिनट आपको बांधे रखेंगे। ऐसा बहुत बार देखा गया है कि लड़का और लड़की सेक्स में अच्छे नहीं होते, जिससे कुछ कपल्स में यही कारण रहता है ब्रेकअप होने का। अगर आपके साथ भी इस तरह का कोई इश्यू आता है, तो आपको यह फिल्म डेफिनेटली देखनी चाहिए।
खामियां
फिल्म में प्रतीक बब्बर को काफी मूर्ख किरदार में दिखाया गया है। शायद स्टोरी की यही मांग रही हो। फिल्म में दिखाए गए रोड ट्रिप्स, फ्रेंडशिप, एग्जांपल के तौर पर किसी अनजान व्यक्ति से टकराना और अगले दिन से ही मुलाकात शुरू हो जाना। यह सब देखकर कुछ रियल जैसी फीलिंग नहीं आती है।
जिस वजह से शायद आप फिल्म से कहीं-कहीं पर कनेक्ट न हो सकें। एक्टिंग की बात करें, तो सयानी गुप्ता, प्रतीक बब्बर और कुब्रा सैट ने दमदार एक्टिंग की है। कुब्रा और सयानी ऑपोजिट किरदार में नजर आए हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रतीक बब्बर ने खुद को कॉन्फिडेंस जोन में रखकर अच्छे से प्रेजेंट किया है।
जिस तरह से मूवी का अंत होते-होते प्रतीक बब्बर में बदलाव नजर आते हैं, उससे यह भी सिद्ध होता है कि प्रतीक बब्बर एक शानदार कलाकार हैं। हर एक रोल को निभाना वे अच्छे से जानते हैं। यह एक क्यूट स्टोरी है, जिसे आप अपना कीमती वक्त दे सकते हैं, जो आपको बिल्कुल भी निराश नहीं करेगी। हालांकि कहीं-कहीं पर फिल्म थोड़ी लंबी और सुस्त दिखाई पड़ती है।
फाइनल वर्डिक्ट
यह एक रोमांस कॉमेडी फिल्म है। अगर आपको एक्शन फिल्में देखना पसंद है, तो आप इससे दूर रहें। वैसे तो यह फिल्म फैमिली के साथ देखने लायक नहीं है, लेकिन फिर भी अगर आप कंफर्टेबल फील करते हैं, तो आप इसे अपनी फैमिली के साथ भी देख सकते हैं।
हमारी तरफ से इस फिल्म को दिए जाते हैं 2.5/5 ⭐।
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