‘साजिद याहया’ के निर्देशन में और ‘विजय बासु’ के प्रोडक्शन में बनी ‘मलयालम’ रोमांटिक ट्रेजेडी ‘क़ल्ब’ को 12 जनवरी 2024 में मलयालम भाषा में रिलीज़ किया गया था।
अब एक साल के बाद जियोहॉटस्टार के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर पांच भाषाओं में डब करके इसे रिलीज़ किया गया है। क़ल्ब फिल्म को आप हिंदी, मलयालम, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ भाषा में जियोहॉटस्टार के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं। आइए जानते हैं कैसी है यह फिल्म, क्या यह आपके टाइम को डिज़र्व करती है या नहीं।
कहानी
कहानी एक ऐसे लड़के पर आधारित है जो समुद्र के किनारे रहता है और अपने पिता के कैफे में उनका हाथ बटाता है। क़ल्बो का सपना है कि वह विदेश में जाकर रहे और वह सोचता है कि किसी विदेशी लड़की को पटाकर ग्रीन कार्ड लेकर वहीं सेटल हो जाए। पर एक आम आदमी की तरह ही वह जैसा चाहता है, वैसा होता नहीं।
क़ल्बो को एक थंबी नाम की लड़की से प्यार हो जाता है। कहानी उस वक्त नया मोड़ लेती है जब थंबी एक मुस्लिम परिवार से निकलती है। अब जहां क़ल्बो का पिता इस शादी के लिए राज़ी है, वहीं थंबी का पिता शादी के लिए राज़ी नहीं होता।
कहानी को आप जितनी सरल भाषा में समझ रहे हैं, यह उतनी सरल नहीं है। इसमें आपको बहुत सारे ट्विस्ट देखने को मिलेंगे। क्या क़ल्बो का सपना विदेश जाने का पूरा होता है? क्या वह जिस लड़की के प्यार में पड़ा है, उससे शादी कर पाता है? जो कि आप जियोहॉटस्टार के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जाकर देख सकते हैं।
पॉज़िटिव प्वाइंट
क़ल्ब की कहानी बड़ी होने के साथ-साथ बोरिंग भी है। पर फिर भी यह दर्शकों के बीच इंटरेस्ट जगाने का पूरा काम करती है। जिस तरह से क़ल्बो और थंबी के प्यार को दर्शाया गया है, उसे देखकर आपको अपने प्यार की याद तो ज़रूर आती है। इसके सभी कैरेक्टरों ने अपनी शानदार एक्टिंग की प्रतिभा से कहानी को प्रभावी बनाने की कोशिश की है। क्लाइमेक्स के 15 मिनट आपको इंगेज करके रखते हैं।
नेगेटिव पॉइंट
कहानी में बहुत सारे अच्छे-अच्छे एलिमेंट डालने के बाद भी वह फील नहीं आता, जो कि एक रोमांटिक फिल्म से आना चाहिए। इसके ज़्यादातर सीन प्रेडिक्टेबल हैं, जो पहले से ही प्रेडिक्ट किए जा सकते हैं कि आगे क्या दिखाया जाने वाला है।
वहां पर दर्शकों की वह उत्सुकता खत्म हो जाती है, जो उसके अंदर होती है कि आखिर आगे हमें कहानी में क्या देखने को मिलने वाला है। इतने गाने डालने की ज़रूरत नहीं थी, जितने इसमें डाले गए हैं, जिस वजह से यह पूरी कहानी और भी खिंची सी दिखाई पड़ती है और यही वजह है कि आप इससे बोरियत महसूस करने लगते हैं।
टेक्निकल एस्पेक्ट
सिनेमैटोग्राफी बहुत ही शानदार है, जिसमें केरल की खूबसूरती को अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया है। अगर आपको नेचर वाले वीडियो देखना पसंद है, तब आपको इसकी सिनेमैटोग्राफी आकर्षित कर सकती है। प्रोडक्शन वैल्यू इतनी नहीं है, पर फिर भी कम बजट में जितनी अच्छी फिल्म बनाई जा सकती थी, उतनी बनी है।
स्क्रीनप्ले और बीजीएम कुछ खास नहीं है, यही वजह है कि यह एक लव स्टोरी होने के बाद भी आपको रोमांस वाली फील देने में कामयाब नहीं रहती। इन्हीं सब नेगेटिव पॉइंट्स की वजह से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की ऑडियंस ने इसे ठुकरा के मेरा प्यार कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया था।
निष्कर्ष
फिल्म में किसी भी तरह की अडल्ट भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है, आप इसे अपनी पूरी फैमिली के साथ बैठकर देख सकते हैं। एक अच्छी डबिंग के साथ आप इसे अपना टाइम दे सकते हैं, पर बहुत ज़्यादा एक्सपेक्टेशन को किनारे रखकर। आईएमडीबी पर इसे 6.7 की रेटिंग दी गई है। फिल्मी ड्रिप की तरफ से इसे दिए जाते हैं पांच में से ढाई स्टार।
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