अगर आप तमिल सिनेमा के दीवाने हैं, तो आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की जो हंसी सोच और थ्रिल का मिश्रण है। “मारीसन” एक स्लो बर्न थ्रिलर फिल्म है जो हाल ही में रिलीज हुई है और इसमें फहाद फासिल और वादिवेलु जैसे दिग्गज कलाकारों की जोड़ी है,
मैंने इसे देखा और सोचा कि क्यों न हिंदी में इसका रिव्यू लिखूं ताकि ज्यादा लोग इसे समझ सकें ये रिव्यू मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है जहां मैंने फिल्म की बारीकियों को करीब से महसूस किया तमिल फिल्मों पर मैं पिछले कई सालों से लिखता आ रही हूं और ये मेरी ईमानदार राय है चलिए शुरू करते हैं।
फिल्म की कहानी:
फिल्म की कहानी शुरू होती है धयालन से जिसका किरदार (फहाद फासिल) ने निभाया है, वो एक छोटा लेकिन शारीरिक तौर पर मोटा चोर है, जो जेल से बाहर आकर फिर से अपनी चोरी करने की गन्दी आदतों में लग जाता है।

एक रात धयालन एक घर में चोरी करने घुसता है और वहां उसे वेलायुधम पिल्लई मिलता है, यह किरदार (वादिवेलु) ने निभाया है, जो खुद को अल्जाइमर का मरीज बताता है और खिड़की से हथकड़ी से बंधा हुआ है,
उसे देखकर धयालन सोचता है कि ये आसान शिकार है, वो तिरुनेलवेली छोड़ने के बहाने से उसे अपने साथ ले जाता है ताकि उसका एटीएम पिन पता करके उसका सारा पैसे उड़ा सके, लेकिन क्या ये प्लान कामयाब होता है या धयालन खुद किसी बड़े जाल में फंस जाता है।
फिल्म की शुरुआत में एक सीन है जहां एक पुलिस वाला चूहे को जाल में फंसाकर पानी में डुबोता है, वह सोचता है कि चूहा मर गया, लेकिन चूहा भाग निकलता है, ये सीन फिल्म की थीम को सेट करता है क्योंकि मारीसन की कहानी में धोखा और ज़िंदा बचे रहने की जद्दोजहद शमिल है,
साथ ही फिल्म में आगे चल कर रामायण के मारीच का भी जिक्र आता है, जो सोने का हिरण बनकर सीता को लुभाता था और लक्ष्मण रेखा पार करवाता था। मूवी में दिखाए गए दोनों उदाहरणों में कई सवाल दिखाई देते हैं जैसे, क्या धोखा हमेशा गलत है? खासकर तब जब किसी इंसान का कोई बहुत बड़ा मकसद हो।

“मारीसन” इसी रास्ते पर चलती है जहां दो आदमी दो कहानियां दो रास्ते लेकिन एक ही सफर पर एक साथ चलते हैं। ये एक रोड ट्रिप ड्रामा है जो धीरे धीरे थ्रिलर में बदल जाती है।
फहाद और वादिवेलु की जादुई जोड़ी
फहाद फासिल को हम फाफा कहते हैं और वो फिल्म के भीतर एक फुर्तीले चोर के रोल में हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज वो शरारती मुस्कान और छोटी छोटी हरकतें सब कमाल का है, याद है उनकी मलयालम फिल्म थोंडिमुथलुम द्रिक्साक्षियुम जहां वो चोरी की नेकलेस निगल जाता है, यहां भी वैसा ही ग्रे शेड है लेकिन तमिल फ्लेवर के साथ।
वादिवेलु जो आमतौर पर कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं यहां अल्जाइमर के मरीज के रूप में गंभीर रोल में हैं उनकी आंखों में वो मासूमियत और रहस्य दिल छू लेता है। फिल्म में कोवाई सरला का छोटा सा रोल भी है जोकि काफी प्रभावी है और विवेक प्रसन्ना जैसे सपोर्टिंग एक्टर्स कहानी को मजबूत बनाते हैं।
ये जोड़ी पहले मामन्नन में साथ आई थी लेकिन यहां उनका रिश्ता बिल्कुल अलग है एक चोर और एक भूलने वाले बूढ़े का, फहाद की शरारत और वादिवेलु की सादगी का कॉम्बिनेशन फिल्म को गज़ब का बनाता है, मैंने देखा कि कैसे वादिवेलु बिना कॉमेडी के भी स्क्रीन पर छा जाते हैं ये उनकी वर्सेटिलिटी दिखाता है।

