- निर्देशक: मणि रत्नम
- निर्माता: कमल हासन, मणि रत्नम, आर. महेंद्रन, शिवा अनंत
- लेखक: कमल हासन, मणि रत्नम
- संगीतकार: ए.आर. रहमान
- सिनेमैटोग्राफर: रवि के. चंद्रन
जाने कहानी का सार क्या है
शायद लोग इस बात से अनजान होंगे के कमल हासन की फिल्म ठग लाइफ को कन्नड़ भाषा में रिलीज़ नहीं किया गया है। कमल हासन ने बेंगलुरु में एक बयान दिया था के कन्नड़ भाषा का जन्म तमिल भाषा से हुआ है टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इस बात पर इतना विवाद हुआ की कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कमल हासन को माफ़ी मांगने को कहा पर कमल हासन ने माफ़ी मांगने से मना कर दिया। अब जब तक कमल हासन माफ़ी नहीं मांगते तब तक इनकी फिल्मे कर्णाटक में पूरी तरह से बैन रहने वाली है।
अब आते है कहानी पर तो इसकी शुरुवात होती है पुरानी दिल्ली की छोटी सी गली से जहा कमल हासन और एक दूसरा गैंग आपस में समझौता करने आये हुए है। पर सामने वाला गैंग कमल हसन के गैंग को धोखा दे देता है ये अपने साथ पुलिस भी लाते है।

इसी बीच पुलिस और कमल हासन के बीच वार शुरू होती है इसी वार में एक अखबार बेचने वाला मारा जाता है जिसके दो बच्चे है एक लड़का और एक लड़की अब उस लड़के को कमल हासन अपने साथ अपने घर ले आते है अब यह बड़ा होकर कमल हासन के ही विरूद्ध हो जाता है इसे जानने के लिए आपको ठग लाइफ देखनी होगी । बाप और बेटे वाला कॉन्सेप्ट थोड़ा पुराना है यही वजह है फिल्म को उस तरह का रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा जैसा की मिलना चाहिए था।
सबसे ज़ादा डिसपॉइन्ट करती है कहानी का इनलॉजिकल होना यहां क्या हो रहा है क्यों हो रहा है कुछ समझ में नहीं आता कमल हासन नेपाल क्यों जाता है क्या बस कराटे सिखने कुछ भी यहां कीलयर नहीं है कहानी पूरी की पूरी होच पॉच है जिसको समझने के लिए ढाई किलो के दिमाग की ज़रूरत पड़ती है पर फिर भी ये समझ नहीं आती। ठग लाइफ जहा बाप और बेटा एक ही लड़की से प्यार करने में लगा हुआ है।
अंत तक आते आते ऐसा लगता है के ठग लाइफ की कहानी ने दर्शको को पूरी तरह से ठग लिया है। कमल हासन की इंडियन 2 के बाद दर्शको को इस फिल्म से बहुत उम्मीदे थी पर यह उन उम्मीदों पर फेल होती दिखी । 163 मिनट की यह फिल्म सोशल मीडिया के 30 सेकंड का विडिओ देखने वाली जनता में क्या रंग लाता है ये वक़्त बताएगा।

अभिनय
कमल हसन की एक्टिंग कुछ ख़ास नहीं लगती ये भी यहां सिकंदर के सलमान खान की तरह ही एक्टिंग करते नज़र आरहे है। अली फज़ल जोजू जॉर्ज महेश मांजरेकर का स्क्रीन टाइम कम था पर जितना भी था उसमे इन लोगो ने बढ़िया काम किया है। सिलाम्बरासन का परफॉर्म भी ओवर द टॉप है वही अगर तृषा कृष्णन की बात करे तो यह काफी हॉट नज़र आरही है जिनसे निगाहे नहीं हटती।
निर्देशन
मणि रत्नम जो अपने निर्देशन से दिल से, युवा,रावण,गुरु,बॉम्बे जैसी फिल्मो के माध्यम से दर्शको के दिलो पर आज भी राज करते है,पर ठग लाइफ का निर्देशन उस तरह का नहीं है,जैसा की इनकी पिछली फिल्मो में हम देखते चले आये है एक अच्छा निर्देशन वो है जो अपने स्क्रीन प्ले से दर्शको को फिल्म से बांधे रक्खे पर यहाँ दर्शक इंटरवल तक आते आते बुरी तरह से बोर होने लगते है।दर्शको पर यह फिल्म भावात्मक असर छोड़ने में पूरी तरह से फेल है।
सिनेमैटोग्राफी
रवि के. चंद्रन की सिनेमाटोग्राफी शानदार है। कलर ग्रेडिंग विजुवल 16वीं सदी में पहुंचाने का काम करती है। फिल्म में ज्यादातर नेचुरल लाइट का ही इस्तमाल किया गया है। करीब के सीन कैरेक्टर के इमोशन को अच्छे से दर्शाते है। हर एक फ्रेम को इस तरह से पेश किया गया, जो समझ में भले न आये पर देखने में मज़ा ज़रूर आता है। एक बढ़िया और शानदार सिनेमैटोग्राफी वो होती है जो द्र्श्यो के जरिये पूरे सीन में जान भर दें। वो ठग लाइफ में देखने को मिलती है।
म्यूज़िक
म्यूज़िक ए.आर. रहमान का है जिसे बहुत अच्छा तो नहीं कहा जा सकता है बस ठीक ठाक ही था सानिया के साथ दिखाया गया एक गाना जो अपनी म्यूज़िक की वजह से ठीक लगा था बस इसके बाद कुछ भी ऐसा न था जो एक अलग तरह का एक्सपीरियंस देता।
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