Telugu movie Rakshasa review in hindi:तेलुगू इंडस्ट्री की ओर से 7 मार्च 2025 के दिन एक नई हॉरर और थ्रिलर फिल्म रिलीज हुई है,जिसका नाम है “राक्षसा” (Rakshasa)। यह फिल्म अपने हॉलीवुड स्टाइल के कॉन्सेप्ट के साथ दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
“लोहित एच” के निर्देशन में बनी यह फिल्म तेलुगू सिनेमा में एक अलग छाप छोड़ने की कोशिश कर रही है। फिल्म के मुख्य किरदारों में प्रज्वल देवराज,सोनल मॉन्टेरो और केएस श्रीधर जैसे कलाकार नजर आते हैं। वहीं फिल्म की लंबाई की बात करें तो यह पूरे 2 घंटे,यानी 120 मिनट की है। भले ही इससे पहले तेलुगू सिनेमा में इस तरह के कॉन्सेप्ट पर फिल्में बन चुकी हों,लेकिन राक्षस में क्या है खास,आइए इस आर्टिकल में जानते हैं और करते हैं इसका पूरा रिव्यू।

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कहानी:
फिल्म की स्टोरी शुरू होती है “सत्या” (प्रज्वल देवराज) नाम के एक पुलिस ऑफिसर से जिसके मन में कभी लेखक बनने का सपना था,उसने कई फिल्मी कहानियाँ लिखीं लेकिन किसी निर्देशक या निर्माता का साथ न मिलने की वजह से वह उस क्षेत्र में कामयाबी हासिल नहीं कर सका।
आर्थिक तंगी और परिवार के दबाव के चलते वह पुलिस की नौकरी जॉइन कर लेता है। लेकिन आगे चलकर कुछ परेशानियों की वजह से उसे नौकरी से सस्पेंड कर दिया जाता है।
यहाँ से कहानी में असली ट्विस्ट आता है। सस्पेंड होने के बाद सत्या को उसके कमिश्नर का फोन आता है,जो उससे गुजारिश करते हैं कि वह पुलिस स्टेशन जाकर एक केस में गवाही दे दे, ताकि एक खतरनाक गिरोह को सजा मिल सके। यह केस सत्या के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि यह वही मामला है जो उसकी ड्यूटी के दौरान शुरू हुआ था।
लेकिन कहानी तब और रोमांचक हो जाती है,जब उसी इलाके में एक संदिग्ध बक्सा पुलिस की हिरासत में लिया जाता है। इस बक्से को जब्त करके पुलिस स्टेशन में रखा जाता है,जहाँ सत्या को गवाही के लिए जाना है। सत्या को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह दिन उसके लिए कितना खौफनाक साबित होने वाला है।
उस बक्से के अंदर एक राक्षस छिपा हुआ है जो राक्षसा का मुख्य आकर्षण बनता है। राक्षस को देखते वक्त आपको बॉलीवुड की फिल्में जैसे “गेम ओवर” और “लूप लपेटा” की याद आ सकती है
जिसमें तापसी पन्नू मुख्य किरदार में थीं। ठीक उसी तरह यहाँ भी टाइम लूप का कॉन्सेप्ट है अंतर बस इतना है कि गेम ओवर में 24 घंटे का टाइम लूप था ल,जबकि राक्षस में यह एक घंटे का है इस अनोखी कहानी को और गहराई से जानने के लिए आपको देखनी होगी फिल्म “राक्षसा”।
फिल्म के निगेटिव पॉइंट्स:
हर फिल्म की तरह राक्षसा में भी कुछ कमियाँ हैं सबसे बड़ी कमी है इसका कॉन्सेप्ट,जो नया नहीं लगता। टाइम लूप का यह आइडिया हॉलीवुड और बॉलीवुड में पहले भी कई बार इस्तेमाल हो चुका है,जिसके चलते इसमें ताजगी की कमी महसूस होती है।
दूसरी बात फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कई जगहों पर नॉइज़ जैसा लगता है,जो देखने के अनुभव को थोड़ा कमजोर करता है। इसके अलावा फिल्म में वीएफएक्स का इस्तेमाल कम है,लेकिन जो दिखाया गया है वह सस्ती क्वालिटी का लगता है। अगर मेकर्स ने इस पर थोड़ा और ध्यान दिया होता तो शायद फिल्म का प्रभाव और बढ़ सकता था।
फिल्म के पॉजिटिव पॉइंट्स:
बहुत सारी कमियों के बावजूद राक्षस में कुछ ऐसी चीजें हैं जो इसे देखने लायक बनाती हैं। सबसे पहले तो इसमें नजर आए कलाकारों का अभिनय,खासकर प्रज्वल देवराज का किरदार (सत्या) और कमिश्नर का रोल,दोनों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।
दूसरी अच्छी बात है फिल्म की लंबाई जो 2 घंटे की है और कहानी के साथ अच्छे से तालमेल बिठाती है, यह न ज्यादा खींची हुई लगती है न ही अधूरी। इसके अलावा टाइम लूप को जिस तरह से पेश किया गया है,वह तेलुगू सिनेमा के लिए एक नया प्रयोग है जो इसे थोड़ा अलग बनाता है।
निष्कर्ष:
अगर आप तेलुगू सिनेमा के शौकीन हैं और इस हफ्ते कुछ ऐसा देखना चाहते हैं,जो आपको डराने के साथ रोमांचित करे। तो राक्षसा आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकती है,हालाँकि इसमें हॉलीवुड जैसे वीएफएक्स की उम्मीद न करें।
जो कुछ भी इसमें दिखाया गया है वह अपने आप में ठीक ठाक सा और काम चलाऊ साबित होता है। यह फिल्म न तो बहुत यादगार है और न ही बहुत निराशाजनक। अगर आप लाइट हॉरर थ्रिलर देखने के मूड में हैं तो इसे एक मौका दे सकते हैं।
फिल्मीड्रिप रेटिंग 2/5