निर्देशन और लेखन गज़ब
“मारीसन” मोवी का निर्देशन सुधीश शंकर ने किया है और वी कृष्ण मूर्ति ने स्क्रिप्ट लिखी है, फिल्म 154 मिनट की है और ये स्लो बर्न स्टाइल में बनी है पहले हाफ में रोड ट्रिप का मजा है जहां ज्यादा कुछ नहीं होता बस दोनों किरदार एक दूसरे को जानते हैं,
लेकिन इंटरवल के बाद नए ट्विस्ट आते हैं इसमें मर्डर,मिस्ट्री और एक नेक मकसद शामिल है। मारीसन समाज के छुपे हुए अंधेरे पहलुओं पर बात करती है लेकिन बिना ग्राफिक सीन दिखाए, इशारों और बातचीत से सब समझ आ जाता है जो सराहनीय है।
तमिल सिनेमा में ऐसे दो आदमी एक यात्रा वाले प्लॉट पहले भी हिट हुए हैं, जैसे मेयाझगन लेकिन यहां ये थोड़ा अलग है। बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमैटोग्राफी रोड ट्रिप को कलरफुल बनाती है हालांकि कुछ गाने लंबे लगते हैं। फिल्म मेमोरी लॉस पर फोकस करती है “यादें न हों तो जिंदगी क्या” ये थीम दिल को छू जाती है।
क्या कामयाब हुई ये कोशिश
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसकी लेयर्ड नैरेटिव ह्यूमर के नीचे छुपी सामाजिक कमेंट्री जोकि बिना ड्रामा मिक्स किए सिर्फ मुद्दों पर बात करती है, जो ताजगी देता है। परफॉर्मेंस टॉप नॉच हैं और ट्विस्ट धीरे धीरे आते हैं जो सस्पेंस बनाए रखते हैं रेटिंग की बात करें तो मैं इसे 3/5 देता हूँ।
कमजोरियां भी हैं पेसिंग असमान है पहले हाफ में बहुत स्लो रोड पर पिटस्टॉप ज्यादा लगते हैं कुछ ट्विस्ट प्रेडिक्टेबल हैं और इमोशनल कनेक्ट कभी कभी कमजोर पड़ता है फ्लैशबैक ट्रिम हो सकते थे और दूसरे किरदारों को ज्यादा डेवलपमेंट मिलता तो बेहतर होता।
ये फिल्म मोमेंट्स पर चलती है न कि पूरी तरह स्टोरी पर, अगर आपको स्लो फिल्में पसंद हैं तो ये आपकी चाय का कप है वरना बोरिंग लग सकती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर मारीसन एक नई तरह की फिल्म है जो धोखे और इंसानी भावनाओं पर रोशनी डालती है, वादिवेलु और फहाद की परफॉर्मेंस इसे संभालती हैं और सुधीश शंकर की मेकिंग इसे यूनिक बनाती है ये, और कमल हासन जैसे दिग्गज ने भी इस फिल्म की तारीफ की है।
अगर आप थ्रिलर पसंद करते हैं जो सोचने पर मजबूर करे तो जरूर देखें लेकिन अगर फास्ट पेस्ड एक्शन चाहिए तो शायद न ये फिल्म चार्म करती है, लेकिन हर किसी पर नहीं मेरे हिसाब से ये तमिल सिनेमा की एक बढ़िया कोशिश है जो याद रह जाएगी।
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