malayalam Psycho Story John Luther:मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की साल 2022 में एक क्राइम थ्रिलर फिल्म आयी थी जॉन लूथर। २ घंटे 15 मिनट की ये फिल्म आप को लास्ट तक आते आते पूरी तरह से घुमा सकती है फिर आप चाहे जितने भी इंटेरलीजेंट क्यों न हो पर फिल्म के आखिर तक ये समझ नहीं पाएंगे के फिल्म का मेन विलन कौन होने वाला है जिस किसी को भी आप विलन समझेंगे वही पर आप भूल कर बैठेगे। जॉन लूथर फिल्म को डायरेक्ट किया है अभिजीत जोसेफ ने और इस फिल्म में जयसूर्या ने मेन लीड का करेक्टर किया है
अभी आप इस फिल्म को अमेज़न प्राइम विडिओ के OTT प्लेटफार्म पर देख सकते है। अभिजीत जोसेफ की ये पहली डायरेक्शन फिल्म है और इस फिल्म से इन्होने इस बात को प्रूफ कर दिया है के वो आगे हमे कुछ बेहतर सिनेमा देने वाले है।फिल्म की सिनेमाटोग्राफी उसी तरह से है जैसे की हर मलयालम फिल्म में हमें देखने को मिलती है। हरा भरा,बारिश की बूंदे , साफ़ और शुद्ध वातावरण में हमें किस तरह से क्राइम साइको डर और दहशत के साथ जोड़ना है डायरेक्टर साहब को बखूबी आता है।
जयसूर्या के साथ-साथ सभी कालाकारों ने इतनी बेहतरीन तरीके से अपने कैरेक्टर को निभाया है आपको लगेगा के मानो आप फिल्म के अंदर ही बैठे है और ये सब आप के आस पास चल रहा है जयसूर्या के चेहरे पर धैर्य और विचार इस तरह से दिखाया गया है के ऐसा लगता है के उन्होंने इस कैरेक्टर को घोल कर पी लिया हो।
क्या है कहानी जॉन लूथर की
जॉन लूथर फिल्म मलयालम सिनेमा की बेस्ट क्राइम,थ्रिलर,साइको फिल्म है जिसकी शुरुवात होती है एक एक्सीडेंट से जहा पर एक बस के ऊपर अचनाक से एक आदमी की डेड बॉडी गिरती है इसी के साथ ही इस डेड बॉडी की इन्वेस्टीगेशन शुरू होती है तब पता चलाता है के मरने वाले के साथ एक और आदमी था जो की मिसिंग है तब जॉन लूथर (पुलिस ऑफिसर) को दो प्रश्न के उत्तर ढूढंते होते है एक ये मर्डर था या एक्सीडेंट और दूसरा ये के मरने वाले के साथ में जो उसका दोस्त था अब वो कहा लापता हो गया है।
तभी इसी केस की तहकीकात में जॉन लूथर के कानो की आवाज़ चली जाती है और उसे सुनाई देना बंद हो जाता है डायरेक्टर अभिजीत जोसेफ ने एक गाने के माधयम से जॉन लूथर के बहरे होने के बाद की मनो दशा को ऐसे दर्शाया है के आप कभी कम सुनने वाले लोगो का उपहास नहीं उड़ाएगे कुछ सीन को इस तरह से शूट किया गया है के आप जोन लूथर के दर्द को अपना दर्द समझने लगेंगे। फिल्म के एक सीन में जब जॉन टीवी देख रहे होते है तब इनकी माँ और बहन कहती है के आवाज़ हलकी करो तब जॉन बिना कुछ कहे टीवी बंद कर देता है इस तरह के सीन हमें बताते है के जिन लोगो को कम सुनाई देता है उनपर क्या क्या बीतता है।
फिल्म में आगे एक के बाद एक मिसिंग केस आने लग जाते है और ये केस उलझता चला जाता है लोगो के मिसिंग होने के बाद उनकी लाशे भी बरामद नहीं होती है अब ये किडनैपिंग कौन करता है क्यों करता है कैसे करता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी फिल्म के लास्ट तक आप इस बात का अंदाज़ा नहीं लगा पाएंगे के आखिर वो साइको किलर कौन है बस हमें ये पता चल जाता है के वो साइको किलर एक MBBS डॉक्टर है जो लोगो को किडनैप करता है और उनलोगो के साथ क्या करता है वो जानने के लिए आप को फिल्म देखनी होगी।
फिल्म के बारे में
फिल्म में सभी कैरेक्टरों के चेहरे के हाव भाव बिलकुल रियल दिखते है कलाकारो के फेस इम्प्रेशन हर सीन में एक दम फिट बैठते है डायरक्टर अभिजीत जोसेफ ने बीच में फिल्म को थोड़ा बोर कर दिया है पर किसी भी फिल्म को पूरा देखे बिना उसका जजमेंट देना ठीक नहीं होता है वैसा ही कुछ इस फिल्म के बारे में कह सकते है फिल्म आपको थोड़ा बोर करेगी तब जब जॉन को सुनाई देना बंद हो जाता है।
फिल्म का एक माइनस पॉइंट भी है और वो शुरू होता जब लूथर को बहरा दिखाया गया अगर इसको फिल्म में न भी दिखाया जाता तब शायद फिल्म पर इसका कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती जाती है आप फिल्म से बधने लगते है और आप के मन में बस यही चलना शुरू हो जाता है के आखिर किडनैपर कौन हो सकता है आप खुद को इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर समझ कर ये गेस करने लग जाते है के शायद ये हो सकता है किडनैपर पर जब भी आप गेस करते है तब-तब आप गलत साबित हो जाते है फिल्म का साइको किलर वो निकलता है जिसके बारे में आप ने कभी सोचा भी न होता है ।
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