Panchayat Season 4 Ending Explain: डायरेक्टर दीपक कुमार मिश्रा द्वारा निर्देशित और “टीवीएफ प्रोडक्शन” के अंतर्गत बनी वेब सीरीज “पंचायत सीजन 4” बीते मंगलवार प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है,जिसके मात्र 8 एपिसोड ने पंचायत फ्रेंचाइजी के फैंस के दिलों में हलचल मचा दी है। अब चाहे यह हलचल पंचायत सीजन 4 की कहानी को लेकर हो या फिर मनोरंजन के साथ पॉलिटिक्स तक के सफर को लेकर,
दर्शक जल्द से जल्द इस सीरीज का अगला सीजन यानी “पंचायत सीजन 5” देखना चाहते है। हालांकि पंचायत सीजन 4 में कुछ ऐसे रोचक तथ्य भी मौजूद हैं जिनके बारे में हम आज इस आर्टिकल में बात करेंगे, साथ ही पंचायत के सीजन 4 की एंडिंग को भी एक्सप्लेन करेंगे।
टेंशन से होकर गुजरता आनंद दायक सफर:

जिस तरह से इस बार पंचायत सीजन 4 की शुरुआत होती है उसे इस वेब सीरीज के मेकर्स द्वारा एक स्मार्ट मूव भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसके शुरुआती एपिसोड में इस कदर टेंशन भरा माहौल पैदा किया गया है,जिसके कारण सीजन 4 के साथ दर्शक शुरू से ही अटैच हो जाते हैं, और यह सब इसलिए नहीं होता है कि सिरीज़ में कोई नया किरदार आने वाला है, बल्कि उन्हें पुराने किरदारों के साथ जिस तरह से डायरेक्टर “दीपक कुमार मिश्रा” द्वारा पंचायत सीजन 4 में पहला एपिसोड के साथ ही दर्शकों को इंगेज रखा जाता है,वह तारीफ के काबिल है।
“पंचायत सीजन 4” का फुलेरा गांव अब कुछ हद तक बदल चुका है, जहां अब गांव वाले सिर्फ प्रधान जी की और ही आकर्षित नहीं है, बल्कि “बनराकस” और उसकी पत्नी क्रांति देवी की और भी झुके हुए हैं। क्योंकि इस बार प्रधान मंजू देवी के साथ-साथ क्रांति देवी भी इलेक्शन में खड़ी दिखाई दे रही हैं। दोनों ही पार्टियां पुरजोर लगाकर गांव वालों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी हुई हैं,फिर चाहे इसके लिए गांव में मौजूद स्कूल के टॉयलेट को साफ करने का काम हो, या फिर गांव के मैदानो से कूड़ा करकट हटाना।
पंचायत सीजन 4 का अधूरा सवाल:
वहीं दूसरी और एक सवाल है जो अभी अधूरा है की प्रधान जी को गोली किसने मारी?
इस सवाल का जवाब खोजने खोजने कब “पंचायत सीजन 4” का अंत हो जाता है दर्शक समझ ही नहीं पाते। वहीं दूसरी ओर “पंचायत सीजन 3” में दिखाए गए विधायक के किरदार में ‘पंकज झा’, जिन्हें अब अपनी ही पार्टी से निष्कासित कर, बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और यह सब करने के पीछे खुद विधायक के बड़े भाई का हाथ है।
प्रहलाद चा का पैसा विकास के लिए गले का फंदा:
सचिव जी के सहायक विकास, गांव में मौजूद 6 बीघा जमीन 35 लाख रुपए की खरीदतें हैं। क्योंकि “प्रहलाद चा” के बेटे की मौत के बाद मिले उन्हें “एक करोड रुपए” में से कुछ हिस्सा प्रहलाद चा,विकास को उसके होने वाले बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए दे देते हैं। हालांकि यही पैसा आगे जाकर सीजन 4 की कहानी में विकास के लिए गले का फंदा बन जाता है, क्योंकि ये पैसा विकास की पत्नी पर एक ऐसा लालछन लगाता है जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था।
सचिव जी की प्रेम कहानी:

