Heeramandi Review:सबसे पहले हीरा मंडी फिल्म की कास्ट पर बात करते है हीरा मंडी की कास्ट में हमें मनीषा कोइराला,सोनाक्षी सिन्हा,अदिति राव हैदरी,ऋचा चड्डा,संजीदा शेख ,शरमीन सेगल,अद्धयन सुमन,शेखर सुमन,फरदीन खान,फरीदा जलाल है।
फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने हमें बॉलीवुड की बहुत अच्छी-अच्छी फिल्मे दी है जिनमे से गुजारिश,ब्लैक,बाजीराव मस्तानी,देवदास,पदमावत जैसी लीक से हट कर हमें फिल्मे देखने को मिली है हमने ये भी देखा है के संजय लीला भंसाली को तवायफों की तरफ कुछ ज्यादा ही आकर्षित रहती है।
क्या अच्छा है हीरा मंडी शो में
शो का लुक देखने में एक दम फ्रेश है। जिसे देख कर आपकी आँखों को सुकून मिलेगा पूरी फिल्म देखते समय आपको ऐसा लगने वाला है के ये शो संजय लीला भंसाली ने बनाया है शो की अगर आर्ट और डिजाइन की बात की जाये तो वो भी काफी अच्छी हैं। शो की आर्ट डिजाइन सिनेमाटोग्राफी देख कर आप मंत्रमुग्द होने वाले है। महिलाओ की कास्ट्युम और ज्वेलरी बहुत अच्छे से प्रजेंट की गयी है।
संजय लीला भंसाली की हीरा मंडी क्या देखनी चाहिए या नहीं ?
संजय लीला भंसाली की फिल्म हीरा मंडी जो की नेटफिलिक्स पर रिलीज़ कर दी गयी है। आइये जानते है के ये फिल्म हमें कैसी लगने वाली है। फिल्म की अगर एक सबसे बड़ी कमी की बात की जाये तो वो है इस फिल्म की लम्बाई जो की बहुत ज़ादा है फिल्म देखते समय ऐसा लगता है के ये दुनिया की सबसे लम्बी फिल्म है।
संजय लीला भंसाली की फिल्मो में हमें बड़ी खूबसूरती से भव्यता दिखाई देती है। जो की इस फिल्म में भी दिखाई दे रही है। इस शो में आठ एपिसोड दिखाए गए है और हर एक एपिसोड की लम्बाई की अगर बात की जाये तो वो है पचास मिनट की। ये फिल्म पूरे आठ घंटे की है जिसको देखने के बाद आपको ऐसा लगेगा की इसकी जरूरत क्या थी। मतलब इतनी लम्बी सीरीज बनाने की क्या जरुरत थी जब की ये फिल्म चार से पांच घंटो में भी दिखाई जा सकती थी।
सीरीज को तीन हिस्सों में बाटा गया है एक हिस्सा वो है जब हिन्दुस्तान का बटवारा नहीं हुआ था। जब पाकिस्तान के लाहौर में जो की तब हिंदुस्तान में ही आता था हीरा मंडी की एक मशहूर जगह हुवा करती थी। जहा पर तवायफ वहा के नवाबो के खुश करने में लगी रहती है फिर वो चाहे अपने हुनर से हो या नाच गाने से हो या अदायकी से हो या जिस्म से हो।
सीरीज का दूसरा हिस्सा दिखाया गया है आज़ादी के कुछ तवायफ इन सब चीज़ो से आज़ादी चाहती थी। शो का तीसरा हिस्सा है प्यार और मोहब्बत तीनो हिस्सों को मिलाकर संजय लीला भंसाली ने एक ऐसा शो का निर्माण किया है जिसमे आपको भव्यता तो देखने को मिलती है। फिर वो शो के सेट में हो एक्टर में एक्टर के कास्टूम में हो एक्ट्रेस द्वारा पहनी गयी ज्वेलरी में हो डायलॉग में भी रॉयल्टी देखने को मिलती है।
शो में हमें बढ़िया डायलॉग सुनाई देते है जैसे “औरत के असली दुश्मन तो उसके खुवाब होते है” “कमरे से भाग गयी पर किस्मत से कैसे भगोगी” “हीरा मंडी की लड़कियों की किस्मत हाथो की लकीरो में नहीं बल्कि पैरो में होती है “शो का एक एपिसोड देखने के बाद आपको ऐसा महसूस नहीं होगा के आगे का एपिसोड भी देखना चाहिए।
अगर आप दूसरा एपिसोड दो दिन के बाद भी देखेंगे तब भी चल जायेगा। कहने का मतलब ये है के लुटेरे सीरीज की तरह नहीं है के हर एपिसोड देखने के बाद तुरंत आपका मन करे के दूसरा एपिसोड भी देखे। देखने में सब कुछ अच्छा लगता है ।
फिल्म के कलर सेट की डिजाइन एक्टर्स की एक्टिंग एक दम देवदास के जैसा है पर ये टाइम थोड़ा सा अलग है ऐसी फिल्मो को जो देखना पसंद करते है उनको ही ये सीरीज पसंद आने वाली है और बहुत पसंद आने वाली है बात करे अगर आज की नयी जनरेशन की तो उसको ये शो बिलकुल भी पसंद नहीं आएगा।
एक वक़्त पर आकर फिल्म की स्टोरी ऐसी लगने लगती है के जैसे बहुत खींची गयी हो अगर आपको लम्बे ड्रामा और सीरीज देखना का शौक है तब आप इस फिल्म को देख सकते है।
शुरुवात में जहा से फिल्म को शुरू किया जाता है वो आखिर में पहुँचती-पहुँचती एक दम बदल जाती है। जिसे देख कर आपको ऐसा लगने लगता है के फिल्म की स्टोरी की कहा से शुरवात की गई थी और कहा चली गई है। सीरीज अपनी बात कहने के लिए बहुत ज़ादा टाइम ले लेती है।फिल्म में उर्दू का इस्तेमाल बखूबी किया गया है।