Thandel Movie Review:नागा चैतन्य और साई पल्लवी ने रचा इतिहास फिल्म थांडेल के साथ।

Thandel Movie Review in hindi

Thandel Movie Review in hindi:फिल्मीड्रिप लखनऊ डेस्कआमरन फिल्म के बाद थांडेल में साई पल्लवी की अब तक की सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस देखने को मिलती है,जिसे देखकर आप को सत्या से प्यार हो जाएगा। आज 7 फरवरी 2025 के दिन तेलुगू इंडस्ट्री की ओर से देशभर के सिनेमाघरों में फिल्म थांडेल को रिलीज़ कर दिया गया है,

जिसे आप तमिल भाषा के साथ-साथ हिंदी में भी देख सकते हैं। फिल्म के मुख्य किरदारों में नागा चैतन्य और साई पल्लवी एक प्रेमी जोड़े के रूप में नजर आते हैं। मूवी के डायरेक्शन की बात करें तो इसे, “चंदू मोंडेती” ने डायरेक्ट किया है। जिसे देखने के लिए आपको अपने 2 घंटे 31 मिनट देने होंगे।

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फिल्म की कहानी मुख्य रूप से मछुआरों की जीवन शैली पर आधारित है, कहानी में दिखाई गई बहुत सारी घटनाएं वास्तविक जीवन से भी इंस्पायर हैं,पर यह किस हद तक हैं। इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। आइए जानते हैं क्या है मूवी की कहानी और करते हैं इसका डिटेल रिव्यू

थांडेल की कहानी संक्षिप्त में

फिल्म की स्टोरी को आंध्र प्रदेश के छोटे से गांव में सेट किया गया है, जिसका फर्स्ट हाफ पूरी तरह से प्रेम में डूबा हुआ दिखाई देता है। फिल्म को मुख्य रूप से दो किरदारों के इर्द-गिर्द बुना गया है, जिनमें (राजू) नागा चैतन्य और (सत्य) साई पल्लवी शामिल हैं।

राजू जोकि पेशे से एक मछुआरा है यानी सदूर समुद्र में मछली पकड़ने का काम करता है और साल के अधिकतर दिन वह अपने काम पर ही पाया जाता है। जिस कारण राजू को अपने जिंदगी के अच्छे पल मात्र 3 महीने ही जीने को मिलते हैं, क्योंकि बाकी के 9 महीने वह अपने काम पर समुद्र में रहता है।

हालांकि इस तरह के काम को करने वाला, गांव में एक अकेला राजू ही नहीं है। बल्कि वहां के अन्य लोग भी अधिकतर इसी कारोबार से जुड़े हुए हैं। तभी कहानी आगे बढ़ती है और राजू और सत्या शादी कर लेते हैं। हालांकि सत्या को शुरू से ही इस बात का डर था की शादी होने के बाद भी राजू समुद्र की यात्रा पर अकेला निकल जाएगा, और होता भी ठीक ऐसा ही है।

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क्योंकि राजू के मनाने पर बुज्जी मान जाती है,राजू अपनी पत्नी को प्यार से (बुज्जी थल्ली) बुलाता है। लेकिन राजू की यह यात्रा, उसके जीवन का सबसे बुरा अनुभव होने वाला है, इस बात की भनक न ही राजू को थी और न ही उसकी पत्नी को।

क्योंकि वह गुजरात के तट की ओर अपने लोगों के साथ नाव पर सवार होकर निकलता तो है पर लौट कर वापस नहीं आता। जिस नाव पर सवार होकर राजू और उसके सभी साथी समुद्र की यात्रा पर निकले थे वह रास्ता भटक जाती है और एक ऐसे देश के तट पर पहुंच जाती है,

जिस से भारत के रिश्ते बिल्कुल भी ठीक नहीं,जोकि हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब इन सभी को जासूस समझ कर जेल के अंदर कैद कर दिया जाता हैं। अब कैसे राजू और उसके सभी मित्र साथी अपने गांव वापस लौटने का सफर तय करते हैं और कैसे इस पाकिस्तानी जेल से बाहर निकलते हैं यह सब जानने के लिए आपको देखनी होगी थांडेल।

मूवी के टेक्निकल एस्पेक्ट

क्योंकि फिल्म का सेकंड हाफ पूरी तरह से समुद्र की गहराइयों और हीचकोलो पर आधारित है, जिस कारण फिल्म में काफी अच्छे समुद्री नज़ारे देखने को मिलते हैं।

श्याम दत्त ने जिस तरह से फिल्म की सिनेमैटोग्राफी की है वह देखने में काफी लाजवाब है,जो एक पत्नी का दर्द स्क्रीन पर बखूबी रखते हैं। जिसे देखते वक्त दर्शक फिल्म से पूरी तरह रिलेट कर सकेंगे और दोनों मुख्य पात्रों के प्यार में खो जाएंगे।

फिल्म के निगेटिव पॉइंट्स

थांडेल के फर्स्ट हाफ में जितना ज्यादा प्रेम प्रसंग और लाइट हार्टड सीन्स पर फोकस किया गया है,इसके सेकंड हाफ में उतना ही ज्यादा इंटेंस माहौल देखने को मिलता है जो कई बार देखने में थोड़ा डरावना और अटपटा सा लगता है। मूवी में बहुत सारे समुद्री दृश्य दिखाए गए हैं जिन्हें देखकर कई बार बोरियत सी महसूस हो सकती है।

फिल्म के पॉजिटिव पॉइंट्स

प्रेम प्रसंग और विवाहित जोड़ों के बीच की केमेस्ट्री का मिश्रण जिस तरह से डायरेक्टर चंदू मोंडेती ने किया है वह काफी भावात्मक है। समुद्र के कुछ दृश्यों को छोड़कर बाकी सभी स्क्रीन पर काफी भव्य दिखाई देते हैं जो आपका दिल दहलाने में कारगर साबित होते हैं।

बात करें नागा चैतन्य और साई पल्लवी की एक्टिंग की,तो वह भी लाजवाब है। कहानी में जिस तरह से मछुआरों की जीवन शैली को दिखाने की कोशिश की गई है वह देखने में काफी रियल फील होती है,और आप उन मछुआरों की पत्नियों के दर्द को देख कर अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक सकेंगे।

“जिस तरह समुद्र में जाने वाले मछुआरों की पत्नियां उनके वापस आने के इंतजार में पूरे समय नावों को रास्ता दिखाने वाले लाइटहाउस को ताकती रहती हैं वह मंज़र दिल को काफी झंझोड़ देने वाला है”।

निष्कर्ष

यदि आपको सी एडवेंचर फिल्में देखना पसंद है जिनमें प्यार का तड़का पूरी सादगी के साथ देखने को मिले, तब आप इस वीकेंड फिल्म थांडेल को रिकमेंड कर सकते हैं। साथ ही अगर आप नागा चैतन्य और साई पल्लवी के बड़े फैन हैं, तो उस कंडीशन में इस मूवी को सिनेमाघर में जाकर जरूर देखें।

फिल्मीड्रिप रेटिंग: 5/4 ⭐ ⭐ ⭐

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  • movie reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

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