सभी घटनाओं के परे सचिव जी और रिंकी की मीठी मीठी सी प्रेम कहानी भी दिखाई देती है, हालांकि कई बार यह “प्रेम कहानी” सचिव जी के लिए मुसीबत भी बन जाती है। जैसे कि वह इंसिडेंट जब रिंकी गांव की दुकान पर बची हुई आखिरी दो कचौड़ियां खरीदती है, तभी इस दुकान पर “विधायक की बेटी चित्रा” भी उन्हीं “दो कचौड़ियों” को खरीदने की जिद करती है और इन दोनों कि यह जिद लड़ाई में तब्दील हो जाती है, जिसे सुलझाने के लिए खुद सचिन जी को जाना पड़ता है।
बिनोद गरीब है पर गद्दार नहीं:
“पंचायत सीजन 4” सीरीज में एक ऐसा मोमेंट भी आता है जब प्रधान जी और उनकी टीम को ऐसा लगता है कि, बनराकस के बाएं हाथ बीनोद को अपनी पार्टी में शामिल किया जा सकता है।
जिसके लिए बिनोद को प्रधान जी के घर भोजन पर आमंत्रित किया जाता है, जहां बिनोद का स्वागत पूड़ी और सिवैयां से होता है। हालांकि भोज के अंत में जब पार्टी बदलने की बात आती है तब बिनोद बनराकस के प्रति ईमानदार रहता है और कहता है, “हम गरीब हैं, पर गद्दार नहीं”।
हम गरीब हैं…….गद्दार नहीं!!
— साहित्य पंक्तियां (@SahityaPankti) June 25, 2025
V Clip: Panchayat Session 4
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लौकी और कूकर की चुनावी लड़ाई में किसकी हुई जीत:
सीरीज की इस कड़ी में गांव की प्रधानी का इलेक्शन सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है जिसमें चुनाव निशान लौकी से उम्मीदवार हैं “मंजू देवी” (नीना गुप्ता) वहीं चुनाव निशान कुकर की ओर से “क्रांति देवी” वोट पड़ चुके हैं, अब सिर्फ इंतजार है वोटिंग काउंटिंग का, यानी इलेक्शन के रिजल्ट घोषित होने का। जहां एक ओर प्रधान जी ने 25 किलो लड्डू बनवाने का आर्डर दिया है, तो वहीं दूसरी ओर बनराकस द्वारा 50 किलो लड्डू बनवाए गए हैं।
जो कि इस बात को साफ साफ दर्शाता है कि प्रधान जी के दिल में प्रधानी इलेक्शन के रिजल्ट को लेकर काफी चिंता का माहौल है। हालांकि सिरीज़ खत्म होते होते प्रधान जी का यह इलेक्शन हारने का डर असल में सच हो जाता है, क्योंकि इस बार की प्रधानी के चुनाव में प्रधान जी की पत्नी मंजू देवी की हार होती है और क्रांति देवी की जीत।

जहां एक ओर बनराकस की पार्टी में मौजूद बिनोद और माधव खुशियां मना रहे हैं, वहीं प्रधान जी की पार्टी में मौजूद सचिव जी,प्रहलाद चा समेत सभी लोग शोक के माहौल में डूबे हुए हैं। वहीं प्रधान जी इलेक्शन हार के कारण अब पूरी तरह टूट चुके हैं।
और बात करें “पंचायत सीजन 4 के अंतिम सीन” की तो इस वेब सीरीज को पंचायत भवन में खत्म किया जाता है जहां,पंचायत भवन की दीवार पर प्रधान मंजू देवी का नाम हटा कर क्रांति देवी का नाम लिख दिया जाता है और इस वेब सीरीज का यह अंतिम सीन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस बात को बखूबी दर्शाता है, “कि सत्ता परिवर्तन प्रकृति का रूल है”।
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