Maalik Review Hindi: राजकुमार राव की मालिक को 11 जुलाई 2025 से सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया है, जिसका निर्देशन पुलकित ने किया है, जो मालिक से पहले भक्षक और बोस: डेड/अलाइव जैसी वेब सीरीज बना चुके हैं। यहां राजकुमार के साथ मानुषी छिल्लर, प्रसेनजीत चटर्जी मुख्य भूमिका में हैं। मालिक की कहानी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सेट की गई है और राजकुमार राव यहां गैंगस्टर के रूप में दिखाए गए हैं। आईए जानते हैं कैसी है मालिक फिल्म, क्या यह आपका एक अच्छा टाइम पास कर सकती है या नहीं।
कहानी
बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में वैसे तो बहुत सारी गैंगस्टर पर फिल्में बनाई जा चुकी हैं जैसे कि सत्या, शूटआउट एट वडाला, संजय दत्त की वास्तव, हथियार, नवाजुद्दीन सिद्दीकी की गैंग्स ऑफ वासेपुर। इन सभी फिल्मों की एक बात जो खास थी वो ये थी कि इनके कैरेक्टर को गैंगस्टर के रूप में एक पहचान मिली। केजीएफ, पुष्पा जैसी गैंगस्टर फिल्में एक मास अपील दे कर गई थीं, वहीं मालिक में राजकुमार राव पूरी तरह से फेल दिखाई दे रहे हैं।

बात ऐसी नहीं है कि राजकुमार राव गैंगस्टर के किरदार में फिट नहीं बैठ सकते, क्योंकि धनुष और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे अभिनेता, जो शारीरिक रूप से बलवान नहीं हैं, फिर भी गैंगस्टर की भूमिकाओं में जबरदस्त लगे। लेकिन अगर राजकुमार राव की बात करें, तो मालिक में उनका गैंगस्टर अवतार उतना प्रभावी नहीं लगा, शायद किरदार में गहराई या स्क्रिप्ट के साथ तालमेल की कमी रही।
जिस तरह से फिल्म के अंदर दिखाया गया है कि राजकुमार राव गैंगस्टर क्यों बनता है, वहीं कहानी पूरी तरह से फेल होती दिखाई दे जाती है। मालिक के किसी भी सीन में राजकुमार राव गैंगस्टर वाली फील ही नहीं देते। कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है। इस तरह की फिल्में पहले भी बॉलीवुड में बहुत बार बनाई जा चुकी हैं।
बॉलीवुड में इस तरह की कहानियां पहले भी कई बार देखने को मिल चुकी हैं। राजकुमार राव अपनी नई फिल्म मालिक के साथ फिर से उसी तरह के कॉन्सेप्ट को लेकर आए हैं।
पॉजिटिव प्वाइंट
फिल्म में एक डायलॉग है कि “इतना गोली चलाओ जितना कि आज तक उत्तर प्रदेश में किसी ने न चलाया हो।” इसे देख एक समय पर ऐसा लगता है कि हम वासेपुर देख रहे हों। वासेपुर की तरह यहां भी गोलियों की गड़गड़ाहट गूँजती है। बिल्कुल वैसा ही माहौल दिखता है जो देखकर रूह में दहशत सी पैदा होती है। फिल्म के कुछ सीन शाहरुख खान की रईस की भी याद दिलाते हैं।

प्रसेनजीत चटर्जी और राजकुमार राव का जो टकराव यहां देखने को मिला, वह काफी शानदार रहा। राजकुमार राव, सौरभ शुक्ला, प्रसेनजीत, अंशुमन झा, सभी कलाकारों ने अच्छा काम दिया है। मानुषी छिल्लर का एवरेज परफॉर्मेंस देखने को मिलता है। अभिनेत्री खूबसूरती के बल पर सिर्फ हीरोइन नहीं बन सकती अगर उसमें एक्टिंग का कीड़ा नहीं है। यह बात मानुषी छिल्लर को समझना चाहिए।
नेगेटिव पॉइंट
सिर्फ एक सीन की वजह से इसको ए रेटेड सर्टिफिकेट मिला है, जिस वजह से इसे फैमिली के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता। मालिक इंटरवल से पहले तो ठीक-ठाक चलती है, पर इंटरवल के बाद क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, किस लिए हो रहा है, कुछ समझ नहीं आता। सौरभ सचदेवा को यहां इतना काला दिखाया गया है, जिसे देखने के बाद समझ में नहीं आता कि यह इतना काला क्यों था। 2 घंटे 32 मिनट की यह फिल्म देखने से पहले बहुत ज्यादा मन में एक्सपेक्टेशन नहीं रखना है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर पर बनी फिल्में देखने का शौक रखते हैं और साथ ही आप राजकुमार राव के फैन भी हैं, तब आप इसे एक बार देख सकते हैं। मैं इस फिल्म को एक एवरेज कैटेगरी के अंदर ही रखता हूं और मेरी रेटिंग रहेगी पांच में से ढाई स्टार 2.5/5।
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