RTI:10th क्लास की लड़की,सुसाइड है या मर्डर कैसे पता लगाएगी विकलांग महिला वकील?

RTI movie review in hindi

RTI movie review in hindi:तेलुगू इंडस्ट्री की नई मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म ‘आर.टी.आई’ 26 सितंबर को ‘ईटीवी’ के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो चुकी है। इसका डायरेक्शन सुरेश कृष्ण ने किया है, जिन्होंने इससे पहले कई टीवी सीरियल्स में अपना निर्देशन दिया है, जिनमें से 2019 में आए सन टीवी पर टेलीकास्ट हुए सीरियल ‘चॉकलेट’ और ‘चंद्रमुखी’ जैसे शो शामिल हैं। फिल्म की कहानी मर्डर मिस्ट्री पर बेस्ड है अदालत और इंसाफ के इर्द-गिर्द घूमती है।

फिल्म की स्टोरी ‘माया’ (रामा राव जाधव) के किरदार पर आधारित है जोकी 10th क्लास की एक कॉलेज स्टूडेंट है, डिप्रेशन में होने के कारण एक दिन वह पंखे से लटक कर सुसाइड कर लेती है। माया का केस कोर्ट में जाता है लेकिन सबूत के ना मिल पाने के कारण 2 साल तक कोर्ट का फैसला पेंडिंग रहता है जिसके कारण माया की डेथ बॉडी का अंतिम संस्कार भी नहीं किया जाता ।


आगे की कहानी 2 साल बाद की दिखाई है जिसमें बाप ‘राममूर्ति’ (कोटा जयराम) और बेटी ‘तारा’ (प्रीति सुंदर कुमार) वकील के किरदार में नजर आते हैं जिन्होंने रेलवे प्रशासन के ₹2 कम रिफंड करने पर कोर्ट केस किया होता है जिसकी सुनवाई हो जाती है।

और वह कैसे जीत जाते हैं तभी उनकी मुलाकात माया की मां से होती है जो तारा से रिक्वेस्ट करती है की वे माया का केस अपने हाथों में लेले इसके बाद वह एग्री हो जाती है और एक लंबी चौड़ी अदालती कार्रवाई फिल्में में देखने को मिलती है जिसमें कई बार बहुत से ट्विस्ट और टर्न भी नजर आते हैं।

फिल्म की कहानी आपको पूरी तरह से बांध के रखती है।क्या तारा माया के घर वालों को इंसाफ दिला पाती है या नहीं यह सब जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी या फिल्म जोकी तेलुगु भाषा के साथ-साथ हिंदी में भी उपलब्ध है।

फिल्म की पटकथा काफी स्लो है जिसका मेन कारण लो कैटेगरी का स्क्रीन प्ले है। इसके बैकग्राउंड म्यूजिक की बात करें तो यह अच्छा है जो कि अपने हर एक सीन को यूनीक बनाता है।

फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसका नाटकिया रूपांतरण है जिसमें लंबे-लंबे सीन देखने को मिलते है। इसका स्क्रीन प्ले काफी खराब है, जिसके कारण दर्शन कहानी में बॉन्डिंग महसूस नहीं करेंगे
क्योंकि फिल्म की राइटिंग में बहुत सारे लूप होल देखने को मिलते हैं।

फिल्म को बहुत सारे एलिमेंट से जोड़कर बनाया गया है, फिर चाहे वह कोर्ट रूम ड्रामा हो या फिर बेटी को इंसाफ ना मिल पाने का दर्द लिए मां के इमोशन्स हों, फिल्म ने सभी मुद्दों को अच्छे ढंग से स्क्रीन पर पेश करने की कोशिश की है जिसमें कई बार आप हंसी के ठहाके भी लगाने को मजबूर हो जाते हैं।

हालांकि फिल्म की स्टोरी काफी रचनात्मक है फिर भी यह दर्शकों का कीमती समय ज़ाया करती नही दिखती। फिल्म पूरी तरह से फैमिली फ्रेंडली है जिसके कारण आप इसे अपने परिवार के साथ भी इंजॉय कर सकते हैं।

Rate this post

Author

  • movie reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

    View all posts
Social Share

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment