Crispy rishtey review:प्यार के अटूट बंधन में बंधे दो दिल,क्या होगा इस रिश्ते का अन्त?

Crispy rishtey movie review in hindi

Crispy rishtey review:जियो सिनेमा के ओटीटी प्लेटफार्म पर एक नई फिल्म रिलीज़ हुई है जिसका नाम ‘क्रिस्पी रिश्ते‘ है।फिल्म का जॉनर ड्रामा है,जिसकी लेंथ 2 घंटे 13 मिनट की है। मूवी का डायरेक्शन ‘जगत सिंह’ ने किया है।

जिन्होंने इससे पहले फिल्म लिस्पस्टिक अंडर माई बुरखा में जसपाल नाम का किरदार किया था। अगर बात करें इसकी कहानी की तो यह एक ऐसे बेटे की है जो अपने पिता की खातिर अपने बचपन के प्यार को छोड़कर पिता की मर्जी से शादी करता है।

कहानी-

फिल्म की स्टोरी ‘करन’ (जगजीत सिंह) के किरदार पर बेस्ड है जोकि अपनी पिता की खातिर ‘अंजली’ (दिलजोत) से शादी कर लेता है जिसके लिए वह अपने बचपन के प्यार ‘नताशा’ (मनमीत कौर) को भी कुर्बान कर देता है। लेकिन कहानी में नया ट्विस्ट तब आता है।

जब अंजली को यह पता चलता है कि करण उसकी बचपन की दोस्त नताशा से प्यार करता है और अपने पिताजी के खातिर उसने ये शादी की है।जिसके बाद अंजली इस शादी से अपने हाथ पीछे कर लेती है और अपने पति करन को स्पेस देती है कि वह अपनी मर्जी से जिंदगी जी सके।


जिसके बाद कहानी में प्यार के वो मीठे एंगल्स देखने को मिलते हैं जिन्हें आपने इससे पहले शायद 90 के दशक में देखा होगा। कैसे करन और अंजली एक साथ रहते है और धीरे धीरे कब एक दूसरे के करीब जाते हैं उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं लग पाता।

आगे की स्टोरी में इसी तरह से कहानी को आगे बढ़ाया है। क्या यह दोनों एक साथ हो पाते हैं या फिर इनके बीच की दूरियां और बढ़ जाती हैं और एक दूसरे से अलग हो जाते हैं या सब चीज जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी या फिल्म जो की जिओ सिनेमा के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हिंदी में उपलब्ध है।

खामियां-

फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी पटकथा है जो की बहुत ज्यादा खराब है। इसकी दूसरी सबसे बड़ी कमी एक्टर्स का एफर्ट ना देना है, फिल्म में किसी भी कलाकार ने अच्छे से एक्टिंग नहीं की है। जिसके कारण फिल्म देखने का एक्सपीरियंस थर्ड क्वालिटी हो जाता है। फिल्म की चौथी कमी की बात करें तो यह इसका प्रोडक्शन वर्क है जो की काफी घटिया क्वालिटी का है।

टेक्निकल एस्पेक्ट-

अगर बात करें इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी की तो वह काफी खराब है किसी भी सीन को अच्छे से नहीं फिल्माया गया है, फिर चाहे बात हो इसके कलर ग्रेडिंग की या फिर बैकग्राउंड शैडोज की यह फिल्म हर फील्ड में काफी पुअर रिस्पांस देती है।

फाइनल वर्डिक्ट-

अगर आप 90s के दशक की फिल्में देखना पसंद करते हैं और इस एरा को फिर से जीना चाहते हैं तो आप इस फिल्म को वॉच कर सकते हैं। हालांकि “इस फिल्म से ज्यादा उम्मीदें लगाना मानो भैंस के आगे बीन बजाने के समान है”। क्योंकि इस मूवी की कास्ट हो या फिर टेक्निकलिटी यह फिल्म आपको हर चीज में पूरी तरह से निराश और हताश करती है।

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Author

  • movie reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

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