Nightwatch Demons Are Forever:हॉलीवुड की ओर से ‘बुकमाईशो’ के वीडियो ऑन डिमांड सर्विस पर एक नई फिल्म हिंदी में रिलीज़ की गई है, जिसका नाम ‘नाइटवॉच डेमन आर फॉरएवर‘ है।
बात करें इसके जॉनर की तो यह हॉरर मिस्ट्री कैटेगरी में आता है।फिल्म की कहानी ‘एमा’ नाम के किरदार की जिंदगी पर आधारित है जोकि एक मेडिकल स्टूडेंट है।मूवी का डायरेक्शन ओले बोर्नडाल ने किया है जिन्होंने इससे पहले ‘1864’ नाम की फिल्म का लेखन किया था।
कहानी-
मूवी की स्टोरी ‘एमा’ (फैनी बोर्नडाल) नाम की लड़की पर बेस्ड है जोकि एक मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट है और अपने पिता ‘मार्टिन’ (निकोलज कोस्टर-वाल्डौ) के साथ रहती है। एमा अपनी मां को बचपन में ही खो चुकी है। एमा के पिता मार्टिन जोकि एक गंभीर ट्रॉमा से जूझ रहे हैं।
जिसके कारण उन्होंने अपनी जॉब भी छोड़ दी। “घर खर्च चलाने के लिए एमा अपने ही मेडिकल कॉलेज में ‘नाइटवॉच’ की नौकरी के लिए अप्लाई करती है जिसके बाद एमा का सिलेक्शन भी हो जाता है”।
कहानी की दिलचस्प बात ये है कि एमा के पिता मार्टिन भी इससे पहले इसी मेडिकल कॉलेज में नाइटवॉच की नौकरी करते थे। जिसे छोड़ने के पीछे भी एक इंट्रेस्टिंग कहानी है जिसके बारे में मार्टिन एमा को बताता है जिसे जानने के बाद वह ‘सेंट हैंसेक साइकैट्रिस्ट हॉस्पिटल’ जाती है जहां से इन सब बुरी चीजों की शुरुआत हुई थी।
जहांपर उसे ‘वॉर्मर’ (किम बोडनिया) नाम का एक बूढ़ा आदमी मिलता है। जो ‘रेट्रो सेनसोगिट्ट’ नाम की दिमागी बीमारी से ग्रस्त है जोकि बहुत समय पहले इस मेंटल हॉस्पिटल से भाग गया था जिसके बाद वह मार्टिन यानी एमा के घर पर हमला कर देता है जिसके ट्रामा के कारण एमा की मां सुसाइड कर लेती है।
और पिता ‘कॉग्निटिव थैरेपी’ के ट्रामा से गुजर रहे हैं। कहानी में नया ट्विस्ट तब आता है जब वॉर्मर के मुं बोले पुत्र ‘बेंट’ (कैस्पर केजोर जेन्सेन) की एंट्री होती है जोकि अपने पिता की इस हालत का जिम्मेदार मार्टिन को मानता है क्योंकि उसके लिए वॉर्मर ‘फादर फिगर’ के समान था, बेंट को अब तक यह पता चल चुका था कि मार्टिन की एक बेटी भी है।
क्या बेंट एमा को मारकर अपना बदला ले पाएगा?
या एमा बेंट को मारदेगी ?
यह सब जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी यह फिल्म जोकि बुकमाईशो पर उपलब्ध है।
टेक्निकल एस्पेक्ट-
अगर बात करें मूवी की सिनेमैटोग्राफी की तो यह काफी कमजोर है, जिसमें ना तो डेप्थ है ना ही फीलिंग है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी इसकी कहानी का साथ नहीं देता, जो की काफी फीका है। बात करें इसके प्रोडक्शन वर्क की तो वह एवरेज है। फिल्म की हिंदी डबिंग भी काफी ख़राब है।
खामियां-
इस फिल्म की पहली सबसे बड़ी कमी इसकी स्टोरी लाइन है जो कि वही पुरानी हॉलीवुड फिल्मों की तरह काफी घिसी पिटी है। जिसमें किसी भी प्रकार का नयापन नहीं दिखाई देता। फिल्म की दूसरी बड़ी कमी इसका थ्रिलर है जो की कहानी में ना के बराबर देखने को मिलता है। फिल्म में ना ही कोई हॉरर एंगल दिखाया गया है और ना ही यह फिल्म आपको डराने में कामयाब होती है। फिल्म की तीसरी सबसे बड़ी कमी इसकी कहानी का एग्जीक्यूशन है जो की बहुत ज्यादा स्लो है, जिसमें बेवजह के सीन्स को डालकर इसकी लेंथ बढ़ाने की कोशिश की गई है।
फाइनल वर्डिक्ट-
फिल्म के मेकर्स द्वारा रखा गया इस फिल्म का नाम काफी अटपटा सा लगता है। क्योंकि फिल्म में किसी भी प्रकार का हॉरर एलिमेंट नहीं दिखाया गया है और ना ही इसमें कोई गूसबम्स मोमेंट है। फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती है,उबाऊ फील होने लगती है और आप समझ नहीं पाते फिल्म को बनाने के पीछे इसके मेकर्स का उद्देश्य क्या था।
हमारी तरफ से इस फिल्म को दिए जाते हैं 5/1 ⭐.
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