Monster summer review in hindi:हॉलीवुड की ओर से एक नई हॉरर फिल्म रिलीज़ की गई है जिसका नाम ‘मॉन्स्टर समर’ है।बात करें फ़िल्म के जोनर की तो यह एडवेंचर और फैंटेसी है।
फिल्म की लेंथ तक़रीबन १ घंटा ३३ मिनट की है,बात करें इसकी कहानी की तो यह जंगल में रहने वाली एक चुड़ैल पर बेस्ड है जोकि बच्चों को मार कर खा जाती है।फिल्म का डायरेक्शन ‘डेविड हेनरी’ ने किया है जिन्होंने इससे पहले इसी साल आई फिल्म ‘रेगन’ का भी निर्देशन किया था।
कहानी-
फ़िल्म की स्टोरी ‘नोहा’ और उसके दोस्तों की जिंदगी पर रची गई है जोकि एक छोटे से टाऊन में रहते हैं।जहां पर बचपन में नोहा और उसका दोस्त एक पुराने घर में जाते हैं जहां पर इन दोनो का सामना एक क्रिएचर से होता है नोहा तो बचकर भाग जाता है लेकिन उसका दोस्त वहीं फस जाता है।
जिसके बाद वह बेहोशी की हालत में पुलिस द्वारा बरामद किया जाता है ,इस घटना के बाद जंगल के उस एरिया को रिस्ट्रिक्टेड घोषित कर दिया जाता है।जिसके बात नोहा बड़ा हो जाता है और ये सभी दोस्त हाई स्कूल में पहुंच जाते है।
तभी उन्हें वैसे ही एक अजीब घर के बारे में पता चलता है ,जोकि जंगल में मौजूद है।सारे दोस्त प्लान बनाते है कि वे उस घर में जा कर पड़ताल करेंगे ,जहां पर इनकी मुलाकात ‘मेल गिब्सन’ से होती है जोकि अब एक रिटायर फौजी है जिनके बेटे को भी बचपन में वह चुड़ैल उठा ले गई थी।
कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती है वैसे वैसे गिब्सन और नोहा इस क्रिएचर के राज़ को खोलने की कोशिश करते हैं। अब सवाल यह है क्या ये दोनो इस चुड़ैल को पकड़ पाएंगे या चुड़ैल इन्हें खत्म कर देगी यह सब जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी यह फिल्म जोकि आपके नज़दीकी सिनेमा घरों में उपलब्ध है।
खामियां-
फिल्म की सबसे बड़ी कमी के पटकथा है जिसमे किसी भी प्रकार का हॉरर और थ्रिल देखने को नहीं मिलता। फिल्म की दूसरी सबसे बड़ी कमीज की स्टोरी राइटिंग है जो की काफी खराब है जिसमें किसी भी तरह का ट्विस्ट देखने को नहीं मिलता। फिल्म की तीसरी बड़ी कमी इसकी कास्टिंग है जिसमें कोई भी कैरेक्टर सही तरह से फिट नहीं बैठता।
अच्छाइयां-
वैसे तो इस फिल्म में किसी भी तरह की अच्छाई देखने को नहीं मिलती है, लेकिन फिर भी अगर इसके कुछ तथ्यों की बात करें तो फिल्म की जंगल वाली लोकेशन काफी बढ़िया है जो देखने में रियल फील होती है। इसकी दूसरी अच्छी बात इसका बैकग्राउंड म्यूजिक है जो की फिल्म के हर एक सीन को पूरी तरह से सपोर्ट करता है।
फाइनल वर्डिक्ट-
साल 2002 में आई शबाना आज़मी स्टारर फिल्म ‘मकड़ी’, और साल 2017 में आई फिल्म ‘इट’ जैसी फिल्मों के कॉन्सेप्ट बनी हुई या फिल्म आपको उस तरह का थ्रिल तो प्रदान नहीं करती और न ही इसकी स्टोरी राइटिंग उस लेवल की देखने को मिलती है।
लेकिन फिर भी आप इसे एक बार तो कंसीडर कर ही सकते है। हालांकि फिल्म की कहानी पूरी तरह से सपाट है जिसमें किसी भी तरह का थ्रिलिंग और इंगेजिंग मोमेंट देखने को नहीं मिलता है।
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