वैसे तो 7 फरवरी 2025 के दिन ‘तमिल’ इंडस्ट्री की ओर से “किंग्सटन” और “मुरमुर” जैसी हॉरर फिल्में देखने को मिलीं,पर इन्हीं के साथ एक अलग जॉनर की फिल्म “लेग पीस” भी रिलीज हुई है,जो हॉरर से हटकर कॉमेडी ड्रामा लेकर आई है। इस फिल्म का डायरेक्शन “श्रीनाथ अलनाथ” ने किया है जो इससे पहले कई तमिल फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं।
फिल्म के मुख्य कलाकारों में “योगी बाबू” जैसे शानदार एक्टर शामिल हैं। लेग पीस की कहानी एक 2000 रुपए के नोट के इर्द गिर्द बुनी गई है और यह नोट चार लोगों की जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है यही इसकी कहानी है। चलिए जानते हैं फिल्म की पटकथा क्या है और करते हैं इसका पूरा रिव्यू।
कास्ट:
योगी बाबू,जॉन विजय,शुभांगी झा,रमेश थीलक,माइम गोपी,वीटीवी गणेश,श्रीनाथ ए,सी.मनीकदन, करुणाकरन,रेडिन किंग्सले,चाम्स एवं अन्य।
भाषा: तमिल
फिल्म की लंबाई:2 घंटा 5 मिनट।
कहानी:
कहानी शुरू होती है चार ऐसे किरदारों से जिनके पीछे अलग अलग कहानियां जुड़ी हैं। इनके नाम हैं रमेश तिलक,श्रीनाथ,कुइल कुमारन और करुणाकरण। इन चारों की जिंदगी में एक खास बात यह है कि ये सभी अकेले हैं न इनका कोई परिवार है न कोई साथी। इनकी जिंदगियां तब टकराती हैं जब ये चारों रोड पर चलते हुए एक 2000 रुपए का नोट देखते हैं।
मजेदार बात यह है कि यह नोट चारों को एक साथ दिखता है। जैसे ही ये इसे उठाने के लिए आगे बढ़ते हैं इनका आपस में सामना हो जाता है। अब क्योंकि यह नोट चारों ने देखा तो सब इसके हकदार बन जाते हैं। पर रकम इतनी छोटी है कि इसे बांटा नहीं जा सकता। फिर क्या ये चारों एक हल निकालते हैं और शराब की दुकान पर पहुंच जाते हैं। वहां 2000 रुपए की शराब खरीदकर ये सब बैठकर मजे से पीने लगते हैं।
शराब पीते वक्त हर इंसान की तरह इनका भी मन अपने दिल की बातें खोलने का करता है। बस फिर क्या ये चारों एक एक करके अपनी कहानियां सुनाने लगते हैं। रमेश और करुणाकरण अपनी पुरानी जिंदगी में प्यार में डूबे थे,तो श्रीनाथ अपनी बहन के चले जाने के गम से परेशान है जो अब इस दुनिया में नहीं रही। ऐसी ही गंभीर बातें करते हुए ये चारों कब दोस्त बन जाते हैं इन्हें पता ही नहीं चलता।
पर कहानी में ट्विस्ट तब आता है,जब शराब पीने के बाद ये नोट निकालते हैं और शराब अड्डे के मालिक मोट्टाई राजेंद्रन (सबरी) को देते हैं। सबरी उन्हें बताता है कि यह नोट नकली है साथ ही गुस्से में आकर वह इन चारों पर नकली नोट चलाने का इल्जाम लगाता है और अपने साथियों के साथ मिलकर इन्हें एक कमरे में बंद कर देता है।
लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकती। थोड़ी देर बाद सबरी को उसके दुश्मनों द्वारा मार दिया जाता है। अब क्योंकि ये चारों उस कमरे में बंद हैं,तो इस मर्डर केस में फंस जाते हैं। इसके बाद शुरू होता है खुद को बेकसूर साबित करने का सिलसिला। यकीन मानिए फिल्म के सेकंड हाफ का यह हिस्सा इतना हंसी और मनोरंजन से भरा है कि आप हंसते हंसते लोटपोट हो जाएंगे।
वैसे इस फिल्म की शुरुआत एक अजीब सीन से होती है,जिसमें तीन बच्चे एक पेड़ पर चढ़े होते हैं और कुछ ऐसा देखते हैं कि सन्न रह जाते हैं। यह सीन फिल्म के क्लाइमेक्स से जुड़ा है। अब ये चारों पुलिस की पकड़ से कैसे बचेंगे और वे तीन बच्चे कौन थे यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
नेगेटिव पहलू:
फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि जिस दिन यह रिलीज हुई उसी दिन तमिल इंडस्ट्री की दो बड़ी फिल्में भी रिलीज हुई हैं। ऐसे में कई दर्शक उनकी और आकर्षित हो सकते हैं। दूसरी कमी यह है कि फिल्म के कलाकार ज्यादा मशहूर नहीं हैं। योगी बाबू को छोड़कर बाकी चेहरे नए हैं जिससे दर्शक इसे लेकर उत्साहित न हों और सिनेमा हॉल तक न पहुंचें।
फिल्म की अच्छी बातें:
जिस तरह से एक साधारण सी स्टोरी को हसी मजाक और हल्के फुल्के पलो से सजाया गया है वह तारीफ के काबिल है। यह फिल्म जिंदगी के कुछ असली मायने भी समझाती है। योगी बाबू की एक्टिंग इसे खास बनाती है। भले ही शुभांगी झा का रोल छोटा हो पर वह अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही हैं।
निष्कर्ष:
अगर आपको हल्की कॉमेडी फिल्में पसंद हैं और इस वीकेंड हॉरर फिल्मों से बचना चाहते है तो “लेग पीस” को अपनी फैमिली के साथ देख सकते है। कहानी सुनने में साधारण लगती है पर देखने में काफी मजेदार है और आपका मनोरंजन अंत तक बनाए रखती है।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: 5/2
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