10 अप्रैल 2025 को सिनेमा घरों में एक्शन, ड्रामा, पीरियड गिप्पी ग्रेवाल की फिल्म “अकाल” रिलीज़ कर दी गई है। “अकाल” को पंजाबी के साथ-साथ हिंदी भाषा में भी रिलीज़ किया गया है।
“अकाल” फिल्म को गिप्पी ग्रेवाल के द्वारा ही निर्देशित किया गया है। फिल्म के मेन कैरेक्टर में गिप्पी ग्रेवाल, निम्रत खैरा, गुरप्रीत घुग्गी, निकितिन धीर देखने को मिलते हैं। “अकाल” को प्रोड्यूस किया है धर्मा प्रोडक्शंस और हंबल मोशन पिक्चर्स ने मिलकर।
अकाल फिल्म समीक्षा
यह 1940 की एक ऐतिहासिक रियल इंसिडेंट पर बेस्ड फिल्म है। यहाँ पंजाब के नदी किनारे बसे दो गाँव की कहानी देखने को मिलती है।
महाराजा रणजीत सिंह की मौत के बाद यहाँ काफी तनाव बढ़ जाता है। जब जंगी जहाना और इसका साथी खराब नियत से सरदार अकाल सिंह, जिसके कैरेक्टर में गिप्पी ग्रेवाल दिखाई दे रहे हैं, इनके गाँव पर अचानक से हमला कर देते हैं। अब अकाल सिंह और इनके कुछ साथी गाँव वालों की रक्षा करने के लिए इनसे बहादुरी से लड़ते हैं।

जंगी जहाना अपने छिपे मकसद को पूरा करने और बदला लेने के लिए नदी के साथ किये गए एक समझौते को तोड़ कर अपनी सेना को एकजुट करता है। अब सरदार किस तरह से इनका सामना करते हैं, यही सब फिल्म की कहानी में आगे देखने को मिलता है। यह कहानी है सम्मान, वीरता, रोमांच से भरी हुई एक कहानी।
सभी कलाकारों ने फिल्म में शानदार काम किया है, जिसके लिए इनकी जितनी भी सराहना की जाये वो कम ही है।
क्या है “अकाल” में ख़ास
“अकाल” में गिप्पी ग्रेवाल का किरदार दर्शकों को खुद से जोड़ने में पूरी तरह से सफल रहता है। जिस तरह इन्होंने अपने किरदार को रियलिटी से भर दिया है, इसे देख लगता है कि सच में कोई वीर सेनानी हमारे सामने खड़ा है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, एक्शन सीक्वेंस, कलर ग्रेडिंग, म्यूज़िक, बीजीएम, प्रोडक्शन वैल्यू शानदार है। जिस तरह से सैनिकों की आपस में भिड़ंत होती दिखाया जाता है, वो काफी रोमांच पैदा करता है। शंकर-एहसान-लॉय का बीजीएम कहानी में एक नया रंग भरने का काम करता है।
फिल्म के नकारात्मक पहलू
नकारात्मक पहलू की बात की जाये तो कहीं-कहीं पर ऐसा लगता है कि इमोशनल सीन को कुछ ज़्यादा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है, जो ओवर-द-टॉप वाली फील देता है।
यह एक पीरियड ड्रामा फिल्म है, जिस तरह से पहले भी बहुत सी फिल्में आ चुकी हैं, यहाँ वो नयापन देखने को नहीं मिलता, जिसके बारे में सोचा जा रहा था। कुछ सपोर्टिंग कलाकारों को थोड़ा और टाइम दिया जा सकता था, जो कि नहीं दिया गया।
निष्कर्ष
खालसा योद्धाओं की वीरता की ऐतिहासिक कहानी देखना है, तब आप इसे देख सकते हैं। यह एक शानदार फिल्म है, जो बोर नहीं करने वाली, बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न के साथ पंजाबी दर्शकों के लिए कुछ ख़ास चीज़ें भी देखने को मिल सकती हैं, जिनपर आपको गर्व की अनुभूति होगी।
यहाँ किसी भी तरह के एडल्ट और वल्गर सीन देखने को नहीं मिलते, इसलिए आप अपने पूरे परिवार के साथ सिनेमा घरों में जाकर इसे देख सकते हैं।
रेटिंग: ⭐⭐⭐½ (5 में से 3.5 स्टार)
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