निर्देशक राणा रणबीर की फिल्म “पोस्ती” में हमें बबल राय, प्रिंस कंवलजीत सिंह और सुरीली गौतम जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों की शानदार एक्टिंग देखने को मिलेगी।
कई सालों के इंतज़ार के बाद आखिर पोस्ती फिल्म ने हमें अपनी टीवी या मोबाइल पर देखने का मौका दे दिया है। पोस्ती रिलीज़ की गई थी 3 जून 2022 को, कोरोना के दौर के कारण इस फिल्म को बहुत कम सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया था। जिस कारण से बहुत से लोग इस फिल्म को देख न सके।
आज हम अपने इस आर्टिकल में जानेंगे कि पोस्ती फिल्म को किस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ किया गया है, क्या ये फिल्म हमारी उम्मीदों पर खरी उतरती है या नहीं, आइये जानते हैं।
कैसी है पोस्ती फिल्म
आखिर पोस्ती का मतलब क्या होता है, पोस्ती का मतलब होता है, अफीम से संबंधित किसी चीज़ के बारे में बताना, उदाहरण के लिए फिल्म में इसका इस्तेमाल अफीम का नशा करने वाले लोगों के लिए किया गया है। जिन्हें हम आम हिंदी भाषा में अफीमची भी बुलाते हैं। पोस्ती फिल्म की शूटिंग 2019 में शुरू कर दी गई थी और इसे 2022 में रिलीज़ किया गया था।
किस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर होगी रिलीज़
पोस्ती फिल्म के राइट्स को चा वन द्वारा ग्रहण कर लिया गया था और इस फिल्म को चा वन, एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ कर दिया गया है। चा वन एक नया ओटीटी प्लेटफॉर्म है जिसमें हमें वीडियो ऑन डिमांड, पंजाबी फिल्मों के ओटीटी प्रीमियर, 24 घंटे रेडियो सुनने को मिलता है। इस ऐप को ज्यादातर पंजाबी फिल्मों के लिए ही बनाया गया है जिसके द्वारा दुनिया भर में फैले पंजाबी लोगों को टारगेट किया जाएगा ताकि पंजाबी फिल्मों को उनके तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
पोस्ती फिल्म कास्ट
पोस्ती फिल्म की कास्ट बहुत बड़ी होने के साथ शानदार भी है। फिल्म में सबसे पहले हैं प्रिंस कंवलजीत सिंह, जो इस फिल्म के मेन लीड में हैं। इसके बाद सपोर्टिंग कलाकारों में हमें बबल राय दिखाई देते हैं। अपनी कॉमेडी की वजह से जाने जाते हैं पर अरदास फिल्म के बाद राणा रणबीर सीरियस एक्टिंग करने लगे और इन्होंने ही पोस्ती पंजाबी फिल्म को बनाया भी है और लिखा भी।
किसके लिए है ये फिल्म
अगर आप एक कॉमेडी फिल्म देखना चाहते हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है, अगर आप फिल्म में एक्शन ढूंढते हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं बनी। यह फिल्म एक किताब की तरह है जो सच्चाई बयां करती है। जिसमें बताया गया है कि हमें कुछ चीज़ों के बारे में पता होने के बाद भी आप उसके लिए आवाज़ नहीं उठाते।
फिल्म में अफीम की खेती के बारे में दिखाया गया है, कि इसे करना चाहिए या नहीं। अगर इसे बंद करना है, तो गुटखा, बीड़ी, तंबाकू, सिगरेट और शराब जैसे सभी नशीले पदार्थों पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगना चाहिए। अगर इन सभी पर नियंत्रण नहीं लगाया जा रहा है, तब अफीम की खेती पर भी रोक नहीं लगनी चाहिए। यदि रोक लगानी है, तो सभी नशीले पदार्थों पर रोक लगानी चाहिए।
अफीम की खेती से पंजाब की आमदनी जुड़ी है, इसकी खेती का पंजाब की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर देखने को मिलता है। इन्हीं सब समाज की सच्चाई को बयां करती है पोस्ती, नशा बेचने वाले ही नशा बंद करने की बात करते हैं। कहानी दिखाती है कि किस तरह से अफीम को बेचने वाले लोग ही इसे बंद कराने की फर्जी मुहिम चलाते हैं। पंजाब के नौजवान बेरोजगार होने के बावजूद नशे की लत में गिरफ्त होते जा रहे हैं, किस तरह से डिप्रेशन में आकर आत्महत्या भी कर रहे हैं। इस तरह के सच और जमीनी हकीकत आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगी।
जिन बातों को सोचकर आप इस फिल्म को देखने के लिए बैठेंगे, आपको वो चीज़ फिल्म में देखने को नहीं मिलती, पर हां उससे अच्छी चीज़ें, सच्चाई, सोशल संदेश आपको फिल्म में जरूर देखने को मिलेगा। फिल्म आपको आपके पंजाब के हालातों से रूबरू कराती है। कुछ हद तक पोस्ती आपके अंदर जागरूकता पैदा कर सकती है। ये फिल्म फैमिली के साथ बैठकर देखी जा सकती है।
हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से तीन स्टार दिए जाते हैं।
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