अजित कुमार के साथ अनिरुद्ध का म्यूज़िक और उसमें लगा इंटरनेशनल तड़का अगर एक साथ एक जगह मिले तो बात ही क्या है ऐसा ही कुछ अजित कुमार की फिल्म विदामुयार्ची में देखने को मिलता है।
सबसे पहले जानते हैं ‘विदामुयार्ची’ का मतलब क्या होता है इसका मतलब है अपने किसी काम को सफलता पूर्वक करने के लिए दृढ़ संकल्प लेना, फिर चाहे उस काम में कितनी ही बाधाएं और कठिनाई क्यों न आए।
नाम से तो पता चल ही गया होगा कि अजित कुमार को फिल्म में बहुत कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करना होगा। जैसा कि सबको पता है कि अजित की यह फिल्म 1997 में निर्देशित जोनाथन मोस्टो द्वारा अमेरिकन क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘ब्रेकडाउन’ का एडॉप्शन है। पर कहानी में कुछ-कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं जैसे कि ब्रेकडाउन को अमेरिका में शूट किया गया था और यहाँ विदामुयार्ची को अज़रबैजान में।
कहानी
मान लीजिए कि आप और आपकी पत्नी अज़रबैजान में एक अच्छा टाइम बिता रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे आपके बीच प्यार कम होने लगता है और आप दोनों एक दूसरे से अलग होने का निर्णय लेते हैं। इस रिश्ते की यादों को संजोने के लिए आप एक आखिरी रोड ट्रिप पर निकलते हैं। इस यात्रा के दौरान, एक ट्रक ड्राइवर आपकी कार से टकरा जाता है, जिससे आपका और ट्रक ड्राइवर के बीच झगड़ा भी हो जाता है।
आगे चलकर आप दोनों एक रेस्टोरेंट पर रुकते हैं ,कुछ देर वहाँ वक़्त बिताने के बाद रेस्टोरेंट से चलने के कुछ दूर आपकी कार फिर से खराब हो जाती है। तब रास्ते से निकलने वाले एक ट्रक को रोक कर आपकी पत्नी उसी रेस्टोरेंट पर मदद लेने के लिए लिफ्ट लेती है और चली जाती है कुछ देर बाद जब आप अपनी गाड़ी को चेक करते हैं तो पता लगता है कि गाड़ी के साथ कुछ छेड़छाड़ की गई है।
तब आपको इस बात का अहसास होता है कि कुछ तो गड़बड़ हुई है जब आप रेस्टोरेंट पहुँचते हैं तब वहाँ आपको आपकी पत्नी मिसिंग मिलती है। और जब ये बात आप उस ट्रक ड्राइवर से पूछते हैं तब वो आप दोनों को पहचानने से साफ इंकार कर देता है। कहानी उस समय अलग मोड़ ले लेती है जब पता चलता है कि इससे पहले भी बहुत से लोग उसी रोड से गायब हो चुके हैं।
अब एक पराए देश में किस तरह से अजित अपनी पत्नी को ढूँढते हैं कौन है वो लोग जो इस तरह से लोगों को गायब करते हैं क्या अजित की पत्नी ज़िंदा भी है या उसे मार दिया गया है यही सब आपको इस फिल्म को देख कर पता लगाना होगा।
विदामुयार्ची में क्या है खास
लोकेशन को जिस तरह से सिलेक्ट कर के इन लोकेशन पर फिल्म को शूट किया गया है उसे देख कर साफ लगता है कहानी अज़रबैजान की जो अंदर की खूबसूरती है उससे रूबरू करवाती है। यह एक हाई बजट फिल्म है। एक सिंपल कहानी को जिस तरह से पेश किया है वह देखना काफ़ी शानदार है। शुरुआती बीस मिनट में स्क्रीनप्ले के माध्यम से जिस स्पीड से यह फिल्म चलती है इन्हीं बीस मिनट में यह दर्शकों को खुद से पूरी तरह से जोड़ लेती है।
अर्जुन सरजा से बहुत प्यार करता है तो वो किसी भी कीमत पर उसे खोना नहीं चाहता है और इसे ढूँढने के लिए कुछ भी कर गुज़ारने के लिए तैयार है एक समय ऐसा भी आता है जब अज़रबैजान का पूरा का पूरा सिस्टम अर्जुन के विरोध में होता है और यह अपने प्यार को पाने के लिए इन सब के सामने ढाल बन कर खड़ा होता है।
फिल्म के थ्रिल एक्शन मूवमेंट शुरू से लेकर आखिर तक जोड़ कर रखता है। अर्जुन सरजा ने धीरज का किरदार निभाया है और वो जब भी स्क्रीन पर आते हैं इनका एक अलग ही औरा देखने को मिलता है। अनिरुद्ध का बीजीएम हर एक सीन को और भी एंगेजिंग बनाने का काम करता है। जिस तरह से सलीम जावेद राइटर के तौर पर किसी भी फिल्म को हिट कराने का दम रखते थे उसी तरह से अब अनिरुद्ध का म्यूज़िक है जो किसी भी फिल्म को हिट करा सकता है।
निगेटिव पॉइंट
इंटरवल के बाद आधे घंटे की फिल्म थोड़ी स्लो हो जाती है यहाँ शायद एडिटिंग में थोड़ी गड़बड़ी हुई है पर कोई नहीं इन सब कमियों की भरपाई क्लाइमेक्स में आकर पूरी कर दी गई है।
जब इसका एंड होगा तब आपके चेहरे पर मुस्कान के साथ हल्का सा दर्द भी होगा अजित कुमार के लिए। विलेन को छिपा कर रखा जाना चाहिए था पर दर्शक ट्रेलर देख कर पहले ही पता लगा लेता है कि विलेन कौन होने वाला है। डायलॉग कोई खास नहीं है।
निष्कर्ष
फिल्म के सभी एक्शन सीक्वेंस शानदार हैं इसे पैसा वसूल कहा जा सकता है अगर आप को भी इस तरह की सिंपल कहानी के साथ एक्शन देखना पसंद है तब इसे एक बार देख सकते हैं फिल्मी ड्रिप की ओर से दिए जाते हैं पाँच में से तीन स्टार।
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