Oscar Award 2025:मिट्टी से सोने तक का सफर।

oscar award 2025 trophy making

oscar award 2025 trophy making:साल 16 मई 1929 से शुरू हुआ ‘ऑस्कर अवार्ड’ जिसे आधिकारिक तौर पर “अकादमी अवार्ड ऑफ मेरिट” कहते हैं,आज इतने सालों बाद भी अपनी शान बनाए हुए है।

इसके पहले समारोह को रेडियो पर प्रसारित किया गया था और अब हर साल इसे टीवी पर दुनिया भर के लोग देखते हैं।

यह अवार्ड अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत से जुड़े कलाकारों की मेहनत को सम्मान देने का एक प्रयास है,ताकि उनकी प्रतिभा सबके सामने आ सके। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शानदार समारोह में दी जाने वाली ट्रॉफी कैसे बनती है? आइए,इस लेख में इसके पीछे की कहानी जानते हैं।

ऑस्कर अवार्ड के असली कारीगर:

जैसे ऑस्कर जीतने वाले कलाकार अपनी कला में अनोखे होते हैं,वैसे ही इस ट्रॉफी को बनाने वाले कारीगर भी बेहद प्रतिभाशाली हैं। साल 1980 से 2015 तक यह ट्रॉफी शिकागो की “आर.एस.ओवेन्स एंड कंपनी” द्वारा बनाई जाती थी।

लेकिन समय के साथ ऑस्कर अवार्ड के पैनल ने इसकी क्वालिटी को और बेहतर करने का फैसला किया। इसलिए 2016 से यह जिम्मा न्यूयॉर्क शहर के रॉकलैंड काउंटी में स्थित “पोलिच टैलिक्स फाइन आर्ट फाउंड्री” को सौंपा गया। आज भी यही कंपनी इस ट्रॉफी को बना रही है।

ट्रॉफी बनाने में महत्वपूर्ण चरण:

ऑस्कर अवार्ड की ट्रॉफी को पूरी दुनिया में खास माना जाता है। इसलिए इसे बनाने में कई सावधानी भरे चरणों का पालन किया जाता है,और यह सारा काम ज्यादातर इंसानों के हाथों से ही होता है। आइए जानते हैं इसकी प्रक्रिया।

ट्रॉफी का डिज़ाइन:

इस ट्रॉफी का डिज़ाइन सेड्रिक गिबन्स नाम के आर्ट डायरेक्टर ने तैयार किया था,जो एमजीएम स्टूडियो में काम करते थे। वहीं,मूर्तिकार जॉर्ज स्टेनली ने इस ऑस्कर मूर्ति को आकार दिया था।

मूर्ति की ढलाई

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस महत्वपूर्ण ट्रॉफी को बनाने की शुरुआत मिट्टी से होती है। इसके बाद इसे कांस्य (ब्रॉन्ज़) में ढाला जाता है।

सोने का इस्तेमाल:

भले ही इसकी शुरुआत मिट्टी से हो, लेकिन अगले चरण में यह पूरी तरह बदल जाता है। इसमें 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई जाती है,ताकि ट्रॉफी में वह चमक आए जो ऑस्कर की पहचान है।

अंतिम पड़ाव:फिनिशिंग

अंतिम चरण में सोने की परत चढ़ी इस मूर्ति को संगमरमर के बेस पर लगाया जाता है,ताकि इस ट्रॉफी को पाने वाले सदस्य का नाम उस पर लिखा जा सके।

बनाने में आई लागत:

यह अवार्ड अनमोल है और इसका कोई मोल नहीं लगाया जा सकता। फिर भी इसे बनाने की लागत की बात करें, तो करीब 500 डॉलर तक खर्च आता है। इस ट्रॉफी का वजन लगभग 3.85 किलोग्राम होता है।

निष्कर्ष:

दुनिया भर के कई देशों की फिल्में ऑस्कर 2025 के लिए नॉमिनेट हुई हैं। भारत की ओर से फिल्म “अनुजा” इस दौड़ में शामिल है,जिसे गुनीत मोंगा ने डायरेक्ट किया है। अगर यह फिल्म अवार्ड जीतती है, तो यह हमारे देश के लिए गर्व की बात होगी।

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  • movie reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

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