अमेज़न एमएक्स प्लेयर पर दक्षिण कोरियाई मेलोड्रामा फिल्म माय ब्रिलियंट लाइफ रिलीज़ की गयी है।
गैंग डोंग-वोन और सॉन्ग हये-क्यो मुख्य किरदारों में नज़र आते हैं। एक घंटा सत्तावन मिनट की यह फिल्म आपके सामने एक इमोशनल और हार्ट टचिंग कहानी लाती है, इसके साथ ही कहानी में एक ट्विस्ट भी है।
कहानी
फिल्म में एक कपल की कहानी दिखाई गयी है, जो कम उम्र में माता-पिता बन जाते हैं। इनका एक छोटा बेटा होता है, और कहानी इन तीनों किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती दिखती है। इनके बेटे की उम्र सिर्फ 16 साल की होती है, पर उसे एक बीमारी हो जाती है, जिसकी वजह से 16 साल की उम्र में वह 80 साल का दिखने लगता है।
2009 में एक बॉलीवुड फिल्म रिलीज़ हुई थी, जिसका नाम पा है। पा फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ उनका बेटा अभिषेक बच्चन नज़र आए थे। पा फिल्म में भी अमिताभ बच्चन को कुछ इस तरह की बीमारी होती है।
इस बीमारी का नाम प्रोजेरिया है, मेडिकल भाषा में इसे हचिंसन-गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम कहा जाता है। माय ब्रिलियंट लाइफ का कॉन्सेप्ट पा फिल्म से मिलता-जुलता लगता है।
शो में दिखाए गए इस बच्चे के लिए एक दिन एक साल के बराबर होता है। उसकी ज़िंदगी अब कुछ दिनों की ही बची है। अब इस बच्चे को भी अपनी बीमारी के बारे में पता है, और उसे यह भी पता है कि उसके साथ आगे क्या होने वाला है। अब वह अपनी ज़िंदगी को किस तरह जीता है, क्या उसके सपने जो उसने अपनी ज़िंदगी को लेकर देखे थे, पूरे होंगे? फिल्म की शुरुआत जिस तरह से होती है, उससे लगता ही नहीं कि यह फिल्म आगे जाकर हम सबकी आँखों को आंसुओं से भर देगी।
क्योंकि शुरुआत में यह फिल्म बहुत हंसाती है, पर जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, उतनी ही इमोशनल भी होती जाती है। जिस तरह से फिल्म का अंत होता है, उससे यह फिल्म साबित कर देती है कि ज़िंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है।
इसके साथ यह फिल्म इस बात का भी अहसास कराती है कि एक दिन कई सारे लोगों के लिए ख़ुशी का दिन होता है, तो उसी दिन कई सारे लोगों के लिए गम का दिन।
फिल्म हमें हमारी ज़िंदगी का आइना दिखाती है कि लाइफ में कुछ भी परमानेंट नहीं है, बल्कि यह पूरी ज़िंदगी टेम्परेरी है, कभी भी कुछ भी हमारे या हमारे अपनों के साथ हो सकता है।
हिंदी डबिंग
फिल्म की हिंदी डबिंग को अच्छे से किया गया है। कहानी को आसान भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिस वजह से फिल्म देखते हुए हर एक सीन अच्छे से समझ आता है। वैसे तो पुरानी फिल्मों की डबिंग पर अच्छे से काम नहीं किया जाता, पर इस फिल्म की डबिंग और अनुवाद पर मेहनत की गयी है।
फैमिली के साथ देख सकते हैं
फिल्म में हमें कहीं-कहीं पर किस और एडल्ट डायलॉग सुनाई दे जाते हैं, तो अगर आप अपनी फैमिली के साथ फिल्म को देखना चाहते हैं, तो देख सकते हैं।
निष्कर्ष
अगर आपको मेलोड्रामा देखना पसंद है और आपने पा फिल्म नहीं देखी है, तो यह फिल्म शुरुआत में थोड़ा हंसाकर बहुत रुलाने वाली है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी से लेकर स्क्रीनप्ले हो या हिंदी डबिंग, सब कुछ अच्छे से प्रस्तुत किया गया है।
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