Bandook Kannada Movie Review: अपराध और मनोविज्ञान की गहरी कहानी

Bandook Kannada Movie Review

आज हम बात करने वाले हैं एक कन्नड़ फिल्म “बंदूक” की, जो महेश रविकुमार की पहली डायरेक्टेड मूवी है। अगर आप फिल्मों के शौकीन हो और गहरी कहानियां पसंद करते हो, तो ये रिव्यू आपके लिए है।

“बंदूक” की कहानी दो अलग अलग टाइमलाइन में चलती है, लेकिन दोनों एक ही धागे से जुड़ी हैं। एक तरफ क्रूर हत्याओं की सीरीज है जहां सीरियल किलर लाशों को पानी में फेंक देते हैं, ताकि पुलिस को जांच में मुश्किल हो। हर मर्डर के बाद वो मीडिया को डरावने वीडियो भेजते हैं, पुलिस को चिढ़ाते हुए।

पुलिस मदद के लिए मित्रा को बुलाती है, जो एक एक्सपर्ट स्विमर है और मछली पकड़ने वाले पोर्ट पर काम करता है। लेकिन उस जगह पर अवैध तरीके से पुरानी गनें भी स्मगल होती हैं। आईपीएस रूपा रुद्रा राव इस केस पर स्पेशल अपॉइंट होती हैं, उनका पति रुद्रा अपने बच्चे की मौत से अभी भी सदमे में है, जो पुलिस की जिंदगी के इमोशनल साइड को दिखाता है।

Bandook Kannad Movie
Image Credit: Youtube

दूसरी टाइमलाइन में अद्वैथा नाम का शख्स एक अनाथालय चलाता है और बच्चों को अपनों जैसे प्यार देता है। लेकिन उसका अपना बेटा देख कर जलन महसूस करता है। वहां तीन टीनएज लड़के हैं, जो पहले दोस्ती और रोमांस एंजॉय करते हैं, लेकिन जब वो आश्रम के डरावने राज पता लगाते हैं, तो बगावत करते हैं और आश्रम से भागने की कोशिश करते हैं।

फिल्म का असली मजा तब आता है जब दोनों कहानियां मिलती हैं। ये दिखाता है कि हिंसा कैसे युवाओं पर असर डालती है और उनके मन को तोड़ती है। फिल्म के ट्विस्ट्स अच्छे हैं, जैसे मित्रा का असली नाम विश्वामित्र होना, जो बचपन के ट्रॉमा से बदला ले रहा है। कुल मिलाकर कहानी अपराध और मनोविज्ञान को जोड़ती है।

कलाकार और उनका अभिनय:

अभिनय की बात करें तो, फिल्म में मजबूत कास्ट है इसमें गोपालकृष्ण देशपांडे अद्वैथा के रोल में शानदार हैं लेकिन उन्हें ज्यादा स्क्रीन टाइम मिलना चाहिए था। बालाजी मनोहर रुद्रा के रूप में दुखी पिता की भूमिका में कमाल करते हैं, उनका दर्द चेहरे पर साफ दिखता है। श्वेता प्रसाद रूपा के किरदार में तेज और मजबूत पुलिस ऑफिसर लगती हैं, हालांकि उनका रोल छोटा है।

मुख्य भूमिका में पार्था के.मित्रा/विश्वामित्र बनकर अच्छा काम करते हैं, वो एक अनाथ लड़के से बदला लेने वाले इंसान तक का सफर दिखाते हैं। फिल्म में टीनएज रोमांस की झलकियां भी हैं, जो बिना शब्दों के बॉडी लैंग्वेज से बताई जाती हैं, ये हिस्सा बहुत टचिंग है। कुल मिलाकर सपोर्टिंग एक्टर्स कहानी को गहराई देते हैं, जबकि फिल्म के मुख्य कलाकार ठीक ठाक हैं।

विजुअल्स और साउंड का कमाल

तकनीकी रूप से “बंदूक” इम्प्रेस करती है। सिनेमेटोग्राफी शानदार है, इसमें नदियां, मछली पकड़ने वाले पोर्ट और गांव के इलाके को इतने खूबसूरती से कैद किया गया है कि हिंसा के सीन के साथ बढ़िया कंट्रास्ट बनता है। बैकग्राउंड म्यूजिक इमोशनल और टेंशन वाले पलों को बढ़ाता है, लेकिन ज्यादा नाटकीय नहीं लगता।

Bandook Movie
Image Credit: Youtube

साउंड डिजाइन सिंपल है, जो शांति से डर पैदा करता है, एडिटिंग में कभी कभी झटके लगते हैं, जैसे अचानक कट्स या टोन चेंज, जो फिल्म को थोड़ा असंतुलित बनाते हैं। फिर भी, ये ग्रामीण क्राइम ड्रामा को अलग लुक देता है। अगर तुम विजुअल्स पसंद करते हो, तो ये फिल्म तुम्हें पसंद आएगी।

कमजोरियां और मजबूतियां:

हर फिल्म की तरह इसमें भी कमियां हैं, कहानी में बहुत सारे कैरेक्टर, मर्डर, टाइमलाइन और सुस्पेक्ट्स हैं, जिससे कभी कभी कन्फ्यूजन हो जाता है। पेसिंग असमान है कभी तेज, कभी धीमी। हिंसा के सीन ज्यादा हैं जैसे कटे हुए बॉडीज और खून से भरी दीवारें, जो शुरुआत में शॉक देते हैं लेकिन बाद में बोरिंग लगते हैं।

लेकिन फिल्म की मजबूतियां भी कम नहीं हैं, इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष क्लाइमैक्स में चमकता है, जो ट्रॉमा और यंग जेनरेशन पर उसके प्रभाव को गहराई से दिखाता है। ये फिल्म राजनीति, धर्म और चैरिटी के कनेक्शन को एक्सप्लोर करती है साथ ही बंदूक के जरिए क्राइम और पावर की बात।

ये प्रकाश झा स्टाइल की फिल्म लगती है, बिना चमक दमक के। टीनएज रोमांस की सॉफ्ट स्टोरी हिंसा के बीच राहत देती है। ये फिल्म बताती है कि हिंसा पैदाइशी नहीं होती, बल्कि नेगलेक्ट और चुप्पी से पैदा होती है।

देखनी चाहिए या नहीं?

कुल मिलाकर “बंदूक” एक अनोखी कोशिश है जो अपराध को मनोवैज्ञानिक नजरिए से दिखाती है। इस फिल्म को देखना आसान नहीं है लेकिन अगर आप डार्क, इमोशनली कॉम्प्लेक्स स्टोरीज पसंद करते हैं, तो ये आपके लिए है। ये युवा पीढ़ी के घावों को दिखाती है, जो समाज अक्सर इग्नोर करता है। मेरी रेटिंग: 3.5/5

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    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है, मैने अपने ब्लॉगिंग करियर की शुरवात साल 2023 में न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी। वर्तमान समय मे,भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई डेडीकेटेड हिंदी एंटरटेंमंट वेबसाइट,फिल्मीड्रीप के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ। मुख्य तौर पर मै फिल्मों और एंटरटेनमेंट से जुड़ी हुई ट्रेंडिंग और वायरल खबरों का एक्सपर्ट हूं। आशा करता हूँ की मेरे द्वारा दी गई हर एक जानकारी सटीक और भरोसेमंद हो,जिसे पढ़ कर आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे, धन्यवाद।

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