आज के दौर में हर कोई बड़ा आदमी बनने की दौड़ में भागा चला जा रहा है। काल्पनिक सोशल मीडिया में खुशियाँ ढूंढते हुए अपनी असली खुशियों को खत्म करता हुआ, सभी को बड़ा घर, बड़ी कार, धन-दौलत और उस धन-दौलत से समाज में इज्जत पाना, शोहरत पाना है। पर आज का इंसान यह भूल रहा है कि बड़ा आदमी बनने का असली मतलब क्या है। आज यहाँ हम ऐसी फिल्म बताएँगे जिन्हें देखकर आप अमीर तो नहीं बन सकते, पर इस बात की गारंटी देता हूँ कि आप अच्छे इंसान जरूर बन जाएँगे।

मेयाझागन
एक 40 साल का इंसान 22 साल के बाद अपने गाँव वापस जाता है। 22 साल पहले इसके पूरे परिवार को आर्थिक तंगी के कारण अपना घर बेचना पड़ा और मद्रास में शिफ्ट होना पड़ा था। अब जब यह इंसान अपने गाँव वापस आता है तो अपने पुराने परिवार, दोस्तों, यारों, रिश्तेदारों से मिलता है। अपने पुराने घर को देखकर उसकी सारी यादें ताजा हो जाती हैं।

अब जब यह आदमी गाँव से वापस मद्रास जाता है तो वह पूरी तरह से बदला हुआ खुद को पाता है। अब यह गाँव में कौन-से ऐसे इंसान से मिला जिसके संपर्क में आने के बाद यह पूरी तरह से बदल गया? कहानी का हर एक सीन दिल को छू जाने वाला है। यह बताती है कि धन-दौलत, शोहरत कुछ नहीं है जब तक आप एक अच्छे इंसान नहीं बन जाते।
अगर आप पैसे वाले आदमी बनने की रेस में दौड़ लगा रहे हैं, तो जरा रुकिए, धैर्य और थोड़ा टाइम इस फिल्म को दीजिए। यह एक थेरेपी की तरह काम करेगी वह भी बहुत कम पैसों में। नेटफ्लिक्स पर यह फिल्म उपलब्ध है, जाकर देखी जा सकती है।
कहानी का दिल छू जाने वाला सीन
अरुल जब अपने गाँव को छोड़कर मद्रास की तरफ रवाना हो रहा होता है, तब अरुल के पिता कहते हैं कि अरुल, इस साइकिल का क्या करना है? अरुल अपने पापा को जवाब देता हुआ कहता है कि नहीं, मुझे साइकिल नहीं चाहिए किसी जरूरतमंद को ये दे दीजिए।

अरुल जब अपने गाँव वापस आता है तब इसे पता चलता है कि उस साइकिल ने किसी एक शख्स की पूरी जिंदगी बदलकर रख दी थी। उसे पता लगता है कि एक छोटी-सी साइकिल कैसे किसी इंसान के लिए इतनी बड़ी खुशी हो सकती है।
मेयाझागन फिल्म को बनाने का आइडिया डायरेक्टर के मन में कैसे आया
तमिल सुपरहिट फिल्म 96 को बनाने वाले निर्देशक सी. प्रेम कुमार के मन में मेयाझागन बनाने का आइडिया 96 के हिट होने के बाद आया। इन्हें लगा कि हमारे समाज को जरूरत है भावनात्मक रूप से इंसानी रिश्तों को समझने की जो कि इस दौर में कहीं पीछे छूटता चला जा रहा है।
Best inspirational movie meiyazhagan pic.twitter.com/zEhJnDLSBB
— FilmyDrip (@filmydrip) May 12, 2025
यही वजह है कि इन्होंने इस फिल्म में दोस्ती और प्यार के साथ-साथ रिश्तों की गहराइयों को बहुत ही सूक्ष्म तरीके से दिखाने की कोशिश की है। फिल्म में किसी भी कैरेक्टर को बिना मतलब के कास्ट नहीं किया गया है। हर कैरेक्टर का कोई-न-कोई मतलब जरूर निकलता है। यह हमें प्रेम करना रिश्तों को अहमियत देना निस्वार्थ सेवा की भावना सादा जीवन उच्च विचार जैसी सीख देकर जाती है।
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