आमिर खान की फिल्म “सितारे जमीन पर” 20 जून से सिनेमा घरो में रिलीज़ हो चुकी है। यह एक स्पेनिश फिल्म कैम्पियोनेस का आधिकारिक रीमेक है।कैम्पियोनेस फिल्म से प्रेरित होकर हॉलीवुड में चैंपियंस नाम की फिल्म भी बनी है,जर्मन भाषा में भी ‘वील वीर चैंपियंस सिंद’ नाम से इसका एक रीमेक बना। टोटल अगर देखा जाये तो इस सब्जेक्ट पर अब तक चार फिल्मे बनाई जा चुकी है।
आज के समय में ऐसी फिल्मे कम बनती है जिनको दोबारा से देखने का मन करे ओटीटी के आने के बाद मानो कंटेंट की बहार आगयी। इन्ही सबके बीच सितारे जमीन पर एक ऐसी फिल्म बन कर उभर रही है,के जब आप इस फिल्म को देखकर सिनेमा घरो से बाहर निकलते है तो यह आपके होठो पर हलकी सी मुस्कान छोड़ जाती है। कहानी का ताना बाना कुछ ऐसा है के दिल दिमाग पर हावी हो जाता है,ये समझाने में के आप अपना दिमाग ना लगाए बस फिल्म को इंजॉय करें।

पिछले कुछ टाइम में, साऊथ की ओर से ऐसी फिल्म निकल कर आयी जो फील गुड कराती है जैसे की ड्रैगन,मेय्याझगन और टूरिस्ट फैमली। कुछ इसी तरह से मुझे सितारे जमीन पर भी लगी। एक बात तो आप सब ने देखि होगी के आज के टाइम में लोगो का बिहेव बहुत तेज़ी से बदलता दिख रहा है। फिल्म सिखाती है के हर इंसान को अपने जैसा ही देखना चाहिए समझना चाहिए।
आमिर खान अपनी फिल्म सितारे जमीन पर ऐसे ही कुछ लोगो की कहानी लेकर आये है।आमिर ने फिल्म में कोच की भूमिका निभायी है जो अपने डर से भागता रहता है ,ये इंसान जिस वक़्त भी लाइफ की परेशानियों में पड़ता है तो उनका सामना करने की जगह भाग जाता है।

आमिर खान गुलशन अरोड़ा के किरदार में है जो अपनी अकड़ में रहता है। पर जब भी उसे लगता है के बात नहीं बन रही हलके से वहां से निकल जाता है। गुलशन कोच के रूप में तो ठीक है पर इंसान के रूप में नहीं। एक दिन शराब के नशे में गुलशन पुलिस की गाड़ी ठोक देता है कानून इसे सजा देते हुए कहता है के आपको बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चो को बास्केट बाल सिखाना होगा।
गुलशन को अब इस बात का दर्द है के इसे तीन महीने के लम्बे अंतराल तक इस तरह के बच्चो को ट्रेनिंग देनी होगी। गुलशन की प्रॉब्लम वही है जो अक्सर लोगो की होती है के वह इन जैसे बच्चो को नार्मल इंसान नहीं समझते।आमिर खान यानी गुलशन के साथ एक बड़ी प्रॉबलम ये भी है के वो किसी और की बात को समझना ही नहीं चाहता है। यही वजह है जिसके कारण इसकी पत्नी के साथ भी रिश्ते अच्छे नहीं है।

आमिर खान हमेशा से इमोशनल और सोशल सन्देश देने वाली फिल्म लाते रहते है।इनकी अपनी ज़िंदगी में जो भी उथल पुथल हो, पर यह इस तरह की फिल्मे लाते रहते है।सितारे जमीन पर फिल्म में डाउन सिंड्रोम के बारे में बहुत न दिखाते हुए इस बात पर फोकस किया गया,की जो आप की तरह नहीं है उससे किस तरह से बिहेव करें।
सितारे जमीन पर पॉज़िटिव पॉइंट
फिल्म के एक सीन में गुलशन अपनी टीम के एक लड़के के नहाने के डर को जिस तरह से निकालता है वह दिल को छू सा जाता है। गुलशन उन बच्चो से ट्रेनिंग के दौरान यह सीखता है के किस तरह से अपनी ज़िंदगी को खुशियों के रंगो से भरा जाए। यहां इमोशन ड्रामा के साथ अच्छी कॉमेडी को भी पेश किया गया है।
डायलोग को साधारण रखते हुए चटपटा बनाया गया है। सभी एक्टर की कॉमिक टाइम शानदार है। इस फिल्म से आमिर की परफॉर्मेंस को याद रक्खा जायेगा जो सिनेमा के परदे से होकर दर्शको के दिलो पर छाने वाला है। यहाँ दिखाए गए सभी बच्चे अपनी असल ज़िंदगी में भी उसी प्रॉब्लम के साथ जी रहे है जैसा की यह फिल्म में दिखाए गए है।
सितारे जमीन पर निगेटिव पॉइंट
म्यूज़िक की बात की जाये तो यह तारे जमीन जैसा फील नहीं कराता प्रशून जोशी के वो गाने यहां मिस है।अगर तारे जमीन से इसकी तुलना की जाये तो यह इमोशनल लेवल पर वह जादू नहीं छोड़ती। इंडिया में बास्केट बाल का पॉपुलर न होना शायद यह फिल्म पर निगेटिव असर दिखाए।
कैरेक्टर परफॉर्मेंस
आमिर खान और जेनेलिया डिसूजा ने तो अच्छा काम किया ही है पर इनके साथ वो सभी दस आर्टिस्ट अरौश दत्ता, गोपी कृष्ण वर्मा, सामवित देसाई, वेदांत शर्मा, आयुष भंसाली, आशीष पेंडसे, ऋषि शहानी, ऋषभ जैन, नमन मिश्रा, सिमरन मंगेशकर सबने बेहतरीन काम किया है डॉली अहलूवालिया आमिर खान की माँ बनी है और इन्होने इस किरदार को मज़ेदार बनाया है। विजेंद्र काला के जितने भी सीन थे अच्छे थे। गुरपाल सिंह प्रिंसपल के रूप में हमें सिखाते है,साथ ही इनके कैरेक्टर से आप प्यार भी कर बैठते है।
निष्कर्ष
आमिर खान और दस बच्चो के मासूमियत भरी एक्टिंग को देखने के लिए यह फिल्म देखि जा सकती है। ये सिखाती है के पागल कहना आसान है पर इंसानियत स्वीकार करना सिखाती है।मास मसाला के दौर में इस तरह की फिल्म लाना आमिर खान का एक सराहनीय काम है। मेरी तरफ से इसे दिए जाते है पांच में से तीन स्टार की रेटिंग।
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