डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर द सीक्रेट्स ऑफ शिलेडर्स नाम का शो रिलीज़ हो चुका है। जब से इसका ट्रेलर आया था लोगों को इस शो का इंतज़ार था वजह यह थी कि इसका ट्रेलर काफी इंटरेस्टिंग था।
द सीक्रेट्स ऑफ शिलेडर्स में टोटल 6 एपिसोड रखे गए हैं। जिनको देखने के बाद एक बात तो साफ है कि आगे हमें इसका सीजन 2 देखने को नहीं मिलेगा क्योंकि इस सीरीज़ को पूरी तरह से इन्हीं 6 एपिसोड में पूरा कर दिया गया है। प्रत्येक एपिसोड की लेंथ लगभग आधे घंटे की है जिसे आसानी से देखा जा सकता है।
सबसे पहले जानते हैं कि शिलेडर्स का मतलब क्या है
1630-1818 सदी में मराठा साम्राज्य में एक अलग तरह के सैनिक हुआ करते थे जिनके पास खुद की एक तलवार के साथ एक घोड़ा भी हुआ करता था। यह शिलेडर्स अपने दुश्मनों से लोहा लेने के लिए सबसे आगे खड़े होते थे और इनके पीछे बाकी सेना। मतलब कि यह अपनी सेना का नेतृत्व किया करते थे। इन शिलेडर्स को मराठा साम्राज्य में एक विशेष स्थान प्राप्त था साथ ही यह कुछ महत्वपूर्ण चीजों की अपने दुश्मनों से रक्षा भी करते थे।
आम भाषा में इन्हें तेज दिमाग वाले सेना के लीडर भी कह सकते हैं।
यह सीरीज़ “प्रतिप शद्र” नामक एक मराठी नॉवेल पर आधारित है, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज के खजाने और सिंहासन की जिम्मेदारी कुछ विशेष प्रकार के लोगों को दी गई थी। इन्हीं तेज दिमाग वाले लोगों को “शिलेडर्स” कहा जाता था।
इसी खजाने की खोज में सीरीज़ का हीरो उसके भाई और एक अंडरकवर पुलिस ऑफिसर जुट जाते हैं। खजाने की खोज के इस सफर में एक गवर्नर भी शामिल है, जो खुद को विजयनगर के राजा का वंशज कहता है। अब इन सभी लोगों की खजाने की तलाश पूरी होती है या नहीं, और इस खजाने को खोजने के लिए उन्हें क्या-क्या परेशानियां उठानी पड़ती हैं यही इस पूरी सीरीज़ में देखने को मिलता है।
क्या खास है सीरीज़ में
यह शो एक अच्छी कहानी तो पेश करता है पर अगर इसका एक्जीक्यूशन उतना ही अच्छे से किया जाता तो यह और निखर कर आता। हर एक एपिसोड को इस तरह से खत्म किया जाता है जिससे दर्शकों को आगे के एपिसोड को देखने की उत्सुकता बनी रहती है। यह पूरी एडवेंचर से भरी यात्रा आपको शुरू से लेकर आखिर तक शो से पूरी तरह से बांध कर रखती है।
खजाने की खोज की शुरुआत में एक चाबी मिलती दिखाई गई है वही इसके बाद एक खंजर भी मिलता है जो कि शिवाजी महाराज का है विष्णु भगवान के दस अवतारों वाला मंदिर, ताला लगा हुआ संदूक, इसके बाद दिखाया जाने वाला एक और क्लू जो कि मुंबई की चोर बाजार से पुणे कर्नाटक होता हुआ रायगढ़ लेकर आता है। यह पूरी एक मजेदार यात्रा है जो एडवेंचर और थ्रिल से भरी है। यह अपने सभी एपिसोड में आपको पूर्ण रूप से सैटिस्फाइड भी करता है।
सीरीज़ में दिखाए गए सभी क्लू जिनकी मदद से इस खजाने तक पहुंचा जा सकता है वह देखने में काफी रोमांचक है।
शो की कमियां
शो की सबसे बड़ी कमी है इसका एक्जीक्यूशन रवि का भाई ‘आदि’ को सीरीज़ की शुरुआत में बहुत थर्ड क्लास कॉमेडी करते दिखाया गया है। जिसकी कोई जरूरत नहीं होती। सीरीज़ के एक्शन सीक्वेंस बहुत बचकाने हैं।
आखिर में जिस तरह से रवि को एक बूढ़े लंगड़े आदमी से पिटते हुए दिखाया गया है वह काफी निराशाजनक है। बहुत सी चीजें लॉजिकल नहीं लगतीं। बीजीएम का काम होता है किसी सीन को दर्शकों को फील कराना पर यहाँ बीजीएम है ही नहीं अब जब बीजीएम नहीं है तो एडवेंचर उतना फील नहीं होता जितना कि किया जा सकता था।
शो के किसी भी कैरेक्टर में किसी भी तरह की कोई भी फीलिंग नहीं है सीरीज़ के अंत में आदि और प्रियम के साथ जो खजाना मिलता है उसका क्या हुआ उसे आधा अधूरा दिखाया गया है।
निष्कर्ष
इंडियाना जोन्स और द ममी जैसी फिल्में अगर आपने नहीं देखी हैं तब आपको यह सीरीज़ अच्छी लगेगी पर वही अगर आपने इस तरह की हॉलीवुड की कई फिल्में पहले ही देख रखी हैं तो यहाँ पर बस टाइम पास ही किया जा सकता है शो फैमिली के साथ बैठकर देखने लायक है जिसे जियोहॉटस्टार पर देखा जा सकता है। फिल्मी ड्रिप की ओर से इसे दिए जाते हैं पांच में से चार स्टार।
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