फैसल मलिक का जन्म 1 सितंबर साल 1980 को प्रयागराज के उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था। फैसल मलिक का बचपन एक आम परिवार में बीता, जहां सपने पूरे करने के लिए उन्हें खूब मेहनत करनी पड़ती थी। फैसल ने अपनी शुरुआती स्कूल की पढ़ाई प्रयागराज में ही कंप्लीट की और बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।
फैसल मलिक ने कभी एक्टिंग की ट्रेनिंग नहीं ली, लेकिन बचपन से ही उन्हें फिल्में और नाटक देखने बहुत पसंद थे। उनके मामा सिनेमा हॉल में मैनेजर थे, जहां फैसल छुट्टियों में घंटों फिल्में देखते थे। अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती की फिल्में देखकर उन्हें सिनेमा का चस्का लगा। स्कूल में टीचर्स डे जैसे मौकों पर वो नाटकों में हिस्सा लेते थे जिससे उनकी क्रिएटिविटी को और निखार मिला।
मुंबई का सफर और शुरूआती जद्दोजहद:
22 साल की उम्र में फैसल मलिक अपने सपनों को सच करने मुंबई पहुंचे गए, हालांकि बॉलीवुड की चमक धमक में जगह बनाना आसान नहीं था। न कोई बड़ा सपोर्ट था, न इंडस्ट्री में जान पहचान। शुरू के दिनों में उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा,वो बताते हैं कि उनके परिवार ने पैसे भेजने की कोशिश की,लेकिन फैसल को वो लेने में झिझक होती थी।

ऐसे में कई बार उन्हें मुंबई की सड़कों पर रात बितानी पड़ी और कई बार रेलवे स्टेशन पर 10 रुपये देकर सोना पड़ा। लेकिन फैसल ने हिम्मत नहीं हारी। एक्टिंग के सपने को कुछ समय के लिए साइड रखकर उन्होंने टीवी चैनल में एडिटिंग जैसे काम किए। इस दौरान फैसल मलिक ने फिल्म बनाने की बारीकियां सीखीं और धीरे धीरे इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई।
गैंग्स ऑफ वासेपुर से हुई फिल्मी करियर की शुरुआत:
फैसल को पहला बड़ा मौका अनुराग कश्यप की फिल्म “गैंग्स ऑफ वासेपुर” (2012) में मिला। इसमें उन्होंने गोपाल सिंह नाम के एक करप्ट पुलिसवाले का छोटा सा रोल किया। भले ही रोल छोटा था, लेकिन उनका डायलॉग “का बात कर रहे हैं” सोशल मीडिया पर मीम बनकर छा गया।
इस फिल्म ने फैसल को पहचान दिलाई और उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई,जिसमे सबसे ज्यादा मजेदार बात ये है कि, फैसल इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर थे, लेकिन जब एक एक्टर ने अचानक फिल्म छोड़ दी, तो अनुराग ने फैसल को ये रोल दे दिया। इस मौके ने उन्हें यकीन दिलाया कि वो कैमरे के सामने भी कमाल कर सकते हैं।

“पंचायत में प्रह्लाद चा” एक किरदार जो सबके दिलों में बस गया:
फैसल मलिक को असली शोहरत “पंचायत” में प्रह्लाद पांडे यानी प्रह्लाद चा के रोल से मिली। इस सीरीज में वो फुलेरा गांव के उप प्रधान बने हैं, जिनका किरदार पहले सीजन में मजेदार और हल्का फुल्का था। लेकिन सीजन 2 और 3 में ये किरदार इतना गहरा हो गया कि दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
सीजन 2 में प्रह्लाद चा के बेटे राहुल पांडे की शहादत की कहानी ने सबको रुला दिया। फैसल मलिक ने इस सीन को इतने शानदार तरीके से निभाया कि लोग उनकी तकलीफ को महसूस करने लगे। “पंचायत सीजन 3” में प्रह्लाद चा का रोल और भी इमोशनल हो गया। उनका डायलॉग “समय से पहले कोई नहीं जाएगा” और एक बूढ़ी औरत को अपने खाली घर का मतलब समझाने वाला सीन हर किसी के लिए यादगार बन गया।
फैसल मलिक ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस रोल के लिए उन्होंने खुद को नींद से दूर रखा और कुछ वजन बढ़ाया, ताकि प्रह्लाद का थका हुआ और दुखी लुक रियल लगे। उनकी मेहनत काम आई और प्रह्लाद चा “पंचायत सीजन 3” का हीरो बन गए।

