Shukrana Movie Review HINDI:सिमरजीत सिंह के निर्देशन में बनी पंजाबी फिल्म शुक्राना को सिनेमा घरो में रिलीज़ कर दिया गया है फिल्म में हमें नीरू बाजवा सीमा कौशल जस बाजवा जैसे कलाकार देखने को मिलेंगे। अगर आपने शुक्राना फिल्म का ट्रेलर देखा होगा तब आप इसकी कहानी को समझ ही गये होंगे क्युकी मेकर ने फिल्म की पूरी कहानी को इसके ट्रेलर में ही रिवील कर दिया था।
कहानी
शुक्राना की कहानी कुछ इस तरह से है,पंजाब में एक बड़ी फैमिली एक साथ मिल जुल कर रहती है। इसी परिवार के बड़े लड़की की शादी होती है। घर में एक नयी नवेली दुल्हन आती है। घर में खुशियों का माहौल बना हुआ है। सभी लोग नाच रहे है गा रहे है खुशिया मना रहे होते है।
हसी मज़ाक प्यार मोहब्बत की बाते होती रहती है। ये सब फिल्म के पहले हाफ में हमें देखने को मिलता है। पहले हाफ के खत्म होते-होते परिवार के बड़े लड़के की मौत हो जाती है इसके बाद से शुरू होता है फिल्म का सेकण्ड हाफ।
फिल्म के दूसरे हिस्से में दिखाया गया है के बेटा जिसकी मर्त्यु हो गयी है उसकी दुल्हन का विवाह परिवार के छोटे लड़के के साथ कर दिया जाये। अब छोटे देवर के साथ उसकी शादी हो पाती है या नहीं हो पाती यही सब कुछ इस फिल्म में देखने को मिलता है।
कैसी है शुक्राना फिल्म
फिल्म की कहानी कुछ ख़ास डिलिवर्ड नहीं करती है इस तरह की कहानिया पहले भी बहुत सी फिल्मो में देखि जा चुकी है। फिल्म दो घंटे की है पर फिर भी फिल्म देखते टाइम पर आपको ऐसा लगेगा के फिल्म बहुत लम्बी है। शुक्राना के पहले हाफ में जितने भी हसी ठहाकों को दिखाया गया है। उतनी ही फिल्म अपने दूसरे हिस्से में इमोशनल हो जाती है।
क्या अच्छा है फिल्म में
फिल्म की अच्छी चीज़ो में नीरू बाजवा आती है जिन्होंने अपनी ज़बरदस्त एक्टिंग से पूरी फिल्म को बांध कर रक्खा है। इस फिल्म से इनकी एक्टिंग और भी निखर के सामने आयी है। इसके इलावा तो फिल्म में और कुछ नहीं है जिसकी तारीफ की जा सके।
मियुज़िक
फिल्म में कोई भी ऐसा गाना नहीं है जो सिनेमा घरो से बाहर आकर आप को याद रहे । फिल्म का बीजीएम भी बस ठीक ठाक सा ही है। प्रोडक्शन वैलु की अगर बात की जाये तो वो भी कम है। अगर आप ये फिल्म अपनी फैमिली के साथ देखने जाते है तो शायद आपको अच्छी लगेगी पर अगर आप अकेले देखेंगे तब ये आप को बोर कर सकती है।
फ़ाइनल वर्डिक्ट
जो भी इस फिल्म में देखने को मिलता है उसे बहुत बार हम अनेके पंजाबी और हिंदी फिल्मो में देख चुके है। फिल्म में कुछ भी नयापन नहीं है। जो की फिल्म से एक बड़ी शिकायत है। जिस तरह से पंजाबी सिनेमा ग्रो करता नज़र आरहा है।
उसके लिये और भी अच्छी-अच्छी फिल्मो की हमें जरूरत है। शुक्राना फिल्म तो अच्छी है पर इस तरह की बहुत सी फिल्मे हम पहले ही देख चुके है।कंटेंट में कुछ नयापन न होने के कारण ये फिल्म दर्शको पर पर अपना ज़ादा प्रभाव नहीं छोड़ पायेगी। फिल्म को देखते समय ऐसा लगता है के एक छोटी से स्टोरी को बहुत ज़ादा खीचा गया है।