निर्देशक शेखर कम्मुला की फिल्म कुबेर को 20 जून 2025 से तेलुगु कन्नड़ मलयालम तमिल के साथ-साथ हिंदी में रिलीज कर दिया गया है धनुष नागार्जुन रश्मिका मंदाना जैसे मुख्य कलाकारों के साथ-साथ सहयोगी कलाकारों में जिम सर्भ, दलीप ताहिल दिखाई देंगे 181 मिनट की यह तेलुगू फिल्म कैसी है आईए जानते हैं अपने इस रिव्यू के माध्यम से।
कुबेर रिव्यू हिंदी
कहानी की बात की जाए तो यहां दो तरह की दुनिया चलती दिखाई देती हैं जो इस दुनिया की सच्चाई को दर्शाती है।जहां एक और धनुष भिखारी के रूल में दिखाई दे रहे हैं जिनका उद्देश्य सिर्फ रोटी कमाने का है ताकि यह भूखे ना मरे, तो वहीं दूसरी ओर अमीर लोगों को दिखाया गया है जिनका लालच अब हदें पार कर चुका है।

उनकी जिंदगी का एक ही उद्देश्य है। गरीब का निवाला छीनो और उसे अपनी दौलत बना लो।जहां एक तरफ धनुष और रश्मिका मंदाना जैसे गरीब लोग देखने को मिलेंगे जो छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करते दिखेंगे वहीं दूसरी तरफ नागार्जुन की अमीर दुनिया। अब धनुष और नागार्जुन के बीच वह कौन सा रिश्ता है यह सब आपको फिल्म देखने के बाद ही पता लगाना होगा।
कुबेर के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि एक सामान्य इंसान को कम नहीं समझना चाहिए जहां धनुष अपने आप को एक बड़े आदमी के रूप में बदलते दिखाए जाएंगे जब वह यह फैसला करते हैं कि क्या बड़े आदमी ही डिसाइड करेंगे कि हमें किस फुटपाथ पर सोना है और किस पर नहीं। कब वह लोग उस फुटपाथ पर अपनी बिल्डिंग को खड़ा कर दें और हमें किसी नए ठिकाने को खोजना पड़े।

अब किस तरह से धनुष अमीर बनते हैं और अमीरों की आंखों में आंखें डाल कर जवाब देते हैं यह भी इस फिल्म का एक बड़ा हिस्सा है। कहानी में एक हिस्सा वह भी है जहां एक साधारण आदमी जो अपने पहले की जिंदगी में भिखारी हुआ करता था दूसरी तरफ माफिया जिनकी पैसों की भूख खत्म होती नहीं दिखाई पड़ती इन दोनों का टकराव देखने में मजा आता है।
कुबेर पॉजिटिव प्वाइंट
कुबेर फिल्म के अगर पॉजिटिव प्वाइंट की बात की जाए तो इसका स्क्रीनप्ले काफी स्ट्रांग साबित हुआ है नागार्जुन हो या रश्मिका मंडाना दोनों ने ही यहां अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दी है पर इन सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस है धनुष की जिन्होंने फिल्म के अंदर अपने चार कैरेक्टर में अलग-अलग रूप को दर्शाया है जहां एक तरफ वह भिखारी दिखाई देते हैं,
तो दूसरी तरफ रोमांटिक बॉय ट्रांसफॉर्मेशन के बाद अमीर आदमी के रूप में तो वहीं एंग्री यंग मैन के तौर पर। क्लाइमैक्स फिल्म का और भी यूनीक बन सकता था पर फिर भी एक दर्शक के तौर पर पूरी तरह से हिला कर रख देता है। कहानी बिल्कुल भी प्रिडिक्टेबल नहीं है जो हम सोचते हैं ठीक उसका उल्टा हमें यहां देखने को मिलता है डीएसपी के द्वारा दिया गया बीजीएम शानदार है।
कुबेर निगेटिव पॉइंट
खामियों की बात की जाए तो बहुत कमियां तो यहां दिखाई नहीं देती,पहले भाग से अगर दूसरे भाग की तुलना करे तो दूसरा भाग थोड़ा जबरदस्ती खींचा गया है क्लाइमेक्स से जिस तरह की संतुष्टि मिलना चाहिए एक दर्शक के रूप में वह नहीं मिल सकी ऐसा लगता है कि निर्देशक ने बहुत जल्दबाजी में कहानी का अंत किया।
निष्कर्ष
लॉजिकल और अच्छे सिनेमा को देखने वाले दर्शकों के लिए यह एक खास फिल्म होने वाली है जिसे बिना सोचे समझे एक बार तो देखा ही जा सकता है मेरी तरफ से इसे दिए जाते हैं पांच में से तीन स्टार की रेटिंग।
READ MORE