पंचायत सीजन 4 की कहानी और उसका असर:
अमेजॉन प्राइम वीडियो की फेमस वेब सीरीज पंचायत का चौथा भाग “पंचायत सीजन 4” रिलीज कर दिया गया है, जिसमें एक बार फिर से फुलेरा गांव की कहानी देखने को मिल रही है। जो हंसी, ड्रामा और इमोशन्स का शानदार मिक्चर हैं। सीजन 4 की कहानी पंचायत चुनावों के आसपास घूमती है, जहां प्रधान (मंजू देवी) और भूषण की टोली अपनी अपनी इमेज बनाने में जुटे हैं।
अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) जो एक इंजीनियर है और फुलेरा का पंचायत सेक्रेटरी है, इस बार गांव की पॉलिटिक्स में घुले मिले हुए दिखाई देते हैं,लेकिन हालात उसे उलझा लेते हैं। सीजन की शुरुआत अभिषेक के शहर में CAT का एक्जाम देकर गांव वापस होने से होती है, इस सीजन में प्रह्लाद पांडे (फैसल मलिक) का किरदार अपने बेटे के गम से उबरने की कोशिश करता हुआ और प्रधान जी को प्रधानी का इलेक्शन जिताने में जुटा हुआ है, जो दर्शकों को बहुत छूता है।
अभिषेक और रिंकी (सान्विका) के बीच हल्का फुल्का रोमांस सीज़न 4 में, भी जारी है जोकि लोगों को इस बात भी काफी पसंद आया। सीजन का आखिरी एपिसोड काफी इमोशनल है,इसमें खास तौर पर प्रधान जी द्वारा की गई जबरदस्त एक्टिंग जो दर्शकों के दिलों को छू रही है। हालांकि कुछ लोगों को सीजन 4 इसके पिछले 3 सीजनों से थोड़ा फीका लगा तो वहीं कुछ दर्शक इसकी प्रशंसा करते हुए नहीं थक रहे हैं।
फैसल मलिक की अन्य कामयाबियां:
पंचायत के अलावा फैसल ने कई और प्रोजेक्ट्स में काम किया है। उन्होंने “फ्रॉड सैंया”, “ब्लैक विडोज” और “अरियिप्पु” जैसी फिल्मों में एक्टिंग की है इसके अलावा, वो स्मोक, रिवॉल्वर रानी और मैं और चार्ल्स में को-प्रोड्यूसर भी रहे। वो द अमेजिंग रेस और आइस रोड ट्रकर्स जैसे इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स का भी हिस्सा रहे। फैसल कहते हैं कि वो एक्टिंग के साथ साथ प्रोडक्शन में भी बने रहना चाहते हैं, क्योंकि ये उनका पहला प्यार है। हाल ही में उन्होंने डेढ़ बीघा जमीन, सब फर्स्ट क्लास है और जो तेरा है वो मेरा है जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।
पर्सनल लाइफ और इंस्पिरेशन:
फैसल की शादी कुमुद शाही से हुई, जिनसे उनकी मुलाकात सहारा चैनल में काम करते वक्त हुई।
“फैसल मलिक की नेटवर्थ” 4-5 करोड़ के आसपास बताई जाती है, जो उनकी मेहनत का नतीजा है। फैसल का मानना है कि कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं होता। वो कहते हैं कि बिना किसी बड़े सपोर्ट के इंडस्ट्री में जगह बनाना आसान नहीं था, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने नए लोगों के लिए ढेर सारे मौके खोले हैं। फैसल नौजवानों को सलाह देते हैं कि मेहनत और सब्र से अपने सपने पूरे करें।
प्रह्लाद चा की पॉपुलरिटी का असर:
प्रह्लाद चा का किरदार इतना पॉपुलर हुआ कि लोग फैसल को सड़क पर प्रह्लाद चा कहकर बुलाते हैं। कुछ लोग तो उनके बेटे की शहादत पर दुख जताने तक आते हैं। ये उनकी एक्टिंग की ताकत है कि उन्होंने एक काल्पनिक किरदार को इतना रियल बना दिया। “पंचायत” की कामयाबी ने फैसल के लिए कई नए रास्ते खोले। वो कहते हैं “मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये शो इतना हिट होगा, ये ऊपरवाले की मेहर और दर्शकों का प्यार है”।
आखिरी बात:
फैसल मलिक की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं, सड़कों पर रात गुजारने से लेकर “पंचायत” के प्रह्लाद चा बनने तक, उनका सफर हर किसी को इंस्पायर करता है। उनकी सादगी, मेहनत और अपने रोल के प्रति दीवानगी ने उन्हें दर्शकों का फेवरेट बना दिया “पंचायत सीजन 4” ने फैसल मलिक की एक्टिंग को और ऊंचाई दी और फुलेरा की कहानी को और मजेदार बना दिया। प्रह्लाद चा का किरदार हमें सिखाता है कि दुख में भी दूसरों के लिए जिया जा सकता है, और फैसल की जिंदगी बताती है कि अगर हिम्मत न छोड़ो तो सपने जरूर पूरे होते हैं।
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